-आनंद उत्सव में मग्न हुए भक्तगण।
-राम दरबार की की गई दिव्य आरती।
-राम दरबार में लुटाई गई मुद्राएं।
-भगवान श्रीराम का हुआ राजतिलक।
रॉबर्ट्सगंज (सोनभद्र) नगर के आरटीएस सब में चल रहे श्री रामचरितमानस नवाह पाठ महायज्ञ के नवम दिवस के अवसर पर भगवान श्री राम के राज्याभिषेक के अवसर पर मानस पंडाल को फूलों से सज्जित किया गया और भगवान श्री राम की दिव्य आरती भक्तों द्वारा की गई।मुख्य व्यास श्री सूर्य
लाल मिश्र के मुखारविंद से गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस उत्तरकांड की चौपाई-
राज बैठे राज्य बैठे त्रैलोका। हर्षित भये गए सब सोका ।।
बयरू न कर काहू सन कोई।
राम प्रताप विषमता खोई।।
अर्थात-भगवान श्री राम के राज्य पर प्रतिष्ठित हो जाने पर तीनो लोक के लोग हर्षित हो गए, उनके सारे दुख जाते रहे, कोई किसी से बैर नहीं करता, श्री रामचंद्र जी के प्रताप से सबकी विषमता (आंतरिक भेदभाव) मिट गये।
इस चौपाई के साथ ही राम दरबार में भक्तों द्वारा पुष्प वर्षा की जाने लगी, पटाखे छुड़ाए जाने लगे और मुद्राएं लुटाई जाने लगी।
मुख्य व्यास जी द्वारा भरत पीड़ा तथा भरत- हनुमान मिलन, अयोध्या में आनंद, श्री राम जी का स्वागत, भरत मिलन, राम राज्याभिषेक, वेद स्तुति, शिव स्तुति, वानरों और निषादो की विदाई, रामराज्य का वर्णन आदि कथाओं का वाचन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
राज्याभिषेक में यजमान अजय शुक्ला, माधुरी शुक्ला, सैल पाठक, शिवानी पाठक ने सहभागिता निभाई।
महामंत्री शुशील पाठक ने बताया कि मिडिया प्रभारी हर्षवर्धन केसरवानी ने फेसबुक पेज पर राम दरबार की झाकी का प्रसारण देश विदेश तक कर महत्व पूर्ण कार्य किया गया इसे फेसबुक पेज पर देखा जा सकता है लाइव टेलीकास्ट के माध्यम से
रात्रि में गोरखपुर से पधारे मानस मर्मज्ञ हेमंत त्रिपाठी ने किष्किंधा कांड, लंका कांड में वर्णित घटनाओं का वर्णन करते हुए कहा कि- जब शेषनाग के अवतार लक्ष्मण दूर करने के लिए हनुमान जी द्वारा लंका जाकर सुषेण वैद्य को ले आना और संजीवनी बूटी द्वारा लक्ष्मण की मूर्छा दूर करना पशुओं को बड़ी रोचक ढंग से सुनाकर ज्ञान वर्धन किया।
भारतीय,धर्म, दर्शन, संस्कृति के चर्चा करते हुए कहा कि-” जब स्वामी विवेकानंद योगी वेश में अमेरिका के शिकागो में आयोजित धर्मसभा में गए तो उनके हाथ में गीता थी वहां पर विश्व के विद्वानों ने कहा कि आप यह क्या ले आए हैं? तो स्वामी जी ने कहा कि यह हमारी गीता है जो भारतीय संस्कृति, धर्म की प्रतीक है गीता को सभी धर्म ग्रंथों के नीचे रख दिया गया और इसकी व्याख्या करने के लिए कहा तो स्वामी जी ने कहा कि हमारी गीता नीव है जिस पर सारे धर्म टिके हुए हैं, फिर गीता को धर्म ग्रंथों के मध्य में रखा गया तब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारी गीता सभी धर्म ग्रंथों का हृदय है, फिर गीता को सबसे ऊपर रखा गया फिर स्वामी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारी गीता सर्वोपरि है अर्थात सभी धर्मों से ऊपर है इस प्रकार गीता के महत्व को स्वामी विवेकानंद जी ने विदेशों में अपने व्याख्यान के माध्यम से रखा था।
इस अवसर पर महामंत्री सुशील पाठक, समिति के पूर्व अध्यक्ष रतनलाल गर्ग, वरिष्ठ साहित्यकार पत्रकार दीपक कुमार केसरवानी, ओमप्रकाश त्रिपाठी,हतिकिशोर केडिया, दुर्गा परशुराम, विमलेश पटेल, मिठाई लाल सोनी, इंद्र देव सिंह मीडिया प्रभारी हर्षवर्धन केसरवानी, शिशु त्रिपाठी मंचआचार्य अनिल पांडे, डॉ शिव कुमार पाण्डेय, पंडित यशवन्त देव पाण्डेय, रमेश पाण्डेय एवं संचालक संतोष कुमार द्विवेदी सहित पांडाल में उपस्थित श्रोताओं ने कथा का आनंद लिया।