धर्म डेक्स । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से शुक्र ग्रह के जातक पर प्रभाव: (अरिष्ट नाशक उपाय)
भारतीय वैदिक ज्योतिष में शुक्र को मुख्य रूप से पति या पत्नी अथवा प्रेमी या प्रेमिका का कारक माना जाता है। कुंडली धारक के दिल से अर्थात प्रेम संबंधों से जुड़ा कोई भी मामला देखने के लिए कुंडली में इस ग्रह की स्थिति देखना अति आवश्यक हो जाता है। कुंडली धारक के जीवन में पति या पत्नी का सुख देखने के लिए भी कुंडली में शुक्र की स्थिति अवश्य देखनी चाहिए। शुक्र को सुंदरता की देवी भी कहा जाता है और इसी कारण से सुंदरता, ऐश्वर्य तथा कला के साथ जुड़े अधिकतर क्षेत्रों के कारक शुक्र ही होते हैं, जैसे कि फैशन जगत तथा इससे जुड़े लोग, सिनेमा जगत तथा इससे जुड़े लोग, रंगमंच तथा इससे जुड़े लोग, चित्रकारी तथा चित्रकार, नृत्य कला तथा नर्तक-नर्तकियां, इत्र तथा इससे संबंधित व्यवसाय, डिज़ाइनर कपड़ों का व्यवसाय, होटल व्यवसाय तथा अन्य ऐसे व्यवसाय जो सुख-सुविधा तथा ऐश्वर्य से जुड़े हैं।
शुक्र एक नम ग्रह हैं तथा ज्योतिष की गणनाओं के लिए इन्हें स्त्री ग्रह माना जाता है। शुक्र मीन राशि में स्थित होकर सर्वाधिक बलशाली हो जाते हैं जो बृहस्पति के स्वामित्व में आने वाली एक जल राशि है। मीन राशि में स्थित शुक्र को उच्च का शुक्र भी कहा जाता है। मीन राशि के अतिरिक्त शुक्र वृष तथा तुला राशि में स्थित होकर भी बलशाली हो जाते हैं जो कि इनकी अपनी राशियां हैं। कुंडली में शुक्र का प्रबल प्रभाव कुंडली धारक को शारीरिक रूप से सुंदर और आकर्षक बना देता है तथा उसकी इस सुंदरता और आकर्षण से सम्मोहित होकर लोग उसकी ओर खिंचे चले आते हैं तथा विशेष रूप से विपरीत लिंग के लोग। शुक्र के प्रबल प्रभाव वाले जातक शेष सभी ग्रहों के जातकों की अपेक्षा अधिक सुंदर होते हैं। शुक्र के प्रबल प्रभाव वालीं महिलाएं अति आकर्षक होती हैं तथा जिस स्थान पर भी ये जाती हैं, पुरुषों की लंबी कतार इनके पीछे पड़ जाती है। शुक्र के जातक आम तौर पर फैशन जगत, सिनेमा जगत तथा ऐसे ही अन्य क्षेत्रों में सफल होते हैं जिनमें सफलता पाने के लिए शारीरिक सुंदरता को आवश्यक माना जाता है।
शुक्र शारीरिक सुखों के भी कारक होते हैं तथा संभोग से लेकर हार्दिक प्रेम तक सब विषयों को जानने के लिए कुंडली में शुक्र की स्थिति महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। शुक्र का प्रबल प्रभाव जातक को रसिक बना देता है तथा आम तौर पर ऐसे जातक अपने प्रेम संबंधों को लेकर संवेदनशील होते हैं। शुक्र के जातक सुंदरता और एश्वर्यों का भोग करने में शेष सभी प्रकार के जातकों से आगे होते हैं। शरीर के अंगों में शुक्र जननांगों के कारक होते हैं तथा महिलाओं के शरीर में शुक्र प्रजनन प्रणाली का प्रतिनिधित्व भी करते हैं तथा महिलाओं की कुंडली में शुक्र पर किसी बुरे ग्रह का प्रबल प्रभाव उनकी प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है।
शुक्र कन्या राशि में स्थित होने पर बलहीन हो जाते हैं तथा इसके अतिरिक्त कुंडली में अपनी स्थिति विशेष के कारण अथवा किसी बुरे ग्रह के प्रभाव में आकर भी शुक्र बलहीन हो जाते हैं। शुक्र पर बुरे ग्रहों का प्रबल प्रभाव जातक के वैवाहिक जीवन अथवा प्रेम संबंधों में समस्याएं पैदा कर सकता है। महिलाओं की कुंडली में शुक्र पर बुरे ग्रहों का प्रबल प्रभाव उनकी प्रजनन प्रणाली को कमजोर कर सकता है तथा उनके ॠतुस्राव, गर्भाशय अथवा अंडाशय पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है जिसके कारण उन्हें संतान पैदा करनें में परेशानियां आ सकतीं हैं।
कुंडली में शुक्र पर अशुभ राहु का विशेष प्रभाव जातक के भीतर शारीरिक वासनाओं को आवश्यकता से अधिक बढ़ा देता है जिसके चलते जातक अपनी बहुत सी शारीरिक उर्जा तथा पैसा इन वासनाओं को पूरा करने में ही गंवा देता है जिसके कारण उसकी सेहत तथा प्रजनन क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है तथा कुछेक मामलों में तो जातक किसी गुप्त रोग से पीड़ित भी हो सकता है जो कुंडली के दूसरे ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करते हुए जानलेवा भी साबित हो सकता है।
जिन जातको का शुक्र बली होकर लग्न, पंचम भाव, पंचमेश से सम्बन्ध रखता है ऐसे जातको की ओर विपरीत लिंग के व्यक्ति बहुत जल्द आकर्षित हो जाते है। 5वे भाव , भावेश से किसी पुरुष जातक की कुंडली में बलीशुक्र का सम्बन्ध होने से जातक विपरीत लिंगी के प्रेम के लिए उतावला रहता है ऐसे जातक के प्रेम प्रसंग होते भी है।पाचवे भाव, भावेश ,शुक्र पर यदि पाप ग्रहो शनि राहु में से किन्ही दो या तीनो ग्रहो का प्रभाव होने से प्रेम प्रसंग में दुःख मिलता है शनि राहु केतू ग्रह प्रेमी या प्रेमिका से जातक या जातिका को लड़ाई झगड़ा कराकर या उनके बीच गलत फेमिया कराकर या किसी अन्य तरह से अलग कर देते है।यदि ऐसी स्थिति में बली गुरु का प्रभाव् शुक्र और पंचमेश पंचम भाव पर होता है तब अलगाव नही होता। इसी तरह की स्थिति यदि सप्तम भाव भावेश, और शुक्र से बनती है तब पत्नी से अलगाव होता है।स्त्री की कुंडली में सप्तम भाव, भावेश और गुरु पर शनि राहु केतु का प्रभाव, सप्तम भाव सप्तमेश पर गुरु की खुद की और अन्य शुभ ग्रहो बली शुक्र पूर्ण बली चंद्र और शुभ बुध का प्रभाव न होने से पति से अलगाव होता है। शुक्र प्रधान जातको के बाल अधिकतर घुंघराले होते है। शुक्र जातक को रोमांटिक ज्यादा बनाता है।शुक्र केंद्र या त्रिकोण का स्वामी होकर कुंडली के केंद्र १-४-७-१० या ५-९ त्रिकोण भाव में होने पर व ६ या १२ वे भाव में बैठने पर बली शुक्र जातक को पूर्ण तरह से अपने फल देता है। यदि पीड़ित होगा तब फल में कमी और अशुभ फल भी करेगा।
शुक्र ग्रह के अशुभ होने पर मिलने वाले
अन्य परिणाम
जिन लोगो की शादी होने में परेशानी आ रही है या शादी के बाद परेशानी आ रही है तो मान लो की उनका शुक्र ग्रह खराब है। जिन लोगों के शरीर मे जोश नहीं होता जो शरारतों और हंसी मज़ाक मे खुश तो रहते हैं लेकिन बहुत जल्दी चिड़ चिड़े हो जाते हैं,जिनको नहाने धोने साफ कपड़े पहनने, कामपर जाने के लिए सदा आलस बना रहता है, जो घर की साफ-सफाई के लिए टोका-टाकी तो करते हैं मगर स्वयं इन कामो को नही कर पाते,जिनमे संभोग की ताकत तो होती है,परवे अपने जीवन साथी को ख़ुश नहीं रख पाते,जिनके गुप्तांग पर बार-बार इन्फैकशन होता हो, जो हीरो बनने का प्रयास ना करते हों मगर हीरो बनने के सपने देखते हों, जो रोज नया जोशीला काम करने का वादा करते हों मगर काम करते ना हो, जिंनका विपरीत लिंगी के प्रति हर पल आकर्षण बना रहताहो, जिनमे बहुतज्यादा खर्च करने की आदत हो पर उतनी कमाई न हो, और औरतों मे सफेद पानी या ल्यूकोरियाकी दिक्कत हो तो यह सब शुक्र ग्रह की खराबी की वजह से होता है। कुल मिला कर इसग्रह की खराबी से ग्रस्त लोग अपनी कमियों को छिपाते हुए अच्छा होने का ढोंग करतेहै। वे इतनी ज्यादा शरारतें करते हैं कि यही शरारतें उनकी बदनामी का कारण बन जाती हैं।
ऐसे लोगों को सुगंधित खानो की खशबू या किसी भी प्रकार की सुगंध खराब लगती है, और वे सुंदरबनने के लिए बार- बार कुछ न कुछ करते रहते हैं पर बन नही पाते। जो कई तरह की नौकरियाँ और काम करने का प्रयास करते हैं लेकिन किसी मे सफल नही हो पाते, हर माहौल मे कमी निकाल कर अलग हो जाते हैं। पर सुनने मे उनके विचार बहुत ज्ञानवान लगते हैं। इन सब का शुक्र ग्रह खराब होता है,जैसे ही शादी होती है अपना या जीवन साथी का स्वास्थ्य खराब होता चला जाता है। संभोग की प्रक्रिया के बाद जीवन साथी को ज्यादा महत्व नही देते और बहुत दिन तक इस प्रक्रिया से दूर रहते हो,जीवन साथी को कभी संतुष्ट नहीं रख पाते यूं ही शिकायतों मे जीवन बीतता रहता है, यदि रेडीमेट कपड़ो का काम है या कास्मेटिक ,मीठी वस्तुओ से संबन्धित कोई काम हो तो इनमे सदा कमी या खराबी बनी रहती है। इसके अलावा यदि यदि वह बाहर सुंदर या मूल्यवान चीजों पर पैसा खर्च करता हो या विपरीत लिंगियों से संबंध बनाता हो पर आनंद न ले पाता हो तो भी शुक्र ग्रह खराब है। अगर आपको इनमे से कोई समस्या आ रही है है तो समाधान के उपाय के लिए निचे दिए उपायों को कर सकते है।
कुंडली के १२ भावों में शुक्र ग्रह का प्रभाव
जिन जातको के लग्न स्थान में शुक्र👉 उसका अंग-प्रत्यंग सुंदर होता है। श्रेष्ठ रमणियों के साथ विहार करने को लालायित रहता है। ऐसा व्यक्ति दीर्घ आयु वाला, स्वस्थ, सुखी, मृदु एवं मधुभाषी, विद्वान, कामी तथा राज कार्य में दक्ष होता है।
दूसरे स्थान पर शुक्र👉 जातक प्रियभाषी तथा बुद्धिमान होता है। स्त्री की कुंडली हो तो जातिका सर्वश्रेष्ठ सुंदरी पद प्राप्त करने की अधिकारिणी होती है। जातक मिष्ठान्नभोगी, लोकप्रिय, जौहरी, कवि, दीर्घजीवी, साहसी व भाग्यवान होता है।
तीसरे भाव में शुक्र👉 ऐसा जातक स्त्री प्रेमी नहीं होता है। पुत्र लाभ होने पर भी संतुष्ट नहीं होता है। ऐसा व्यक्ति कृपण, आलसी, चित्रकार, विद्वान तथा यात्रा करने का शौकीन होता है।
चतुर्थ भाव में शुक्र👉 जातक उच्च पद प्राप्त करता है। इस व्यक्ति के अनेक मित्र होते हैं। घर सभी वस्तुओं से पूर्ण रहता है। ऐसा व्यक्ति दीर्घायु, परोपकारी, आस्तिक, व्यवहारकुशल व दक्ष होता है।
पांचवें भाव में शुक्र👉 शत्रुनाशक होता है। जातक के अल्प परिश्रम से कार्य सफल होते हैं। ऐसा व्यक्ति कवि हृदय, सुखी, भोगी, न्यायप्रिय, उदार व व्यवसायी होता है।
छठे भाव मे शुक्र👉 जातक के नित नए शत्रु पैदा करता है। मित्रों द्वारा इसका आचरण नष्ट होता है और गलत कार्यों में धन व्यय कर लेता है। ऐसा व्यक्ति स्त्री सुखहीन, दुराचार, बहुमूत्र रोगी, दुखी, गुप्त रोगी तथा मितव्ययी होता है।
सातवें स्थान का शुक्र👉 खूबसूरत जीवन साथी का संकेत देता है। इस स्थान में शुक्र व्यक्ति को काम भावनाओं की ओर प्रवृत्त करता है। व्यक्ति कलाकार भी हो सकता है।
आठवें स्थान में शुक्र👉 जातक वाहनादि का पूर्ण सुख प्राप्त करता है। वह दीर्घजीवी व कटुभाषी होता है। इसके ऊपर कर्जा चढ़ा रहता है। ऐसा जातक रोगी, क्रोधी, चिड़चिड़ा, दुखी, पर्यटनशील और पराई स्त्री पर धन व्यय करने वाला होता है।
नवम स्थान पर शुक्र👉 जातक अत्यंत धनवान होता है। धर्मादि कार्यों में इसकी रुचि बहुत होती है। सगे भाइयों का सुख मिलता है। ऐसा व्यक्ति आस्तिक, गुणी, प्रेमी, राजप्रेमी तथा मौजी स्वभाव का होता है।
दशम भाव में शुक्र👉 वह व्यक्ति लोभी व कृपण स्वभाव का होता है। इसे संतान सुख का अभाव-सा रहता है। ऐसा व्यक्ति विलासी, धनवान, विजयी, हस्त कार्यों में रुचि लेने वाला एवं शक्की स्वभाव का होता है।
ग्यारहवें स्थान पर शुक्र👉 जातक प्रत्येक कार्य में लाभ प्राप्त करता है। सुंदर, सुशील, कीर्तिमान, सत्यप्रेमी, गुणवान, भाग्यवान, धनवान, वाहन सुखी, ऐश्वर्यवान, लोकप्रिय, कामी, जौहरी तथा पुत्र सुख भोगता हुआ ऐसा व्यक्ति जीवन में कीर्तिमान स्थापित करता है।
बारहवें भाव में शुक्र👉 तब जातक को द्रव्यादि की कमी नहीं रहती है। ऐसा व्यक्ति स्थूल, परस्त्रीरत, आलसी, गुणज्ञ, प्रेमी, मितव्ययी तथा शत्रुनाशक होता है।
अरिष्ट शुक्र की शांति के उपाय एवं टोटके
शुक्र ग्रहों में सबसे चमकीला है और प्रेम का प्रतीक है। इस ग्रह के पीड़ित होने पर आपको ग्रह शांति हेतु सफेद रंग का घोड़ा दान देना चाहिए।
अथवा रंगीन वस्त्र, रेशमी कपड़े, घी, सुगंध, चीनी, खाद्य तेल, चंदन, कपूर का दान शुक्र ग्रह की विपरीत दशा में सुधार लाता है।
शुक्र से सम्बन्धित रत्न का दान भी लाभप्रद होता है।
इन वस्तुओं का दान शुक्रवार के दिन संध्या काल में किसी युवती को देना उत्तम रहता है।
शुक्र ग्रह से सम्बन्धित क्षेत्र में आपको परेशानी आ रही है तो इसके लिए आप शुक्रवार के दिन व्रत रखें।
मिठाईयां एवं खीर कौओं और गरीबों को दें।
ब्राह्मणों एवं गरीबों को घी भात खिलाएं।
अपने भोजन में से एक हिस्सा निकालकर गाय को खिलाएं।
शुक्र से सम्बन्धित वस्तुओं जैसे सुगंध, घी और सुगंधित तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
वस्त्रों के चुनाव में अधिक विचार नहीं करें।
काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए।
शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।
किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।
किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय १० वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए।
अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।
किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।
शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध से स्नान करना चाहिए।
शुक्र के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शुक्रवार का दिन, शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी, पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा में अधिक शुभ होते हैं।