सम्मान एवं विचार गोष्ठी मे विंध्य शिक्षक सम्मान से सम्मानित हुए डॉ अभिषेक श्रीवास्तव

-विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट द्वारा आयोजित हुआ सम्मान एवं विचार गोष्ठी का कार्यक्रम।-हमारे जीवन में पुस्तकालय का महत्व विषय आयोजित हुई गोष्ठी।-विंध्य कृषक सम्मान से सम्मानित हुए प्रगतिशील कृषक बाबूलाल मौर्या।-डॉ अभिषेक श्रीवास्तव द्वारा लिखित कृति साइबर क्राइम एजुकेशन का हुआ विमोचन।-प्रदूषण मुक्ति के लिए अतिथियों को वितरित किया गया पौधा।रॉबर्ट्सगंज-सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव) – साहित्य, कला, संस्कृति के क्षेत्र में अनवरत 21 वर्षों से कार्यरत विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के तत्वाधान में 15 नवंबर 2020 को दोपहर 11:00 बजे प्रधान कार्यालय संस्कृति सदन, दीप नगर, नईबस्ती रोड, रॉबर्ट्सगंज, सोनभद्र मे राष्ट्रीय पुस्तकालय सप्ताह के अंतर्गत “हमारे जीवन में पुस्तकालय का महत्व”विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन गया।
इस अवसर पर ट्रस्ट के निदेशक, सोनघाटी पत्रिका के प्रधान संपादक दीपक कुमार केसरवानी एवं कार्यक्रम की अध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार मधुर माहिती गोष्ठी के निदेशक अजय शेखर ने कैरियर पॉइंटविश्वविद्यालय, कोटा, राजस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर, इंटरनेशनल जर्नल आफ मल्टीडिसीप्लिनरी रिसर्च कानफलुएनस के संपादक डॉ अभिषेक श्रीवास्तव को उच्च शिक्षा, साहित्य लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए *”विंध्य शिक्षक सम्मान”* एवं जनपद सोनभद्र के (प्रगतिशील कृषक)बाबूलाल मौर्य को उन्नतशील कृषि उत्पादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए “विंध्य कृषक सम्मान” से सम्मानित किया। इस अवसर पर डॉ अभिषेक श्रीवास्तव द्वारा लिखित एवं यूएसए द्वारा प्रकाशित पुस्तक साइबर क्राइम एजुकेशन का विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया गया। विचार गोष्ठी में अपना विचार व्यक्त करते हुए आयोजक संस्था के निदेशक दीपक कुमार केसरवानी ने कहा कि-“पुस्तकालय में ज्ञात- अज्ञात लेखकों, कवियों, साहित्यकारों की आत्मा निवास करती है, पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र हैं, जो बिना किसी मोल के आजीवन हमारे साथ अपनेमित्रता का निर्वहन करती हैं। पुस्तकों से शिक्षित- अशिक्षित व्यक्ति जुड़ा हुआ है। शिक्षित व्यक्ति पुस्तकों का अध्ययन कर ज्ञान प्राप्त करता है तो अशिक्षित व्यक्ति पुस्तकों के ज्ञान को श्रवण के माध्यम से अपना ज्ञान वर्धन करता है, पुस्तकों का लिखित स्वरूप विश्व में प्रथम बार उस समय सामने आया जब इंडो आर्य पंजाब में बसे और उन्होंने श्रुत ज्ञान वेद को लिपिबद्ध किया ,यह प्रथम लिखित ग्रंथ ऋग्वेद के नाम से विख्यात हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे साहित्यकार अजय शेखर अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि-‘हर व्यक्ति एक चलता- फिरता पुस्तकालय है, ज्ञान का सबसे उचित, सशक्त, सस्ता माध्यम पुस्तकालय हैं, जहां पर पाठक बैठकर अपने ज्ञान पिपासा को शांत करता है। पुस्तकालय की स्थापना अध्ययन की परंपरा प्राचीन हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं लोकवार्ता शोध संस्थान के सचिव वरिष्ठ लोक साहित्यकार डॉ अर्जुन दास के कहा कि-सर्वप्रथम जान को मनुष्यों ने गुफाचित्रों एवं शिलालेखों में अंकित किया, आदिमानव द्वारा गुफाओं में चित्रों के माध्यम से अपने ज्ञान को लिपिबद्ध किया कालांतर में विद्वानों ने गुफाओं कराओ की छत और दीवारों पर ब्राह्मी लिपि के लेख एवं सम्राट अशोक द्वारा प्रस्तर खंडों पर शिलालेख , स्तंभ लेख व परवर्ती काल में शासकों के तमाम शासकीय, अशासकीय पत्रों, दर्शन, धर्म, अध्यात्म नैतिक शिक्षा से संबंधित ज्ञान को ताम्रपत्र, शिलालेख, स्तंभ लेख आदि पर अंकित करा कर तत्कालीन समाज के ऐतिहासिक धार्मिक दार्शनिक ज्ञान प्रदान किया। मीडिया फोरम ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि-“पुस्तकों का महत्व आदिकाल से लेकर आधुनिक काल तक कायम है। हमारे देश में पुस्तक लेखन की परंपरा प्राचीन है, पुस्तक ही वह माध्यम है जिसके माध्यम से हम विविध विषयों का ज्ञान प्राप्त कर ज्ञानवान बन रहे है। कार्यक्रम का सफल संचालनकर रहे शिक्षक, पत्रकार, साहित्यकार भोलानाथ मिश्र ने कहा कि-सरकारी गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं में पुस्तकालय की व्यवस्थाएं कायम है । परंतु इस ज्ञान प्राप्त करने की विधा को से छात्र वंचित रह जाते हैं, क्योंकि यहां पर संचालित पुस्तकालय कभी खुलती ही नहीं जिसके कारण तमाम प्रकार की शिक्षा प्रदान करने वाली पुस्तके दूर व्यवस्था की भेंट चढ़ जाती हैं, इस व्यवस्था से निपटने के लिए विद्यालयों के संचालकों एवं सरकारी तंत्र को नियमित पुस्तकालय खोलने और छात्रों के पठन-पाठन की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। इस अवसर पर राष्ट्रपति शिक्षक सम्मान से सम्मानित शिक्षक साहित्यकार ओमप्रकाश त्रिपाठी,वरिष्ठ कथाकार एवं असुविधा पत्रिका के संपादक रामनाथ “शिवेंद्र”वरिष्ठ कवि सुशील राही, शिवनारायण शिव, समाजसेवी राधेश्याम बंका, पत्रकार एवं साहित्यकार सलूंस तिवारी, शिक्षिका साहित्यकार कुमारी तृप्ति केसरवानी, पत्रकार एवं ट्रस्ट के सदस्य हर्षवर्धन केसरवानी, सहित अन्य लोगों ने अपना अपना विचार व्यक्त किया। प्रगतिशील कृषक बाबूलाल मौर्य ने पर्यावरण को सुरक्षित एवं मानव जीवन को स्वस्थ रखने, प्राकृतिक वातावरण को हरीतिमा युक्त बनाए रखने के लिए कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों को एक-एक पौधा वितरित कर यह संकल्प दिलाया कि हम अपने घर, आंगन, कार्यालय इत्यादि स्थानों पर गमलों में ही सही पौधारोपण करके अपने देश और समाज को प्रदूषण से मुक्ति दिलाएंगे।

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