जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से पुष्य नक्षत्र के जातकों का गुण एवं स्वभाव

धर्म डेक्स। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से पुष्य नक्षत्र के जातकों का गुण एवं स्वभाव

नक्षत्र देवता: गुरु

नक्षत्र स्वामी: शनि

राशि: कर्क

यदि आपका जन्म पुष्य नक्षत्र में हुआ है तो आपमें नित नए काम करने की प्रवृत्ति बनी रहेगी. हर बार नए काम की खोज और परिवर्तन आपसे अधिक परिश्रम भी कराएगा. कठिन परिश्रम करने पर भी आपको सफलता आसानी से नहीं मिलेगी और फल प्राप्ति में अक्सर देरी हो जाती है. परन्तु आपको निराश होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आपकी बुद्धि बहुत तेज़ है और आगे बढ़ने के रास्ते भी खोज लेती है. आपके स्वभाव में भावुकता अधिक होने के कारण किसी भी कार्य की गहराई तक आप नहीं पहुँच पाते हैं.

अधिक भावुकता के कारण आप एक अच्छे और सच्चे प्रेमी होते हैं. किसी भी सम्बन्ध को बीच में छोड़ना आपकी प्रकृति में नहीं है. आप किसी से प्रेम करेंगे तो पूरे तन मन धन से उसके हो जायेंगे. इसी प्रकार आप दोस्ती भी निभाएंगे. मित्रों को सहयोग देने में आप कभी पीछे नहीं हटते और न हे अपने स्वार्थ की चिंता करते है. आप स्वभाव से चंचल हैं. जलप्रिय होने के कारण आपको तैरना बहुत पसंद है.

इस नक्षत्र में जन्मा व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति सचेत रहता है और अथक प्रयासों द्वारा शीघ्र हे अपनी मंजिल पा लेता है. आप अति साहसी किन्तु अति भावुक होते हैं. तीव्र बुद्धिशाली और बुद्धि के मामलों में आप किसी पर विश्वास नहीं करते. वाकपटुता एवं बातों ही बातों में सामने वाले को मोहित करके अपना काम निकलवाना आपको आपको भली भाँती आता है.

चन्द्रम की चाँदनी आपको बहुत अधिक आकर्षित करती है. कल्पनाशील होने के कारण आप एक अच्छे लेखक , सुन्दर कवी, महान दार्शनिक एवं उच्च कोटि के साहित्यकार एवं भविष्यवक्ता भी हो सकते हैं.

आप मन से शांत एवं धार्मिक स्वभाव के होते हैं. अपने क्षेत्र के पंडित एवं विद्वान् होने के साथ साथ भाग्यशाली और धनि भी होते हैं. पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि है परन्तु इसके गुण गुरु तुल्य बताये गये है. इश्वर में पूर्ण आस्था , भाई बहनों से स्नेहपूर्ण सम्बन्ध एवं अपने से बड़ो का आदर सम्मान आपके स्वभाव में है.

पुष्य नक्षत्र में जन्मी महिलाएं भी बहुत धार्मिक विचारों वाली होती हैं. हर प्रकार के कार्यों में रूचि दिखाना इनके स्वभाव में हे होता है. यह विशाल ह्रदय वाली तथा दयाभाव रखने वाली होती हैं.

स्वभाव संकेत: इस नक्षत्र में जन्मे जातक हमेशा अभ्यासी पाए जाते हैं.

रोग संभावना : फेफड़ों एवं छाती से सम्बंधित रोग, काफ , पीलिया आदि

विशेषताएं

प्रथम चरण : इस चरण का स्वामी सूर्य हैं. पुष्य नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्मा व्यक्ति भाग्यशाली होता है एवं यात्राओं द्वारा धन अर्जित करता है. अपनी प्रतिभा के कारण उच्च वाहन ,विशाल भवन , पद एवं प्रतिष्ठा को प्राप्त करता है.

द्वितीय चरण : इस चरण का स्वामी बुध हैं. पुष्य नक्षत्र के दूसरे चरण में जन्मा व्यक्ति एक से अधिक स्रोतों से धन अर्जित करता है. अपनी वाक्पटुता के कारण पक्ष विपक्ष दोनों से ही मधुर सम्बन्ध बना कर रखता है.

तृतीय चरण : इस चरण का स्वामी शुक्र हैं. पुष्य नक्षत्र के तीसरे चरण में जन्मा व्यक्ति विद्यावान होता है. उच्च शिक्षा प्राप्त कर कई शैक्षणिक उपाधियाँ प्राप्त करता है. ऐसा जातक जिस भी कार्य में हाथ डालता है उसे सफलता अवश्य मिलती है.

चतुर्थ चरण : इस चरण का स्वामी मंगल हैं. पुष्य नक्षत्र के चौथे चरण में जन्मा व्यक्ति धार्मिक स्वभाव वाला होता है अतः जातक धार्मिक और परोपकारी कार्यों में पूर्ण रूचि दिखाते हैं. ऐसा जातक जिस भी कार्य में हाथ डालता है उसे सफलता अवश्य मिलती है.

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