धर्म डेक्स । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से सूर्य (महिलाओं के लिए)

सूर्य (महिलाओं के लिए)
सूर्य एक उष्ण और सतोगुणी ग्रह है,यह आत्मा और पिता का कारक हो कर राज योग भी देता है। अगर जन्म कुंडली में यह अच्छी स्थिति में हो तो इंसान को स्फूर्तिवान,प्रभावशाली व्यक्तित्व, महत्वाकांक्षी और उदार बनाता है।
परन्तु निर्बल सूर्य या दूषित सूर्य होने पर इंसान को चिड़चिड़ा, क्रोधी, घमंडी, आक्रामक और अविश्वसनीय बना देता है।
अगर किसी महिला कि कुंडली में सूर्य अच्छा हो तो वह हमेशा अग्रणी ही रहती है और निष्पक्ष न्याय में विश्वास करती है चाहे वो शिक्षित हो या नहीं पर अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देती है।
परन्तु जब यही सूर्य उसकी कुंडली में नीच का हो या दूषित हो जाये तो महिला अपने दिल पर एक बोझ सा लिए फिरती है। अन्दर से कभी भी खुश नहीं रहती और आस -पास का माहौल भी तनाव पूर्ण बनाये रखती है। जो घटना अभी घटी ही ना हो उसके लिए पहले ही परेशान हो कर दूसरों को भी परेशान किये रहती है।
बात-बात पर शिकायतें, उलाहने उसकी जुबान पर तो रहते ही हैं, धीरे -धीरे दिल पर बोझ लिए वह एक दिन रक्त चाप की मरीज बन जाती है और न केवल वह बल्कि उसके साथ रहने वाले भी इस बीमारी के शिकार हो जाते है।
दूषित सूर्य वाली महिलायें अपनी ही मर्जी से दुनिया को चलाने में यकीन रखती हैं सिर्फ अपने नजरिये को ही सही मानती हैं दूसरा चाहे कितना ही सही हो उसे विश्वास नहीं होगा।
सूर्य का आत्मा से सीधा सम्बन्ध होने के कारण यह अगर दूषित या नीच का हो तो दिल डूबा-डूबा सा रहता है जिस कारण चेहरा निस्तेज सा होने लगता है।
सूर्य को जल देना ,सुबह उगते हुए सूर्य को कम से कम पंद्रह -मिनट देखते हुए गायत्री मन्त्र का जाप ,आदित्य-हृदय का पाठ और अधिक परेशानी हो तो रविवार का व्रत भी किया जा सकता है।
संतरी रंग (उगते हुए सूरज) का प्रयोग अधिक करें .
SNC Urjanchal News Hindi News & Information Portal