नमामि गंगे कार्यक्रम को अर्थ गंगा के रूप में विकशित करने की ओर हैं एक नया पहल

*मारकण्डेय महादेव घाट, कैथी पर गांगेय डाल्फिन जलज सफारी का हुआ उद्घाटन*

पुरुषोत्तम चतुर्वेदी की रिपोर्ट

वाराणसी। वाराणसी जनपद में वन्य प्राणी सप्ताह के पांचवें दिन एवं विश्व डाल्फिन दिवस के अवसर पर सोमवार को गोमती गंगा संगम स्थित मारकण्डेय महादेव घाट, कैथी पर गांगेय डाल्फिन जलज सफारी का उद्घाटन किया गया। इस कार्यक्रम में भारतीय वन जीव संस्थान के विशेषज्ञ, गंगा प्रहरी, एन.डी.आर.एफ., वन विभाग के आधिकारी/कर्मचारी, स्कूली बच्चे, गंगा विचार मंच एवं वेस इण्डिया द्वारा भाग लिया गया।

नमामि गंगे कार्यक्रम को अर्थ गंगा के रूप में विकसीत करने की ओर एक नया पहल है, जिसमें स्थानीय नाविक, नेचर गाईड व अन्य पर्यटक सुविधाओं के रूप में रोजगार सृजित करते हुए स्थानीय लोगों के आजीविका में वृद्धि होगी। प्रारम्भिक तौर पर 03 नाव को डाल्फिन कान्सेप्ट पर पेटिंग कर इस कार्यक्रम से जोड़ा गया है, आने वाले दिनों में और अधिक से अधिक नाविक एवं नेचर गाईड को इस योजना से जोड़ते हुए उनका स्वयं सहायता समूह विकसित कर सुव्यवस्थित ईको पर्यटन का विकास किया जायेगा। नाविक एवं नेचर गाईड को इस सम्बन्ध में प्रशिक्षण दिलाकर डाल्फिन एवं अन्य जलीय जीवों के सम्बन्ध में जानकारी एवं क्षमता विकास किया जायेगा साथ ही साथ सुरक्षा व्यवस्था के सम्बन्ध में भी प्रशिक्षण दिलाया जायेगा। वाराणसी जनपद में गांगेय डाल्फिन अधिक संख्या में दिखाई देते हैं, खासकर गंगा गोमती संगम क्षेत्र में अत्यधिक संख्या में डाल्फिन पाये जाते है। इस तरह का व्यवस्थित ईको पर्यटन की सुविधा धार्मिक पर्यटन के साथ उपलब्ध कराये जाने से भारत के राष्ट्रीय जलीय जीव डाल्फिन का संरक्षण हेतु भी बल मिलेगा। इसके साथ ही साथ ईको पर्यटन को बढावा देने की सम्भावना भी सृजित होंगी तथा स्थानीय लोगों के आजीविका में वृद्धि होगी।

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