हिन्दी संस्कृति एवं संस्कार की भाषा है – डॉ0 मानिक चंद

(रामजियावन गुप्ता)

—- एनटीपीसी रिहंद स्टेशन में गैर भाषी हिन्दी कर्मचारियों हेतु आयोजित की गई ऑनलाइन हिन्दी कार्यशाला

बीजपुर (सोनभद्र) एनटीपीसी परियोजना के रिहंद स्टेशन में हिन्दी के संवर्धन हेतु मनाए जा रहे हिन्दी पखवाड़े के दौरान गुरुवार को गैर हिन्दी भाषी कर्मचारियों हेतु ऑनलाइन हिन्दी कार्यशाला का आयोजन किया गया । आयोजन में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित कार्यकारी निदेशक (रिहंद) बालाजी आयंगर ने अपने संबोधन में सभी से आग्रह किया कि वे सभी कारयालयीन काम-काज एवं बोल-चाल की भाषा में अधिक से अधिक हिन्दी भाषा का प्रयोग करें । इस आयोजन में बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ, एनटीपीसी कैंपस शक्तिनगर, सोनभद्र के हिन्दी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ0 मानिक चंद पाण्डेय ने अपने वक्तव्य के जरिए कहा कि हिन्दी संस्कृति एवं संस्कार की भाषा है । जो मानवता एवं परंपरा को प्रबल बनाती है । हिन्दी भाषा की जितनी बड़ी शब्द सम्पदा है वह और किसी भाषा में देखने को नहीं मिलती । हिन्दी ही ऐसी भाषा है जो संसार की सभी भाषाओं के शब्दों को अपने में समाहित कर लेती है ।

श्री पाण्डेय ने कहा कि बाजरवाद की संस्कृति के दौर में हिन्दी की ताकत बढ़ी है । सामाजिक, राजनीतिक, मनोरंजन, मीडिया, उत्पादन, सिनेमा के साथ-साथ रोजगार के क्षेत्र में भी हिन्दी ने अपना एक सुनिश्चित स्थान बना लिया है । हम सभी को हिन्दी के ऊपर गर्व करना चाहिए । उन्होने कहा कि अब हिन्दी अपनी गति पकड़ चूकी है । हिन्दी का इतिहास गौरवशाली है । यह कबीर, मीरा, शंकरदेव, सरला आदि की साधना का परिणाम तथा क्रांतिकारियों की अमर वाणी है ।

कार्यक्रम के शुरुआती दौर में कर्मचारी विकास केंद्र के प्रबंधक संतोष कुमार विश्वकर्मा ने ऑनलाइन कार्यशाला में सर्वप्रथम मुख्य वक्ता डॉ0 पाण्डेय, का संक्षिप्त परिचय लोगों के समक्ष रखते हुए कार्यशाला में भाग लेने वाले कर्मचारियों का स्वागत किया ।

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