‘कोरोना शतक’पुस्तक का लोकार्पण-कार्यक्रम सम्पन्न

सोनभद्र।’कोरोना शतक’ का लोकार्पण-कार्यक्रम सम्पन्न।इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिलाधिकारी एस0 रामलिंगम् एवं पुलिस अधीक्षक, सोनभद्र आशीष श्रीवास्तव की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में कवि-आलोचक एवं इतिहासकार डॉ. जितेन्द्र कुमार सिंह ‘संजय’ की सद्यः प्रकाशित पुस्तक ‘कोरोना शतक’ का लोकार्पण-कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

पुस्तक-लोकार्पण के पश्चात् सर्वप्रथम रचनाकार डॉ. जितेन्द्र कुमार सिंह ‘संजय’ ने ‘कोरोना शतक’ की रचना-प्रक्रिया और प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारतीय पुराणेतिहास में इस तरह की महामारियों का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया हैं । ‘चरकसंहिता’ और ‘सुश्रुतसंहिता’ में भी महामारियों की प्रकृति और उससे बचाव का निर्देश प्राप्त होता हैं ।

ज़िलाधिकारी एस. रामलिंगम् ने कहा कि कोरोना एक ऐसी वैश्विक महामारी है, जिसका सही इलाज प्रारम्भ में किसी को ज्ञात नहीं था, किन्तु चिकित्सकों ने बड़े धैर्य के साथ काम किया। भारत जैसे बृहद् जनसंख्यावाले राष्ट्र में प्रधानमन्त्री की नेतृत्व-क्षमता का अभूतपूर्व परिणाम देखने को मिला। इस महामारी से बचने का एकमात्र विकल्प लॉकडाउन ही हैं । सामाजिक समरसता के साथ-साथ शारीरिक दूरी को बनाये रखकर ही इससे बचा जा सकता हैं । प्रातिभा कवि डॉ. जितेन्द्र कुमार सिंह ‘संजय’ ने लॉकडाउन का बहुत सुन्दर उपयोग किया हैं । आज नहीं तो कल, कोरोना काल समाप्त हो जायेगा। जब ज़िन्दगी की गाड़ी व्यवस्था की सड़क पर अच्छे से चलने लगेगी, उस समय जितेन्द्र जी का ‘कोरोना शतक’ ही इस महामारी की भयावहता को प्रामाणिक रूप से जानने का एकमात्र प्राथमिक स्रोत होगा। इसी क्रम में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पुलिस अधीक्षक, सोनभद्र आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि ‘कोरोना शतक’ एक क्लासिकल काव्य है। इसमें जहाँ कवि की काव्य-प्रतिभा के दर्शन होते हैं, वहीं विस्तृत भूमिका एवं तीन परिशिष्टों के माध्यम से महामारी का प्रामाणिक दस्तावेज़ प्रस्तुत किया गया हैं । हिन्दी में कोरोना महामारी पर यह एकमात्र पुस्तक हैं । इसका जितना महत्त्व आज हैं, उससे कई गुना ज़्यादा भविष्य में इसकी भूमिका चरितार्थ होगी।

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