धर्म डेक्स । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से रक्षाबंधन मुहूर्त……
भाई बहन के पावन रिश्ते का त्योहार रक्षाबंधन हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा युगों से मनाया जा रहा है इस त्योहार के माध्यम से भाई बहन के बीच आपसी जिम्मेदारी और स्नेह में वृद्धि होती है।
रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है।
रक्षाबंधन के मौके पर अक्सर भद्रा काल में राखी नहीं बांधी जाती है लेकिन इस साल भी पिछले साल की ही तरह भद्रा सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगी।
भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व रक्षाबंधन का त्योहार श्रावणी पूर्णिमा 3 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन पूर्णिमा तिथि रात्रि 8.21 तक होने से यह त्योहार पूरे दिन मनाया जाएगा।
शास्त्रानुसार रक्षाबंधन में भद्रा टाली जाती है, जो इस बार पूरे दिन नहीं है। चार साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है तब रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा।
रक्षाबंधन शुभ समय
रक्षा बंधन का पर्व श्रावण मास में उस दिन मनाया जाता है जिस दिन पूर्णिमा अपराह्ण काल में पड़ रही हो। हालाँकि आगे दिए इन नियमों को भी ध्यान में रखना आवश्यक है–
1👉 यदि पूर्णिमा के दौरान अपराह्ण काल में भद्रा हो तो रक्षाबन्धन नहीं मनाना चाहिए। ऐसे में यदि पूर्णिमा अगले दिन के शुरुआती तीन मुहूर्तों में हो, तो पर्व के सारे विधि-विधान अगले दिन के अपराह्ण काल में करने चाहिए।
2👉 लेकिन यदि पूर्णिमा अगले दिन के शुरुआती 3 मुहूर्तों में न हो तो रक्षा बंधन को पहले ही दिन भद्रा के बाद प्रदोष काल के उत्तरार्ध में मना सकते हैं। यद्यपि पंजाब आदि कुछ क्षेत्रों में अपराह्ण काल को अधिक महत्वपूर्ण नहीं माना जाता है, इसलिए वहाँ आम तौर पर मध्याह्न काल से पहले राखी का त्यौहार मनाने का चलन है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार भद्रा होने पर रक्षाबंधन मनाने का पूरी तरह निषेध है, चाहे कोई भी स्थिति क्यों न हो।
ग्रहण सूतक या संक्रान्ति होने पर यह पर्व बिना किसी निषेध के मनाया जाता है।
ज्योतिष पंचांगों के अनुसार पूर्णिमा तिथि का आरम्भ 2 अगस्त 2020 को प्रात:काल 09:27 से होगा और 3 अगस्त 21:25 तक व्याप्त रहेगी। 3 अगस्त को भद्रा प्रात: काल 09:27 तक ही रहेगा। इसके बाद भद्रा मुक्त समय होने से रक्षाबंधन संपन्न किया जाएगा। यदि भद्रा काल में यह कार्य करना हो तो भद्रा मुख को त्यागकर भद्रा पुच्छ काल में इसे करना चाहिए। 3 अगस्त को रक्षाबंधन का समय- 09:27 से 21:16 और शुभ मुहूर्त- 13:45 से 16:25. तक रहेगा. रक्षा बंधन के लिए प्रदोष काल समय 19:05 से 21:16 तक रहेगा।
भद्रा पुच्छ प्रात:काल 05:15 से 06:07 तक, और भद्रा मुख का समय 06:27 से 08:27 तक होगा।
वैसे तो रक्षा बंधन का मुहूर्त सुबह 05:27 से शाम 21:16 तक रहेगा लेकिन स्थानीय मान्यताओं अनुसार कुछ लोग शुभ चौघड़िए या अभिजीत मुहूर्त देखकर भी राखी बांधते है उनकी सुविधा अनुसार चौघड़िया और अभिजीत मुहूर्त भी दिए जा रहे है।
चौघड़िया अनुसार राखी बांधने का शुभ समय
प्रातः 05:27 से 07:06 तक अमृत
दिन 08:45 से 10:24 तक शुभ
दिन 03:21 से 05:09 तक लाभ
सायं 05:09 से 06:39 तक अमृत
11:56 से 12:50 तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा अन्य समय की अपेक्षा इस समय राखी बांधना ज्यादा शुभ रहेगा।
रक्षाबंधन के विशेष उपाय
यदि आप बहनो का कोई भाई ज्यादा बीमार रहता हो या किसी अन्य परेशानी में हो तो निम्न उपाय करना चाहिए।
रक्षा बंधन के दिन राखी बांधने से ठीक पहले अपनी दायीं मुट्ठी में पीली सरसों (1चम्मच) व 7 लोंग लेवे।
उस सामग्री को भाई के ऊपर से एन्टी क्लॉक वाइज 27 बार लगातार उल्टा उसार देवे। फिर उसी वक्त उस सामग्री को गर्म तवे पर डाल कर ऊपर से कटोरी उल्टी रखे। जब सारी सामग्री काले रंग की हो जाये तब नीचे उतार लेवे व चौराहे पर किसी से फिकवां देवे। खुद नही फेके।
ध्यान रहे सरसो व लोंग आपको अपने घर से लेकर जाने है यदि आप शादी सुदा है तो । अन्यथा खुद ही बाजार से नए खरीदे। घर के काम मे नही लेवे। उपाय के बाद तवे को भी अच्छे से धो लें सरसो उसरने के बाद ज्यादा देर घर मे ना रखें तुरंत बाहर ले जाएं।
इस उपाय को राखी के दिन ही करना है। पुनरावृत्ति न करे।