हिन्दी भाषा में है रोजगार की अनंत सम्भावनाएं- प्रो० दीक्षित

प्रयागराज-लवकुश शर्मा

प्रयागराज-नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार “आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना और हिन्दी की भूमिका” में केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के अध्यक्ष प्रो० उमापति दीक्षित ने मुख्य वक्ता के रुप में कहा कि हिंदी जनमानस की भाषा है।

हिंदी रोजगार की भाषा है। हिंदी में रोजगार की अनंत संभावनाएं हैं इसलिए हिंदी की ताकत किसी भी भाषा से कम नहीं आंकी जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा लगभग 55 से अधिक भारतीय भाषाओं एवं बोलियों के अध्येता कोश तैयार कराए गए हैं।

आने वाले समय में हिंदी इंटरनेट में प्रमुख भाषा होगी। वेबिनार को सम्बोधित करते हुए कुलाधिपति जे०एन० मिश्र ने कहा कि हमें भाषा के भ्रमजाल में ना पड़कर सभी स्थानीय बोली एवं भाषा को सम्मान देते हुए आगे बढ़ना चाहिए। वेबिनार में सर्वप्रथम अतिथियों का स्वागत सम्बोधन डॉ० हिमांशु शेखर सिंह ने किया तत्पश्चात वेबिनार के उद्घाटन सम्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ० एस०सी० तिवारी ने कहा कि आज गांव को आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है। श्रम शक्ति को व्यवस्थित करना चाहिए और श्रम का सम्मान होना चाहिए। आत्मनिर्भर भारत पुन: सोने की चिड़िया बनेगा। कार्यक्रम में बीज वक्तव्य देते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर कुमुद शर्मा ने कहा कि हिंदी एकता का पर्याय है हिंदी जन-जन की भाषा है भारत ने अपनी स्वाधीनता के सपने हिंदी में ही देखे थे। हैम्बर्ग विश्वविद्यालय,जर्मनी से डॉ० राम प्रसाद भट्ट ने अपने व्याख्यान में कहा कि भाषा किसी भी समाज का सूक्ष्मतम रूप है किंतु सर्वाधिक उपयोग भाषा का ही होता है। भाषा राजनीति को आकार देती है। नेशनल युनिवर्सिटी आफ सिंगापुर से विशिष्ट वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ संध्या सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत में हमारी क्या भूमिका हो सकती है यह हमें सोचना होगा। आत्मनिर्भर बनने में हिंदी बाधक नहीं बल्कि साधक है। योग आयुर्वेद एवं नामकरण से हिंदी बाजार की ओर पहुंची है और रोजगार का जरिया बन रही है। टोक्यो युनिवर्सिटी जापान से डॉ० श्यामसुंदर पांडेय ने अपने संबोधन में कहा कि हमें अपने देश में निर्मित सामानों का पूरे मन से उपयोग करना चाहिए। अधूरे एवं निराश मन से कोई लड़ाई नहीं जीती जा सकती है अपनी भाषा के माध्यम से हम यह कार्य बाखूबी कर सकते हैं। संगोष्ठी का संचालन एवं संयोजन डॉ० हिमांशु शेखर सिंह ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ सब्यसाची ने किया। इस अवसर पर तीन सौ से अधिक प्रतिभागियों ने देश-विदेश से ऑनलाइन हिस्सा लिया। रविवार को संगोष्ठी का द्वितीय एवं समापन सत्र आयोजित किया जाएगा, जिसमें विभिन्न देशों के हिंदी के ख्यातिलब्ध विद्वान संबोधित करेंगे।

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