जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से बच्चों का बिस्तर पर पेशाब करना

स्वास्थ्य डेस्क। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से बच्चों का बिस्तर पर पेशाब करना



यह रोग अधिकतर बच्चों में पाया जाता है। इस रोग से पीड़ित बच्चा रात को सोते समय बिस्तर पर पेशाब कर देता है। अक्सर 2 वर्ष तक के बच्चे इस रोग से ज्यादा ग्रस्त होते हैं। लेकिन अगर 3 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले बच्चों को भी इस प्रकार की शिकायत बनी रहे तो उस अवस्था को असंयतमूत्रता कहते हैं।
यह अवस्था लड़कियों की अपेक्षा लड़कों तथा 3 वर्ष से 14 वर्ष की आयु वाले बच्चों में अधिक पाया जाता है। कई बच्चों में तो यह रोग इतना अधिक बढ़ जाता है कि बच्चे सोते ही बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं तथा कुछ पहली नींद आते ही तथा कुछ आधी रात के बाद या सुबह होने से कुछ घंटे पहले ही पेशाब कर देते हैं।

कुछ बच्चों में यह रोग मौसम के अनुसार होता है जैसे- सर्दियों और बरसात के मौसम में। यह रोग उन बच्चों को अधिक होता है जिन्हें नींद अधिक आती है।
बच्चों का थोड़ा बड़े होने पर पेशाब करना एक आम समस्या है।इस समस्या के बहुत से कारण हो सकते हैं। कई अनुभवियों के अनुसार स्नायु विकृति के कारण या पेट में कीड़े होने पर भी बच्चे सोते हुए बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं।
पेशाब की नली में रोग के कारण भी बच्चा सोते हुए पेशाब कर देता है।कई बार कुछ गरिष्ठ भोजन व ठंडे पदार्थों के अधिक सेवन से भी यह समस्या उत्पन्न हो जाती है।
इस समस्या को समाप्त करने के लिए कोई भी औषधि देने से पूर्व माता-पिता को बच्चे के भोजन की कुछ आदतें सुधारनी जरूरी हैं।बच्चों को सोने से एक घंटा पहले भोजन करा देना चाहिए और सोने के बाद उसे जगाकर कुछ भी खाने-पीने को नहीं देना चाहिए।
बच्चे को बिस्तर पर जाने से पहले एक बार पेशाब अवश्य करा देना चाहिए।
नींद में पेशाब करने के कारण

नींद में पेशाब करने के कई कारण होते है जैसे- बढ़ी हुई उत्तेजना, अधीरता या मानसिक तनाव , शरीर में खून की कमी , शारीरिक रूप से अधिक कमजोर होना तथा कुछ बच्चों को रात में पेशाब करने की आदत पड़ना आदि। इस रोग के अन्य कारण भी हो सकते है जैसे- पेट में कीड़े होना , लिंगमुण्ड की कठोरता, अतिशय अम्लता, शाम को तरल पदार्थों का अधिक सेवन करना या फिर शरीर के मसाने की पेशियों का अनुपयुक्त विकास होना आदि। यह रोग अनेक रोगों के कारण भी हो सकता है जैसे- मधुमेह , पेशाब सम्बन्धी बीमारियों, गिल्टियां, लगातार पीठ के बल लेटना या पेशाब सम्बन्धी बीमारी होना आदि।

नींद में पेशाब करने के उपचार

पचास ग्राम अजवायन का चूर्ण कर लें,प्रतिदिन एक ग्राम चूर्ण को रात को सोने से पूर्व बच्चे को खिलाएं ऐसा कुछ दिनों तक नियमित रूप से करने से यह रोग ठीक हो जाता है।
यदि बच्चा रात को सोते-सोते बिस्तर पर पेशाब करता है तो एक अखरोट की गिरी तथा पांच ग्राम किशमिश रात में सोने से पहले नित्य एक बार खिलाएं। सप्ताह-दस दिन में आराम होगा।
दो मुनक्कों के बीज निकालकर उसमें १-१ काली मिर्च डालकर बच्चों को रात को सोने से पहले खिला दे, ऐसा दो हफ़्तों तक नियमित रूप से सेवन करने से यह बीमारी दूर हो जाती है।
प्रतिदिन दो अखरोट और बीस किशमिश बच्चों को खिलाने से बिस्तर में पेशाब करने की समस्या दूर हो जाती है।
रात को सोते समय बच्चों को शहद खिलाने से यह रोग समाप्त हो जाता है।
जामुन की गुठलियों को छाया में सुखाकर बारीक पीस लें।इस चूर्ण का २-२ ग्राम दिन में दो बार पानी के साथ सेवन करने से बच्चे बिस्तर पर पेशाब करना बंद कर देते हैं।
२५० मिली दूध में एक छुहारा डालकर उबाल लें इसे दो घंटे तक रखा रहने दें इसके बाद इसमें से छुहारा निकाल कर बच्चे को खिला दें और इस दूध को हल्का गर्म करके ऊपर से पिला दें ऐसा प्रतिदिन करने से कुछ ही दिनों में बच्चों का बिस्तर पर पेशाब करना बंद हो जाता है।

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