
बभनी/सोनभद्र (अरुण पांडेय)
घर-घर जाकर उपचार कर रहे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सतबहनी के चिकित्साकर्मियों की टीम।
बभनी।विकास खंड के अंतिम छोर में स्थित जो छत्तीसगढ़ की सीमाओं को जोड़ने वाले गांव हैं वहां स्वास्थ्य व शिक्षा के प्रति जागरूकता का अभाव होने के कारण लोग न ही अपने बच्चों को विद्यालय में भेंजना चाहते हैं और न ही चिकित्सालय में जाना चाहते हैं यहां जनपद का पिछड़ा क्षेत्र होने के कारण लोगों के अंदर अफवाहें व अंधविश्वास भरा होता है इन ग्रामीण क्षेत्रों में लोग महुए की शराब को

प्राथमिकता देते हैं और यदि तवियत खराब हो जाती है तो यहां लोग शिक्षा के अभाव में ओझा खोंजते हैं जो महुए के शराब के नशे में आकर ढोंग रचाते हैं और जिसके कारण पिड़ितों की मौत हो जाती है यहां अगल-बगल के गांवों में शिक्षक घर-घर जाकर बच्चों का नामांकन करते हैं और यहां के लोगों के पास कोई रोजगार न होने पर बच्चों को गाय बकरी चराने के लिए जंगलों में भेंज दिया करते हैं जिससे अध्यापक घर-घर जाकर निवेदन-आग्रह कर बच्चों को विद्यालय ले जाते हैं स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक आशा एएनएम घर-घर जाकर लोगों के बारे में पता करते रहते हैं लोगों को जागरूक कर उनका उपचार करते रहते रहते हैं यहां ग्रामीण अंचलों में लोगआएदिन लोग शराब के नशे में आकर विवाद कर मारपीट करते रहते हैं क्षेत्र के सतबहनी बरवाटोला जौराही कनवा अधौरा समेत दर्जनों गांवों में 60 फीसदी लोग पुरानी परंपराओं के अनुसार आज भी जीवन-यापन कर रहे हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सक अमित तिवारी ने बताया कि डाकआनलाईन के तहत विडियो कान्फ्रेसिंग के द्वारा मरीजों का उपचार कराया जाता है जिसमें आंख कान गला सर्दी खांसी वायरल फीवर समेत 22 रोगों का उपचार किया जाता है और मलेरिया हेमोग्लोबिन ब्लड प्रेशर ब्लड सुगर युरिन टेस्ट समेत अन्य प्रकार की जांच कर उनका उपचार व नि:शुल्क दवा दी जाती है उन्होंने यह भी बताया कि यहां वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर ग्रामीणों में काफी दहशत है जिससे लोग चिकित्सालय भी नहीं आना चाहते हैं जिससे हम नितिन कुमार एलटी सुषमा चौहान एएनएम राज विपिन की संयुक्त टीम के साथ डोर टू डोर जाकर लोगों का उपचार कर उन्हें जागरूक किया जाता है और उन्हें चिकित्सालय आने की सलाह दी जाती है।
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