लखनऊ । भारतीय जनता पार्टी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत मोदी जी द्वारा घोषित किये गए 20 लाख करोड़ रूपये के आर्थिक पैकैज से जन-जन के स्वाबलम्बन, समृद्धि व सहभागिता से समृद्धशाली राष्ट्र नव निर्माण का संकल्प वर्चुअल माध्यम से जन के मन तक पहुंच रहा है और स्वदेशी से स्वाबलम्बी भारत के साथ आत्मनिर्भर भारत का प्रण भी जन-गण के मन में दृढ़ हो रहा है। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने मंगलवार को इंजीनियंरिंग शिक्षा से संबद्ध उत्तर प्रदेश के लोगों से संवाद करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लिया। जिसके साथ पूरा देश खड़ा हो रहा है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत स्वाबलम्बन से अगली कड़ी है। भारत अगले 25 सालों तक युवाओं का देश रहने वाला है। देश के युवा ही देश को विकास की ओर लेकर जाने का इंजन है। कोरोना संक्रमण के आपदा के दौरान हमारे देश के युवाओं ने प्रधानमंत्री के एक आह्वान मात्र पर इनोवेशन के क्षेत्र में क्रांति ला दी। भारत के युवा तकनीकी छात्रों और विशेषज्ञों ने सस्ती और टिकाऊ मेडिकल इक्यूपमेंट बनाकर नया इतिहास रचा है। हमारी क्षमता का मुकाबला भविष्य में हमसे ही होने वाला है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने प्रदेश में तकनीकी शिक्षा से जुड़े लोगों के साथ संवाद में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के एक वर्ष की उपलब्धियों और आत्मनिर्भर भारत निर्माण के लिए चर्चा की। प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने इसकी प्रस्तावना रखी, जबकि सम्मेलन का संचालन प्रदेश महामंत्री गोविन्द नारायण शुक्ला ने किया। एमएचआरडी मंत्री का आभार एसआर इंजीनियरिंग कालेज के पवन सिंह ने किया।
श्री निशंक ने कहा कि लॉकडाउन में आईआईटी, आईआईएम और विश्वविद्यालयों में छात्रों ने प्रयोगशालाओं में जमकर कार्य किया और पीपीई किट, वेंटीलेटर, सैनीटाइजर और उसकी सस्ती मशीनें और मास्क आदि बनाने का काम किया। इतना ही नहीं भारत के इन इंजीनियंरिंग संस्थानों द्वारा बनाई गई मशीनों की बाद केवल दो महीने में भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुआ। भारत में मेडिकल संस्थानों में कोरोनो वायरस को लेकर मनोयोग से शोध कार्य चल रहा है। भारत जल्दी ही वायरस से निपटने का टीका और दवाएं बनाने में सक्षम होगा यह देश के युवाओं ने अपने हुनर से बता दिया है। एमएचआरडी मंत्री ने कहा कि सरकार ने अपने इंजीनियरिंग संस्थानों को रक्षा, रेलवे, जहाजरानी, उड्डयन, स्किल डेवलपमेंट, चिकित्सा, इंजीनियंरिंग आदि मंत्रालयों को लेकर कई प्रोजेक्ट सौंपे जिसमें हमारे छात्रों ने दिखा दिया कि उनके अंदर कितनी इनोवेटिव क्षमता है। इंजीनियंरिंग सस्थानों ने मंत्रालयों के लिए कई रास्ते निकाले। कई क्षेत्रों में भारत को आत्मनिर्भर बनाया। अब हमने उद्योंगों के साथ भी इंजीनियंरिंग को जोडा है जिससे विकास के अनेक मार्ग खुलेंगे। भारत में इंजीनियरिंग शिक्षा से जुड़े शिक्षण संस्थानों की स्थापना का मकसद तकनीकी शिक्षा व शोध को बढ़ावा देना था, ताकि देश के विकास के लिए जरूरी टैक्नोलॉजी तैयार हो सके और भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके। हमें विश्वास है कि देश के तकनीकी संस्थान बहुत जल्दी ही इस दिशा में बेहतर हो जाएंगे। जब हम तकनीकी रूप से आगे होंगे तब भारत को पूरे विश्व में कोई नहीं रोक सकता है क्योंकि हमारे पास विश्व की सर्वश्रेष्ठ मेधा है। भारत में 1100 से अधिक विश्वविद्यालय, 55000 कालेज, 1.09 करोड़ शिक्षक और 7 करोड से अधिक छात्र हैं।
श्री निशंक ने कहा कि देश में इतनी सुविधाएं हैं कि अब छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने की जरूरत नहीं है। छात्रों की क्षमता स्मार्ट हैकथन जैसे कार्यक्रमों में भी दिखाई देती है। इस प्रोग्राम के जरिए इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स को देश के 4500 निकायों और स्मार्ट सिटी में इंटर्नशिप करने का मौका मिलेगा। इस योजना को टय्लिप के द्वारा चलाया जाएगा। इस साल करीब 25,000 स्टूडेंट्स इस प्रोग्राम के तहत इंटर्नशिप कर सकेंगे। जबकि दो से तीन साल में यह संख्या बढ़कर एक करोड़ तक पहुंच जाएगी।