ज्योत्सना महंत ने हसदेव नदी के मुख्य जल ग्रहण क्षेत्र को लेमरू हाथी अभ्यारण्य में शामिल किये जाने उठाई मांग।

▪️राहुल गांधी ने वर्ष 2015 में कोरबा जिले के ग्राम मदनपुर, कुदमुरा दौरे पर आदिवादियों के विस्थापन नही होने का दिलाया था भरोसा, पत्र लिखकर संज्ञान में लेने, की गुजारिश।

▪️प्रदेश में एक गर्भवती हथिनी समेत पिछले तीन दिनों में तीन हाथियों की मौत पर जताई चिंता।

राजेन्द्र जायसवाल की रिपोर्ट

छत्तीसगढ़।कोरबा लोकसभा क्षेत्र की सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत ने छत्तीसगढ़ में बन रहे लेमरू हाथी अभ्यारण्य में हसदेव नदी के मुख्य जल ग्रहण क्षेत्र को शामिल करने की मांग उठाई है।
सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत ने इस संबंध में चिंता जताई कि, मोदी सरकार बड़े पैमाने पर कोल ब्लॉक की नीलामी करने जा रही हैं और राज्य सरकार से कोई परामर्श भी नही है जो संघीय ढांचे पर हमला है। इस नीलामी में हसदेव अभरण्य के भी 5 कोल ब्लॉक शामिल है, जो घने वन क्षेत्र वाले हैं। श्रीमती महंत ने कहा कि वर्ष 2015 में कांग्रेस राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कोरबा जिले के ग्राम मदनपुर, कुदमुरा, पहुचकर आदिवादियो के साथ चौपल लगाकर चर्चा की थी। राहुल जी के निर्देश पर कांग्रेस पार्टी ने इस पूरे वन क्षेत्र में प्रस्तावित कोल खनन परियोजनाओं को सतत एवम स्थायी विकास के विपरीत मानकर आदिवासियों को यह भरोसा दिलाया था कि उनका विस्थापन नही होगा। और इसी लिए इस क्षेत्र को लेमरू हाथी रिजर्व में शामिल कर इसे संरक्षित किया जाएगा।
सांसद ने कहा कि छत्तीसगढ सरकार द्वारा अपना वादा निभाते हुए लेमरू हाथी अभ्यारण बनाने के प्रस्ताव पर केबिनेट में मंजूरी दी गईं हैं। क्षेत्र चयन में किन्हीं कारणों से कोल ब्लॉक वाले सबसे समृद्ध वन क्षेत्र ग्राम मदनपुर एंव कुदमुरा परियोजना में शामिल होने से शेष रह गया है। हसदेव नदी पर स्थित बांगो बांध जो कि जांजगीर और रायगढ़ जिले को सिंचित करता हैं, उसका जल ग्रहण क्षेत्र भी प्रस्तावित रिजर्व में शामिल नही हैं, यदि इस क्षेत्र में कोल खनन शुरू हुआ तो बांध का जल ग्रहण क्षमता पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा। ज्ञात हो कि यह क्षेत्र समृद्ध जैव विविधता वाला भी हैं जिसे बचाया जाना आवश्यक हैं।
सांसद ज्योत्सना महंत ने तत्काल इस मामले कों संज्ञान में लेते हुए कहा कि कोरबा क्षेत्र के आदिवासियों एवं वन्य क्षेत्र तथा वन्य जीवां को संरक्षित करने की नितांत आवश्यकता हैं, जिससे इस सम्पूर्ण हसदेव अभरण्य क्षेत्र को बचाया जा सके।

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