जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से गोमती चक्र प्रयोग विशेष क्या है गोमती चक्र..

जीवन मंत्र । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से गोमती चक्र प्रयोग विशेष क्या है गोमती चक्र..



गोमती चक्र कम कीमत वाला एक ऐसा पत्थर है जो गोमती नदी मे मिलता है। दक्षिण भारत में इसे गोमथी चक्र तथा संस्कृत में धेनुपदी कहा जाता है। पौराणिक काल में यह यज्ञवेदी के चारों ओर लगाया जाता था। राज तिलक के समय इसे सिंहासन के ऊपर छत्र में लगाया जाता था। गोमती चक्र की बनावट अनूठी होती है। गौर से देखने पर इसमें हिन्दी का सात अंक लिखा दिखाई देता है जो राहु का अंक होता है। जल में पाये जाने के कारण यह चंद्र गुणों से भी परिपूर्ण होता है तथा उसके ऊपर सात लिखा होने के कारण राहु संबंधी समस्या दूर करता है। कुंडली में राहु-चंद्र की युति हो तो यह चमत्कारी प्रभाव डालता है। इसके चमत्कारी गुणों से प्राचीन भारत के सभी आम लोग परिचित थे। विभिन्न तांत्रिक कार्यो तथा असाध्य रोगों में इसका प्रयोग होता है। असाध्य रोगों को दुर करने तथा मानसिक शान्ति प्राप्त करने के लिये लगभग 11 गोमती चक्र लेकर रात को पानी में डाल देना चाहिऐ। सुबह उस पानी को पी जाना चाहिऐ । इससे पेट संबंध के विभिन्न रोग दूर होते है।

धन लाभ के लिऐ 21 गोमती चक्र अपने पुजा स्थान मे रखना चाहिऐ उनके सामने ॐ श्री नमः का जाप करना चाहिऐ। इससे आप जो भी कार्य करेंगे उसमे आपका मन लगेगा और सफलता प्राप्त होगी। किसी भी कार्य को उत्साह के साथ करने की प्रेरणा मिलेगी।

गोमती चक्रों को यदि चांदी अथवा किसी अन्य धातु की डिब्बी में सिंदुर तथा अक्षत डालकर रखें तो ये शीघ्र फलदायक होते है। होली, दीवाली, तथा नवरात्रों आदि पर गोमती चक्रों की विशेष पुजा की जाति है। अन्य विभिन्न मुहुर्तों के अवसर पर भी इनकी पुजा लाभदायक मानी जाती है। सर्वसिद्धि योग तथा रविपुष्य योग आदि के समय पुजा करने पर ये बहुत फलदायक है।

कब करें गोमती चक्र की पूजा

होली, दिवाली और नव रात्रों आदिपर गोमती चक्र की विशेष पूजा होती है। सर्वसिद्धि योग, अमृत योग और रविपुष्य योग आदि विभिन्न मुहूर्तों पर गोमती चक्र की पूजा बहुत फलदायक होती है। धन लाभ के लिए 11 या 21 गोमती चक्र अपने पूजा स्थान में लाल आसान देकर रखें तथा उनके सामने ॐ श्रींनमः का काम से कम 51 माला जाप करें। जाप यदि रात्रि काल मे किया जाए तो अधिक उत्तम है।

ऊपरी बाधाओं से मुक्ति के लिये गोमती चक्र प्रयोग

गोमती चक्र कम कीमत वाला एक ऐसा पत्थर है जो गोमती नदी में मिलता है। विभिन्न तांत्रिक कार्यों तथा असाध्य रोगों में इसका प्रयोग होता है। इसका तांत्रिक उपयोग बहुत ही सरल होता है। किसी भी प्रकार की समस्या के निदान के लिए यह बहुत ही कारगर उपाय है।

1 यदि घर में भूत-प्रेतों का उपद्रव हो तो दो गोमती चक्र लेकर घर के मुखिया के ऊपर घुमाकर आग में डाल दें तो घर से भूत-प्रेत का उपद्रव समाप्त हो जाता है।

2 यदि घर में बीमारी हो या किसी का रोग शांत नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर उसे चांदी में पिरोकर रोगी के पलंग के पाये पर बांध दें। उसी दिन से रोगी को आराम मिलने लगता है।

3 प्रमोशन नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर शिव मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ा दें और सच्चे ह्रदय से प्रार्थना करें। निश्चय ही प्रमोशन के रास्ते खुल जाएंगे।

4 व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लेकर उसे बांधकर ऊपर चौखट पर लटका दें और ग्राहक उसके नीचे से निकले तो निश्चय ही व्यापार में वृद्धि होती है।

5 यदि इस गोमती चक्र को लाल सिंदूर के डिब्बी में घर में रखें तो घर में सुख-शांति बनी रहती है।

प्रमोशन के लिए टोटका

प्रमोशन के लिए प्रत्येक सोमवार को शिवजी पर 11 गोमती चक्र कामना बोलते हुए चढाये।

व्यापार बढ़ाने के लिए कुछ टोटके

गोमती चक्र लक्ष्मी का स्वरुप है। 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र एक लाल पोटली में बाँध कर दूकान में रखने से व्यापार अच्छा चलेगा।

बीमारी में गोमती चक्र

यदि बीमार व्यक्ति ठीक नही हो पा रहा हो अथवा दवाइया नही लग रही हो तो उसके सिरहाने पाँच गोमती चक्र “ॐ जूं सः” मंत्र की 41 माला से अभिमंत्रित करके रखे , रोगी को शीघ्र ही स्वाथ्य लाभ होगा।

बीमारी के लिये अभिमंत्रित करने की विधि

साफ पानी से गोमती चक्र को धो कर साफ़ कर लें इसके बाद पूजा स्थल पर विधिवत स्थापित करें। धूप-दीप नेवेद्य अर्पित करें तथा निम्न मंत्र की माला का 108 बार जाप करें – ओम् वाॅ आरोग्यानिकारी रोगानशेषानंम।

जाप के बाद गोमती चक्र अभिमंत्रित हो जाता है, इसे किसी सुरक्षित स्थान पर रख दें तथा नित्य धूप-दीप दिखाते रहें। स्वास्थ्य संबंधी समस्या आने पर एक ग्लास गंगाजल में गोमती चक्र डाल दें तथा उपर्युक्त मंत्र का जाप 21 बार करते हुए रोगी को पिला दें। अभिमंत्रण का प्रभाव तीन वर्ष तक रहता है, इसलिए एक वर्ष बाद दुबारा अभिमंत्रित करें।

गोमती चक्र के अन्य अनुभूत प्रयोग

1 यदि इस गोमती चक्र को लाल सिन्दूर की डिब्बी में घर में रखे, तो घर में सुख-शान्ति बनी रहती है ।

2 यदि घर में भूत-प्रेतों का उपद्रव हो, तो दो गोमती चक्र लेकर घर के मुखिया के ऊपर से घुमाकर आग में डाल दे, तो घर से भूत-प्रेत का उपद्रव समाप्त हो जाता है ।

3 यदि घर में बिमारी हो या किसी का रोग शान्त नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर उसे चाँदी में पिरोकर रोगी के पलंग के पाये पर बाँध दें, तो उसी दिन से रोगी का रोग समाप्त होने लगता है ।

4 व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लेकर उसे बाँधकर ऊपर चौखट पर लटका दें, और ग्राहक उसके नीचे से निकले, तो निश्चय ही व्यापार में वृद्धि होती है ।

5 प्रमोशन नहीं हो रहा हो, तो एक गोमती चक्र लेकर शिव मन्दिर में शिवलिंग पर चढ़ा दें, और सच्चे मन से प्रार्थना करें । निश्चय ही प्रमोशन के रास्ते खुल जायेंगे।

6 पति-पत्नी में मतभेद हो तो तीन गोमती चक्र लेकर घर के दक्षिण में “हलूं बलजाद” कहकर फेंक दें, मतभेद समाप्त हो जायेगा ।

7 पुत्र प्राप्ति के लिए पाँच गोमती चक्र लेकर किसी नदी या तालाब में “हिलि हिलि मिलि मिलि चिलि चिलि हुं ” पाँच बार बोलकर विसर्जित करें।

8 यदि बार-बार गर्भ नष्ट हो रहा हो, तो दो गोमती चक्र लाल कपड़े में बाँधकर कमर में बाँध दें।

9 यदि शत्रु अधिक हो तथा परेशान कर रहे हो, तो तीन गोमती चक्र लेकर उन पर शत्रु का नाम लिखकर जमीन में गाड़ दें।

10 कोर्ट-कचहरी में सफलता पाने के लिये, कचहरी जाते समय घर के बाहर गोमती चक्र रखकर उस पर अपना दाहिना पैर रखकर जावें ।

12 भाग्योदय के लिए तीन गोमती चक्र का चूर्ण बनाकर घर के बाहर छिड़क दें ।

13 राज्य-सम्मान-प्राप्ति के लिये दो गोमती चक्र किसी ब्राह्मण को दान में दें ।

14 तांत्रिक प्रभाव की निवृत्ति के लिये बुधवार को चार गोमती चक्र अपने सिर के ऊपर से उबार कर चारों दिशाओं में फेंक दें ।

15 चाँदी में जड़वाकर बच्चे के गले में पहना देने से बच्चे को नजर नहीं लगती तथा बच्चा स्वस्थ बना रहता है ।

16 दीपावली के दिन पाँच गोमती चक्र पूजा-घर में स्थापित कर नित्य उनका पूजन करने से निरन्तर उन्नति होती रहती है ।

17 रोग-शमन तथा स्वास्थ्य-प्राप्ति हेतु सात गोमती चक्र अपने ऊपर से उतार कर किसी ब्राह्मण या फकीर को दें।

18 11 गोमती चक्रों को लाल पोटली में बाँधकर तिजोरी में अथवा किसी सुरक्षित स्थान पर सख दें, तो व्यापार उन्नति करता जायेगा।

19 किसी भी महीने के पहले सोमवार को 21 गोमती चक्र लाल या पीले रेशमी कपड़े में बांधकर रूपया-पैसा रखने वाले स्थान पर रख दें। हल्दी से उस पर तिलक करें। इसके बाद मन ही मन देवी लक्ष्मी से अपने घर में वास करने हेतु याचना करते हुए कपड़े में बंधे गोमती चक्र लेकर पूरे घर में घूमें इसके बाद घर से बाहर निकलकर किसी मंदिर में रख दें।

20 यदि पैसा हाथ में नहीं ठहरता हो तो शुक्रवार को 21 गोमती चक्र लेकर लाल कपड़े में बांध कर पूजा स्थल पर रखें तथा पूजा करें। अगली सुबह उसमें से चार गोमती चक्र लेकर घर के चारो कोनो में गाड़ दें, 11 पूजा स्थल में रखें तथा बाकि 10 निकट के मंदिर में रख दें।

21 यदि अत्यधिक परिश्रम के बाद भी आर्थिक स्थिति में सुधार न हो रहा हो तो शुक्ल पक्ष के पहले गुरूवार को घर के पूजा स्थल में लक्ष्मी-नारायण के चित्र या मूर्ति के आगे 21 गोेमती चक्र पीले या लाल कपड़े में बांध कर रख दें । व लक्ष्मी-नारायण जी से अपने ऊपर कृपा करने की याचना करें तथा ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र की तीन माला का रोजाना जाप करें। लगातार सवा महीने तक जाप करने के बाद एक वृद्ध तथा एक कन्या को भोजन करवाएं और दक्षिणा देकर विदा करें।

22 आमदनी कम हो गई हो तो 8 कौड़ी, 8 गोमती चक्र, 8 लाल गुुुंजा दक्षिणावर्ती शंख में डालकर अपने पूजा स्थल पर स्थापित करें। विधिवत पूजन के बाद ओम श्रीं नमः मंत्र की 51 माला का जाप करें तथा पूजा के बाद लाल कपड़े में बांध कर गल्ला अथवा धन रखने वाले स्थान पर रख दें। आमदनी के नए रस्ते बनेंगे व पुराने कारोबार में वृद्धि होने लगेगी।

शत्रुओं से परेशान हैं तो दीपावली के दिन अर्ध रात्रि में पूजा स्थल पर 6 गोमती चक्रों पर अपने शत्रु का नाम बोलते हुए सिंदुर लगाएं तथा किसी सुनसान जगह पर ले जाकर गाड़ दें। अथवा होलिका दहन के समय सिर्फ 1 गोमती चक्र चक्र हाथ में लेकर अपने दुश्मन का नाम बोलकर जलती हुई होलिका में डाल दें।

घर गृह कलह की चपेट में हो तो किसी डिब्बी में पहले सिंदूर भर दें तथा उसके ऊपर 3 गोमती चक्र रखकर ढक्कन बंद कर दें। अब इसे कहीं छुपाकर रख दें।

गोमती चक्र को प्रयोग ने लेने से पहले अभिमंत्रित करना अत्यंत आवश्यक है इन्हें अभीमंत्रित करने में संबंधित कामना का जप ही एकमात्र विकल्प है। इसलिये इन्हें अभिमंत्रित करने के समय शुद्धता एकांत का विशेष ध्यान रखें। जप काल मे मन को एकाग्र रखें।

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