जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से हम बीमार क्यों होते हैं

स्वास्थ्य डेस्क । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से हम बीमार क्यों होते हैं



इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि हमारा शरीर पंचभूतों से निर्मित है। मानव के अतिरिक्त मानव उपयोगी समस्त जीवों का शरीर भी पंचभूतों से ही निर्मित है। वर्तमान चिकित्सा पद्धतियाँ आज के समय रासायनिक तरीकों से चिकित्सा करती हैं , उन्हें पंचभूत को संतुलित करने का कोई ज्ञान नहीं है। आज के समय मानव निर्मित सारे पंचभूत चाहे वह मिट्टी हो , जल हो , वायु हो , अग्नि हो या आकाश हो सब कुछ दूषित हो चुका है।

हमारे महान ऋषि-मुनियों की प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों में पंचभूतो को ध्यान में रखकर चिकित्सा की जाती थी। हमें हमारे वातावरण के अनुरूप आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का ज्ञान हमारे ऋषि-मुनियों से मिला जो मानव की नाड़ी देखकर यह ज्ञात कर लेते थे कि हमारे शरीर का कौन सा पंचभूत असंतुलित है और उसके अनुरूप ही वो चिकित्सा करते थे।

विश्व में यदि कहीं भी चिकित्सा का ज्ञान सर्वप्रथम उद्भव हुआ तो वह हमारा देश आर्याव्रत भारत वर्ष ही है। सर्वप्रथम पूरे विश्व को ज्ञान हमारे महान ऋषि-मुनियों ने दिया चाहे वह आध्यात्मिक क्षेत्र हो या आयुर्वेदिक क्षेत्र। यदि किसी भी व्यक्ति को ज्ञान ना हो तो वह व्यक्ति उस ज्ञान को जानने का प्रयास करता है लेकिन यहाँ उल्टा हुआ। अनेक विदेशी लुटेरों ने हमारे ज्ञान को लूटा और हमारे अस्तित्व को मिटाने के लिए उसमे आग लगा दी। वर्षों तक हमारे ज्ञानपीठ गुरुकुल तक्षशिला की पुस्तके आग में धू-धू करके जलती रही , इतना ही नहीं बचा खुचा ज्ञान और हमारी संस्कृति को नष्ट करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।

अब प्रश्न यह उठता है जिस धरती को हम अपनी माँ मानते हैं उस धरती पर प्रतिदिन लाखों लीटर रासायनिक जहर डाला जा रहा है ..? ऐसा क्यों…? विदेशों से प्रतिवर्ष अरबों टन कचरे को लाकर हमारी धरती को मरुस्थल बनाया जा रहा है। क्या हमारी यही संस्कृति है कि हम अपनी माँ को जहर दें , उसे कूड़ाघर बनाकर दूषित कर दें। हमारे देव तत्व जल , अग्नि , वायु और आकाश सब कुछ दूषित हो चुके हैं। पूरी नदियों में उद्योंगो के कचरे को डालकर गंदे नाले के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। वायु में असंख्य कीटनाशक रसायन , रेडियोएक्टिव पदार्थ डालकर वायु को दूषित किया जा रहा है। रेडियोएक्टिव तरंगो द्वारा आकाश तत्व को दूषित किया जा रहा है। हमारे शास्त्रों में लिखा है अनावश्यक रूप से अग्नि का प्रयोग ना करें , लेकिन चाहे हमें बीडी -सिगरेट जलाना हो या बड़े-बड़े उद्योग कारखाने चलाने हो , आवश्यकता हो या ना हो हमेशा अग्नि को जलाया जाता है।

इन सब बातों का हमारे स्वास्थ्य और चिकित्सा से गहरा सम्बन्ध है , हमारी संस्कृति और सभ्यता में जहाँ प्रकृति के संतुलन की बात कही गयी है वहीँ आज बिना कारण के भी दुरुपयोग करके पंचभूतों को दूषित किया जा रहा है। आज इस दूषित पंचभूत को ठीक करना मानव के बस की बात नहीं है फिर कौन करेगा इसे सही…?

यह जिम्मेदारी हमसे अधिक सरकार की है लेकिन सरकार तो अंग्रेजी उपभोगों की आदी है उसको हमारे स्वास्थ्य से कुछ मतलब नहीं …

यदि हमें स्वस्थ्य रहना है तो इस ओर हमें ही ध्यान देना होगा। इस सृष्टि में पंचभूतों को शुद्ध करने का एक ही विकल्प है वह है गौ-माता , लेकिन सरकार ने गौ को भी बचाने का कोई प्रयास नहीं किया है इसको बचाने का कार्य हमें करना होगा अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब मानव का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा।

मानव को बीमारियों से बचने के लिए 21% आक्सीजन की जरुरत है। यदि शरीर में आक्सीजन की कमी हो जाती है तो कैंसर होता है। आजकल शहरों में बढ़ते प्रदूषण के कारण 14 -15 % से अधिक आक्सीजन नहीं मिलता है जिसके कारण शरीर को ना तो पूरा आक्सीजन मिलता है और ना ही शुद्ध रक्त। शरीर की कोशिकाएं तीव्रता से मरती हैं , जिनको पुनर्जीवित करना असंभव है।

गाय की पूरी शारीरिक संरचना विज्ञान पर आधारित है। गाय से उत्सर्जित एक-एक पदार्थ में ब्रह्म उर्जा , विष्णु उर्जा और शिव उर्जा भरी हुई है। गाय को आप कितने ही प्रदूषित वातावरण में रख दीजिये या कितना ही प्रदूषित जल या भोजन करा दीजिये गाय उस जहर रूपी प्रदूषण को दूध , दही , गोबर , गौ-मूत्र , या साँस के रूप में कभी बाहर नहीं उत्सर्जित करती है बल्कि गाय उसे अपने शरीर में ही धारण कर लेती है। आपको जो भी देगी विशुद्ध देगी।

गाय का गोबर👉 गाय के गोबर में 23 % आक्सीजन की मात्रा होती है। गाय के गोबर से बनी भस्म में 45 % आक्सीजन की मात्रा मिलती है। गाय के गोबर में मिट्टी तत्व है यदि आपको परिक्षण के लिए शुद्ध मिट्टी चाहिए तो गाय के गोबर से शुद्ध मिट्टी तत्व का उदाहरण आपको कही नहीं मिलेगा। आक्सीजन भी भरपूर है यानि गोबर से ही वायु तत्व की पूर्ति हो रही है।

यह ध्यान रखें कि गाय के गोबर की भस्म बनाने का एक तरीका है , तभी आपको परिष्कृत शुद्ध आक्सीजन तथा पूर्ण तत्व मिल पायेगा। गाय के गोबर की भस्म मकर संक्रांति के बाद बनायीं जाती है।

गाय का दूध👉 गाय के दूध में अग्नि तत्व है। तथा इस दूध के भीतर 85 % जल तत्व है।

गाय की दही👉 गाय की दही में 60 % जल तत्व है। गाय की छाछ गाय के दूध से 400 गुना ज्यादा लाभकारी है। इसलिए गाय के छाछ को अमृत कहा जाता है। इसमें इतने अधिक पोषक तत्व होते हैं कि आप सोच भी नहीं सकते है।
छाछ बनाने की अलग-अलग विधियाँ है। छाछ को किस जलवायु में कितनी मात्रा में पानी मिलाकर बनाना है इसका अलग-अलग तरीका है। तभी यह पूरा लाभ प्रदान करती है।

गाय का मक्खन👉 गाय के मक्खन में 40% जल तत्व है। मक्खन अद्भुत है इसके अन्दर भरपूर ब्रह्म उर्जा होती है। ब्रह्म उर्जा के बिना मानव के अन्दर सत्वगुण नहीं आते हैं। विना सत्वगुण के सवेदनशीलता शून्य हो जाती है। मान लीजिये किसी ने गुंडेगर्दी से आपके गाल पर थप्पड़ मार दिया तो आपके अन्दर यदि संवेदनशीलता नहीं है तो आप वर्दास्त कर लेंगे अन्यथा आप उस थप्पड़ का जरुर जबाब देंगे।
आज बाजार में बटरआयल चल रहा यानि दूध से निकाली गयी क्रीम का आयल जो आपके भीतर संवेदनशीलता ख़त्म कर रहा है। भगवान् श्री कृष्ण ने मक्खन के कारण ही इतनी आसुरी शक्तियों का नाश किया।

गोबर और गौ-मूत्र पर आपने अनेक लेख पढ़े होंगें लेकिन अगर आप गौ-भस्म को ध्यान से पढ़ेगें तो पायेंगे कि यह गौ भस्म ( राख ) आपके लिए कितनी उपयोगी है। साधू -संत लोग संभवतः इन्ही गुणों के कारण इसे प्रसाद रूप में भी देते थे। जब गोबर से बनायीं गयी भस्म इतनी उपयोगी है तो गाय कितनी उपयोगी होगी यह आप सोच सकते है। आपको एक लीटर पानी में 10-15 ग्राम यानि 3-4 चम्मच भस्म मिलाना है , उसके बाद भस्म जब पानी के तले में बैठ जाये फिर इसे पी लेना है। इससे सारे पानी की अशुद्धि दूर हो जाएगी और आपको मिलेगा इतने पोषक तत्व। यह लैबोटरी द्वारा प्रमाणित है।
तत्व रूप / ELEMENT FORM

१. ऑक्सीजन O = 46.6 %
२. सिलिकॉन SI = 30.12 %
३. कैल्शियम Ca = 7.71 %
४. मैग्नीशियम Mg = 2.63 %
५. पोटैशियम K = 2.61 %
६. क्लोरीन CL = 2.43 %
७. एल्युमीनियम Al = 2.11 %
८. फ़ास्फ़रोस P = 1.71 %
९. लोहा Fe = 1.46 %
१०. सल्फर S =1.46 %
११. सोडियम Na = 1 %
१२. टाइटेनियम Ti = 0.19 %
१३. मैग्नीज Mn =0.13 %
१४. बेरियम Ba = 0.06 %
१५. जस्ता Zn = 0.03 %
१६. स्ट्रोंटियम Sr = 0.02 %
१७. लेड Pb = 0.02 %
१८. तांबा Cu = 80 PPM
१९. वेनेडियम V=72 PPM
२०. ब्रोमिन Br = 50 PPM
२१. ज़िरकोनियम Zr 38 PPM

आक्साइड रूप :-

१. सिलिकाँन डाइऑक्साइड –
SIO2 = 64.44%
२. कैल्शियम ऑक्साइड
CaO =10.79 %
३. मैग्नीशियम ऑक्साइड
MgO = 4-37 %
४. एल्युमीनियम ऑक्साइड
AI2O3 = 3.99%
५. फास्फोरस पेंटाक्साइड
P2O5 = 3.93%
६. पोटेशियम ऑक्साइड
K2O = 3.14 %
७. सल्फर ऑक्साइड
SO3 = 2.79%
८. क्लोरीन CL=2.43 %
९. आयरन ऑक्साइड
Fe2O3=2.09%
१०. सोडियम ऑक्साइड
Na2O = 1.35 %
११. टाइटेनियम ऑक्साइड
TiO2 = 0.32%
१२. मैंगनीज ऑक्साइड
MnO = 0.17 %
१३. बेरियम ऑक्साइड
BaO = 0.07 %
१४. जिंक ऑक्साइड
ZnO = 0.03%
१५. स्ट्रोंटियम ऑक्साइड
SrO = 0.03%
१६. लेड ऑक्साइड
PbO = 0.02%
१७. वेनेडियम ऑक्साइड
V2O5 = 0.01 %
१८. कॉपर ऑक्साइड
CuO = 0.01%
१९. जिरकोनियम ऑक्साइड
ZrO2 =52 PPM
२०. ब्रोमिन Br = 50 PPM
२१. रुबिडियम ऑक्साइड
Rb2O = 32 PPM शायद आपको मेरी बात समझ में आ चुकी होगी कि शरीर में आक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने के लिए यह गोबार की भस्म कितनी उपयोगी है। इसको बनाने का तरीका है यह प्रतिवर्ष मकर संक्रांति के बाद देशी गाय के गोबर बिना जमीन पर स्पर्श किये किसी कुचालक टोकरी ( प्लास्टिक को छोड़कर ) सूर्योदय से पूर्व गाय के नीचे से लेना होता है। इसके बाद इसे किसी और सुचालक बांस की टोकरी या घास की टोकरी से दबाकर पतला करके तीन घंटे के लिए छोड़ दें जब इसका रस सूख जाए। तो इसके सूखे उपले को घी की बत्ती से जलाकर भस्म बनायीं जाती है।

गाय का दूध👉 गाय के दूध में अग्नि तत्व है। तथा इस दूध के भीतर 85 % जल तत्व है। आजकल 70 % लोग थैलियों का दूध पी रहे हैं जब पूरे भारत में 20 से 22% प्रतिशत ही दूध उपलब्ध है तो बाकी का 80% दूध कहाँ से आ रहा है ….?

डेनमार्क , अर्जेंटीना , मलेशिया आदि अनेक देशों से A1 टाइप दूध का पाउडर भारत आयात करता है फिर उसको प्रोसेस करके उसमे तीव्र रासायनिक जहर ” हाइड्रोजन पराऑक्साइड व सोडियम लोरेन सल्फेट ” मिलाया जाता है। इतना ही नहीं हमारे स्वास्थ्य से पूरी तरफ खिलवाड़ कर रही अनेक डेयरियों में दूध का बहुत बड़ा काला धंधा चलता है उसमे सोयाबीन का दूध , यूरिया था अनेक रसायन मिलाकर कृतिम दूध को तैयार करके बेचते हैं। आप सरकार या सरकार के किसी भी जिम्मेदार कर्मचारी से पूंछेंगे वह नहीं बताएगा। क्योंकि सच्चाई बताने के लिए उन्हें मना किया गया है। जो डेयरी दूध वह आपको पिला रहा है वह जहर युक्त दूध खुद उसके घरो में प्रयोग नहीं होता है।

जो बालक बचपन से ही गाय का दूध पीते है , उनकी बुद्धि तो कुशाग्र होती ही है साथ ही साथ उनका ब्रह्म तेज भी बढ़ता है जिसके कारण उसके अन्दर ” ब्रह्मचर्य ” साधने की शक्ति आ जाती है उसका औरा मंडल बढ़ जाता है। बुद्धि के तीनो रूप धी , धृति , स्मृति असामान्य होती है। इसीकारण उसके भीतर सात्विक गुणों का अधिकता पायी जाती है। उसका पुरुषार्थ तेजोमय होता है।

गौ-मूत्र👉 गाय के मूत्र में विषय में आपने कई बार पढ़ा होगा कि गौ-मूत्र के अन्दर अनेक जीवनपयोगी रासायनिक तत्व हैं। गौ -मूत्र में भगवन धन्वतरि का निवास है , जो देवताओं के वैद्य है। अकेले गौ-मूत्र के अन्दर 70 से भी अधिक विमारियों को ख़त्म करने की शक्ति। गौ-मूत्र ही एक ऐसी औधधि है , जिससे वात-पित्त और कफ नियंत्रित होता है। गौ -मूत्र से टी वी , दमा , अस्थमा , कब्ज , कैंसर , वात व कफ के अनेक पेट रोग ठीक होते हैं। शुद्ध जल का यदि लैबोटरी टेस्ट हो तो गौ-मूत्र से बेहतर कोई दूसरा उदहारण नहीं है। आप गौ-मुख से भी शुद्ध गंगा जल लाओगे तो वहां भी शुद्ध गंगा जल नहीं मिलेगा क्योकि वहाँ की जमीन पर विदेशों का कचरा जमा किया जाता है। यकीन ना हो तो आप लैब में चेक करा लीजिये। गौ-मूत्र विशुद्ध जल का प्रारूप है!

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