हिंदू युवा वाहिनी कार्यकर्ताओं ने बिजली विभाग के खिलाफ जताया विरोध

घण्टों घण्टों बिजली गूल होने से लोगों में मची अफरा-तफरी

ओबरा(सतीश चौबे)

हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं व रहवासियों ने गुरुवार को अघोषित बिजली कटौती के मुद्दे को लेकर बिजली विभाग के खिलाफ सैद्धांतिक विरोध प्रदर्शन किया। संगठन कार्यकर्ताओं ने गाँधीवादी तरीके से हाथों में तख्तियां लेकर बिजली की व्यवस्था को दूरस्त बनाने की अपील उच्चाधिकारीयों से की। हिंदू युवा वाहिनी के जिला कार्य समिति सदस्य समीर माली ने बिजली विभाग के मनमाने रवैये पर विरोध जताते हुए कहा कि क्षेत्र के ओबरा नगर व बिल्ली गांव में आये दिन बिजली की अघोषित कटौती से लोग परेशान हैं। इन दिनों देश में चल रहे लॉकडाउन के कारण लोग अपने घरों में बंद हैं। ऐसे में क्षेत्र में हो रही बिजली कटौती के कारण गर्मी के मौसम में घरों में लोगों को परेशानी हो रही है। अधिकारियों द्वारा अघोषित कटौती की जा रही है। इससे लोगों को भीषण गर्मी में जहां तापमान 45 डिग्री के आसपास दर्ज किया जा रहा है ऐसे में बिजली कटौती लोगों की परेशानी को और बढ़ा रही है। गर्मी के मौसम में बिजली गुल होने से कूलर पंखे बंद रहते हैं। दिन में कई बार बिजली का आना-जाना लगा रह रहा है। चिराग तले अन्धेरा की कहावत इन दिनों तापीय परियोजना से महज दूरी पर रहवासी क्षेत्रों में चीरतार्थ होती देखी जा सकती है। ग्राम पंचायत सदस्य रामलाल जायसवाल ने कहा कि फाल्ट की दशा में नियमित रोस्टर को बन्द किया जाये और फाल्ट की स्थिति में तत्काल गस्त कराकर निर्बाध बिजली शुरु की जाये। बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही से लोगों को 24 घंटे बिजली का लाभ नहीं मिल रहा है। दोपहर में घण्टों लाइट कटे रहने से कामकाज भी बाधित हो रहा है, वहीं इस विकट समस्या के बावजूद पीसीएल के अधिकारीयों व्दारा मनमाने ढ़गं से कार्य करते हुए हेल्पलाइन नम्बरों की सुविधा तक पर विराम लगा दिया गया। इससे प्रदेश सरकार की छवि धुमिल हो रही है। हद तो तब हो जाती है जब शाम के समय जरा सी तेज हवा चलती है तो कई घंटे बिजली आपूर्ति बन्द कर दी जाती है। अघोषित बिजली कटौती से रहवासियों में आक्रोश व्याप्त है। लोगों की यह भी शिकायत है कि जब पानी के आने का समय होता है तब भी बिजली गूल हो जाने से पेयजल का संकट खड़ा हो जा रहा है। सप्ताह से बिजली की समस्या बनी हुई है वहीं अनियमित बिजली कटौती से व्यापक आंदोलन की सुदबुदाहट बढ़ सकती है।

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