वैश्विक संकट के समाधान में भारतीय वैदिकी जीवन पध्दति सिध्द संजीवनी

ओबरा(सतीश चौबे)

महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय व्दारा वर्तमान वैश्विक संकट के समाधान में भारतीय जीवन दर्शन विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय संगोष्ठी के द्वितीय दिवस में शैक्षिक सत्र के सत्राध्यक्ष वेद विद्वान प्रो० राजेश्वर मिश्र, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र, मुख्यातिथि प्रो० दुर्गा प्रसाद मिश्र, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, विशिष्ट अतिथि डॉ० दया शंकर तिवारी, दिल्ली विश्वविद्यालय तथा सारस्वत अतिथि प्रो० हरीश्वर दीक्षित, वेद विभाग , बी० एच० यू०, वाराणसी रहे, इस सत्र में डॉ० विवेक पांडेय, हंडिया पी० जी० कॉलेज, इलाहाबाद, तथाडॉ० अजय कुमार मिश्र, सीधो कान्हो विरजो विश्वविद्यालय, पुरुलिया, पश्चिम बंगाल, के विशिष्ट व्याख्यान हुए, इस ज्ञान सत्र के सभी विद्वानों का एक अभिमत प्रकट हुआ कि भारतीय जीवन दर्शन – वैदिक यज्ञ पद्धति तथा धर्म संवलित आचरण की पद्धति से ही वर्तमान की समस्याओ का समाधान हो सकता है। इस सत्र का संचालन डॉ० अनीता तथा स्वागत विभागाध्यक्ष के द्वारा किया गया। इसके बाद सम्पूर्ति सत्र में सत्राध्यक्ष प्रो० राजाराम शुक्ल, कुलपति सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने भारतीय वैदिकी जीवन पद्धति को ही वर्तमान संकट से उबरने का एक मात्र विकल्प बताया, मुख्यातिथि प्रो० श्रीनिवास वरखेड़ी, कुलपति, कविकुल गुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, रामटेक, महाराष्ट्र ने वर्तमान कोरोना संकट को युग क्रांति का परिचायक कहते हुए भारतीय जीवन शैली की अनिवार्यता पर ज़ोर दिया। विशिष्ट अतिथि आचार्य वाचस्पति मिश्र, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश, संस्कृत संस्थान, लखनऊ ने भारतीय जीवन शैली में शास्त्रों में निर्दिष्ट शुद्धता को वर्तमान कोरोना संकट से सुरक्षा का प्रमुख उपाय बताया। आये हुए अतिथियों के लिए स्वागत व्याहृति तथा धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष प्रो० उमा रानी त्रिपाठी, तथा सत्र संचालन डॉ० दीपक कुमार, संस्कृत विभाग के द्वारा किया गया। इस अवसर पर डा0 अनीता, डा0 सीमा यादव , डा0 उपेन्द्र देव पाण्डेय सहित अनेक विद्वान व तमाम प्रतिभागीगण की उपस्थिति रहे।

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