विश्वविद्यालयों के पास समाज में विश्वसनीयता साबित करने का यह बड़ा अवसर है-राज्यपाल

लखनऊ. आमती आनंदीबेन पटेल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरियें डाॅ० ए०पी०जेज यहाँ राजभवन स्थित कार्यालय मे उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरियें डाॅ० ए०पी०जे० अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार कोविड-19 उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के नयें आयाम का उद्घाटन किया और उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षण प्रक्रिया में ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था को बहुत ही कम समय में लाया गया। इसने शिक्षाशास्त्र के नए प्रारूपों को गति दी है। शिक्षाविदों तथा संस्थानों द्वारा पिछले कुछ सप्ताह में वर्तमान संकट से उपजी परिस्थिति से तालमेल बिठाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किये हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों के पास समाज में विश्वसनीयता साबित करने का यह बड़ा अवसर है कि वे समाज के लिए ज्ञान और विशेषज्ञता के स्रोत के रूप में कार्य कर सकें। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से संबंधित व्यवधान शिक्षकों को शिक्षा के सुधार के क्षेत्र में पुनर्विचार करने का समय दे सकता है। श्रीमती पटेल ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से दुनिया भर में ऐसा कभी नहीं हुआ कि सभी स्कूल और शैक्षणिक संस्थान एक ही समय में और एक ही कारण से लॉकडाउन में गए हैं। कोरोना वायरस का प्रभाव दूरगामी होगा एवं शिक्षा के क्षेत्र में दीर्घावधि में इसका क्या अभिप्राय हो सकता है. इस पर भी पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान संकट के दृष्टिगत विश्वभर के शिक्षा जगत से जुड़े हुए लोग एवं अध्यापक भविष्य की पीढ़ियों को शिक्षित कैसे किया जायें इस पर चिन्तन-मनन करने की आवश्यकता पर बल दिया हैं। राज्यपाल ने कहा कि आज के परिदृश्य में सभी शिक्षाविद अपने दूर-दराज में स्थित विद्यार्थियों से सम्पर्क स्थापित करने की कोशिश में लगातार लगे हुए हैं। इस संदर्भ में यदि देखा जाए तो इस परिस्थिति के आंकलन और विश्लेषण करने का न यह केवल उचित अवसर है, बल्कि वाली पीढ़ियों के अध्ययन की दशा एवं दिशा को तय करने का भी समय है। ज्ञान-धारक के रूप में एक शिक्षक की धारणा जो अपने विद्यार्थियों को ज्ञान प्रदान करती है. अब 21वीं सदी की शिक्षा के उद्देश्य के लिए फिट नहीं है. विशेष रूप से सीखने के चार स्तम्भों ज्ञानयोग. कर्मयोग. सहयोग और आत्मयोग के परिप्रेक्ष्य में अब जब छात्र अपने फोन. टेबलेट अथवा कम्प्यूटर से ज्ञान अर्जित करने एवं तकनीकी कौशल सीखने में सक्षम हैं। तो अब कक्षा में एक शिक्षाविद की भूमिका को पुनःपरिभाषित करने की आवश्यकता है। और कहा कि आज शिक्षा देने के लिए प्रौद्योगिकी का व्यापक प्रयोग आवश्यक हो गया है। शैक्षणिक संस्थान उपलब्ध तकनीकी सामथ्र्य एवं संसाधन का उपयोग कर सभी क्षेत्रों के छात्रो हेतु दूरस्थ शिक्षा सामग्री के विकास के लिए बाध्य हो रहे हैं। छात्रों के लिए शिक्षा तक पहुँच सम्भव हो सके इसके लिए दुनियां भर के शिक्षाविदों को नयी सम्भावनाओं के साथ-साथ नये तरीकों एवं इन्हें पूर्ण तन्मयता के साथ पूरा करने की चेष्टा करनी होगी।
इस अवसर पर प्रो० सतीश कुमार त्रिपाठी प्रेसिडेन्ट बफैलो यूनिवर्सिटी अमेरिका. प्रो० अजय कपूर प्रति कुलपति स्वीनबर्न यूनिवर्सिटी आॅफ टेक्नोलाॅजी आस्ट्रेलिया. प्रो० रिचर्ड फोलैट उप प्रति कुलपति सेसेक्स यूनिवर्सिटी यूनाइटेड किंगडम. प्रो० स्टीफन ओडेन वार्ड प्रो वाईस डीन कैमनीज यूनिवर्सिटी आॅफ टेक्नोलाॅजी जर्मनी. प्रो० संजय गोविन्द धांदे पूर्व निदेशक आईईटी० कानपुर. प्रो० एम०पी० पुनिया वाइस चेयरमैन एआईसीटीई० नई दिल्ली. प्रो० थाॅमस स्टोन प्रधानाचार्य टेक्नोलाॅजिकल यूनिवर्सिटी. डबलिन आयरलैण्ड. श्रीमती राधा एस० चैहान प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर-प्रदेश. प्रो०विनय कुमार पाठक कुलपति डाॅ० ए०पी०जे० अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ. प्रो०विनीत कंसल वेबिनार संयोजक एवं प्रति कुलपति डाॅ० ए०पी०जे० अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ के साथ कुलपतिगण. संस्थानों के चेयरमैन. निदेशक. डीन और अन्य सम्मानित जन भी आॅनलाइन मौजूद रहें।

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