राज्य की अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी में लाने पैकेज में से 10 हजार करोड़ रूपए तत्काल प्रदान करने का आग्रह
*लाॅकडाउन की लंबी अवधि से राज्य में आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित: लाखों परिवारों के सामने आजीविका का संकट
सीएम छत्तीसगढ़ ने कहा: केन्द्र स्तर से जोनों के निर्धारण में व्यवहारिक कठिनाईयां: आर्थिक गतिविधियों के संचालन का अधिकार मिले राज्यों को
नई दिल्ली ।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य को आगामी तीन माहों में 30 हजार करोड़ रूपए का पैकेज शीघ्र स्वीकृत करने का पुनः अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि यदि यह आर्थिक पैकेज स्वीकृत नही किया जाता तो आर्थिक संकट के कारण राज्य के सामान्य काम-काज का संचालन भी संभव नही हो सकेगा। मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में यह भी कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाने के लिए इस पैकेज में से 10 हजार करोड़ रूपए की आर्थिक सहायता तत्काल दी जानी चाहिए ताकि राज्य स्तर पर ही यह निर्णय लिया जा सके की उद्योगों, व्यवसायों, कामगारों, कृषकों और अन्य गतिविधियों को कितनी-कितनी आर्थिक सहायता दी जाए।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने प्रधानमंत्री को पत्र में लिखा है कि देश में कोविड-19 वायरस के संक्रमण के कारण अभूतपूर्व संकट की स्थिति उत्पन्न हुई है। केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा पूर्ण एकजुटता के साथ इस गंभीर आपदा से निपटने के लिए हर संभव प्रयत्न किए जा रहे है। राज्य में 8 मई तक पूर्ण लाॅकडाउन के 48 दिन पूर्ण हो चुके है। अभी भी कोविड-19 वायरस के नए संक्रमितों की संख्या निरंतर बढ़ने से यह प्रतीत होता है कि निकट भविष्य में इस महामारी के पूर्ण नियंत्रित होने अथवा समाप्त होने की संभावनाएं अत्यंत क्षीण है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य में अभी तक तुलनात्मक रूप से कोरोना वायरस के प्रसार की स्थिति अन्य राज्यों से बेहतर है। राज्य में आपदा से निपटने के लिए संपूर्ण तंत्र को यथासंभव सुदृढ़ किया जा रहा है। लाॅकडाउन की लंबी अवधि के कारण राज्य में सभी प्रकार की आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिससे लाखों परिवारों के सामने आजीविका का संकट उत्पन्न हो गया है। भारत सरकार द्वारा वर्तमान में कोरोना वायरस के संक्रमण की स्थिति को देखते हुए जिलों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोनों में विभाजित कर सीमित आर्थिक गतिविधियां आरंभ की गई है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा है कि भारत सरकार के स्तर से विभिन्न जोनों के निर्धारण में व्यावहारिक कठिनाई यह है कि जोन निर्धारण के तत्काल बाद ग्रीन जोन में नये संक्रमितों के मिलने की पूर्ण संभावना है। ऐसी स्थिति में यदि उसे पुनः रेड जोन में लाया जायेगा तो जो थोड़ी बहुत आर्थिक गतिविधियां आरंभ हुई थी वह पुनः बंद हो जाएंगी। लम्बे इंतजार के बाद एक बार किसी आर्थिक गतिविधि को यदि पुनः बंद किया गया तो उससे असंतोष बढ़ेगा तथा अनिश्चितता की स्थिति बनी रहेगी। वर्तमान में यह अनिश्चितता भी बनी हुई है कि 17 मई के पश्चात लाॅडडाउन के संबंध में क्या स्थिति रहेगी। इन सब अनिश्चितताओं को समाप्त करने के लिए आवश्यकता इस बात की है कि हम सभी संभव सावधानियां बरतते हुए आर्थिक गतिविधियों को क्रमशः आरंभ करें। ऐसी स्थिति में यह उचित होगा कि राज्य के अन्दर विभिन्न आर्थिक गतिविधियां के संचालन करने के संबंध में पूर्ण अधिकार राज्यों को सौंप दिए जाएं।
मुख्यमंत्री ने यह भी लिखा है कि उनके द्वारा पूर्व में भी यह अनुरोध किया गया है कि यदि राज्य को आगामी 3 माहों में 30 हजार करोड़ रूपए का पैकेज स्वीकृत नही किया गया तो आर्थिक संकट के कारण राज्य के सामान्य काम-काज का संचालन संभव नही हो सकेगा। राज्य की अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाने के लिए उपरोक्त पैकेज में से 10 हजार करोड़ रूपए की आर्थिक सहायता तत्काल दी जाना चाहिए ताकि राज्य स्तर पर ही यह निर्णय लिया जा सके कि उद्योगों, व्यवसायों, कामगारों, कृषकों और अन्य गतिविधियों को कितनी-कितनी आर्थिक सहायता दी जाए।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने प्रधानमंत्री श्री मोदी से पुनः अनुरोध किया है कि राज्य द्वारा दिए गए सुझावों पर शीघ्र स्वीकृति प्रदान करने का कष्ट करें ताकि शीघ्र अति शीघ्र सामान्य जन-जीवन बहाल हो सके।