जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से (ज्योतिष )अनुसार बृहस्पति का व्यक्तिगत सम्बन्धो पर असर……

धर्म डेक्स। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से (ज्योतिष )अनुसार बृहस्पति का व्यक्तिगत सम्बन्धो पर असर……



बृहस्पति वृद्ध, समझदार और संबंधो को जोड़कर रखने वाला ग्रह है।कुंडली में कई तरह के अशुभ योग और पाप ग्रहो के दुष्प्रभाव के कारण रिश्तों में खराबी और खटास आने लगती है जिस कारण एक समय ऐसा आता है कि वह रिश्ते ख़त्म होने की कतार पर आ जाते है।हर एक रिश्ते का कोई न कोई कारक ग्रह होता है।जैसे सूर्य पिता, चंद्र माँ, मंगल छोटा भाई, बुध बहन, मित्र, बुआ, फूफा, मोसी, मौसा, बृहस्पति दादा, पुत्र गुरु, घर का कोई बुजुर्ग व्यक्ति, शुक्र पत्नी प्रेमिका, शनि चाचा, ताऊ, नोकर संबंधियो का कारक होता है।इसी तरह अलग-अलग भावो से अलग अलग संबंधियो का विचार किया जाता है।यहाँ बात रिश्तों में बृहस्पति के विषय में कर रहा हूँ।।

चौथा भाव माँ के रिश्ते का भाव होता है तो चंद्र सम्बन्ध में माँ का कारक ग्रह है।शनि राहु केतु यह प्रथकता वादी ग्रह या पीड़ा देने वाले स्वभाव के होते है।

चौथा भाव, भावेश और चंद्र पर शनि राहु केतु जैसे ग्रहो का प्रभाव माँ सुख की हानि करने वाला होता है।चौथा भाव, भावेश और चंद्र बहुत ज्यादा कमजोर होकर शनि राहु केतू पृथकतावादी ग्रहो के प्रभाव से माँ सुख में कमी कर देंगे या माँ को दूर कर देंगे, आदि जिससे माँ सुख की हानि होगी और ज्यादा स्थिति चोथे भाव, भावेश और चंद्र की ख़राब होने पर निश्चित ही माँ का सुख नही मिलता।ऐसी स्थिति में चोथे भाव, भावेश और चंद्र का बली गुरु के प्रभाव में होना आपके और आपकी माँ के बीच सुख में वृद्धि कर संबंधो को स्थाई रूप से ठीक तरह से चलाता रहेगा।इसके लिए आवश्यक है गुरु का कुंडली में शुभ स्थिति में होना।शुभ गुरु सुख में वृद्धि करने वाला होता है।जिस भाव, भावेश और कारक संबंधी पर गुरु का शुभ प्रभाव पड़ेगा ऐसे संबंधियो के साथ आपके अच्छे और मधुर सम्बन्ध रहेंगे।पाप ग्रहो का प्रभाव ऐसे भाव, भावेश और कारक ग्रहो संबंधो पर होने से सुख की हानि होकर परेशानिया होती साथ ही सम्बन्ध भी ख़राब होते है।पाप ग्रहो के साथ जहाँ शुभ गुरु का प्रभाव पड़ेगा उस स्थान की हानि नही होती।ऐसी स्थिति में आपके संबंधियो से आपके अच्छे और मधुर सम्बन्ध रहते है क्योंकि गुरु कभी भी स्थिति को बिगड़ने नही देता यह सभी को एकसाथ जोड़कर रखने का काम करता है।इसी कारक गुरु को दोषो का नाश करने वाला और बेहद शुभ ग्रह माना गया कुंडली का शुभ और अनुकूल बृहस्पति कई तरह के अनिष्टों की शांति करने में सक्षम होता है। मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन लग्न के लिए गुरु बेहद शुभ होता है।

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