सोनभद्र। जिला मजिस्ट्रेट एस राजलिंगम ने निषेधाज्ञा अन्तर्गत धारा-144 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तत्काल प्रभाव से जिले की सीमा में पूर्व में जारी निषेधाज्ञाओं में जोड़े गये अतिरिक्त प्राविधानों में तत्काल प्रभाव से परिवर्तन किया है। जिला मजिस्ट्रेट ने जिले में लागू लॉक डाउन व्यवस्था व लॉक डाउन के दौरान प्राप्त सूचना के अनुसार जिले के कतिपय विभागीय अधिकारी ,कार्मिकों अथवा विशिष्ट जनों के द्वारा लॉक डाउन के बावजूद भी नजदीकी जनपदों से विभिन्न कारणों से पास जारी कराते हुए आवागमन को भारत सरकार द्वारा जारी गाइड लाईन और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी निर्देशों का उल्लंघन माना है। जिला मजिस्ट्रेट एस राजलिंगम ने पूर्व में जारी निषेधाज्ञाओं में जोड़े अतिरिक्त प्राविधानों को जरूरी वजहों से निम्नांनुसार बदलाव किया है।1-कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत लॉक डाउन प्रभावी होने के कारण जनपदीय सीमा में जो भी मूवमेन्ट पास लेकर जनपद सीमा से बाहर जाते हैं, वह अन्य जनपदों से होकर वापस आते हैं, ऐसे व्यक्तियों का स्वास्थ्य परीक्षण जनपदीय सीमा पर ही सुनिश्चित किया जायेगा और मेडिकल जॉच टीम के अपेक्षानुसार 14 दिन के होम क्वारंटाइन,इन्स्टीट्यूशनल क्वारंटाइन में रहना अनिवार्य होगा। यह आदेश पास लेकर गैर जनपद से इस जनपद में आने वाले पब्लिक सर्वेन्ट/राजकीय अधिकारी/कर्मचारी पर भी लागू होगा।
2- लॉक डाउन के दौरान मूवमेन्ट पास सहित जो वाहन अन्य जनपदों से सवारी बैठाकर जनपद सोनभद्र की सीमा में प्रवेश करते हैं, ऐसे वाहनों, माल वाहक वाहन सहित सभी प्रकार के वाहनों को जिला मजिस्ट्रेट सोनभद्र के अग्रिम आदेश तक के लिए सीज करते हुए सम्बन्धित थाने की सुपुर्दगी में रखा जायेगा। साथ ही उन वाहनों के सवारियों सहित वाहन चालक मय क्लीनर को भी 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन में रखा जायेगा।3- होम क्वारंटाइन/इन्स्टीट्यूशनल क्वारंटाइन में रखे गये व्यक्तियों के सम्बन्ध में ग्रामीण इलाकों के लिए जिला पंचायत राज अधिकारी निर्धारित प्रारूप में मुख्य चिकित्साधिकारी केकन्ट्रोल रूम के नम्बर-9044883492,9044853492 व ई-मेल आईडी-कलेक्ट्रेट स्थित इन्टीग्रेटेड कन्ट्रोल रूम के सम्पर्क नम्बर- 05444-222384, 8840127444 व ई-मेल आईडी पर अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने का आदेश जारी हुआ है। जिलाधिकारी के निषेधाज्ञा अन्तर्गत धारा-144 दण्ड प्रक्रिया संहिता के किसी भी अंश का उल्लंघन धारा-144 दण्ड प्रक्रिया संहिता एवं आपीसी की धारा-188 व आपदा प्रबन्धन अधिनियम-2005 की धारा-55 के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध होगा।