प्रयागराज: प्रो शाहिद के ओवैसी और मौलाना साद से है नजदीकी सम्बन्ध, कई विदेशीयों से भी हैं संपर्क।
प्रयागराज: दिल्ली के निजामुद्दीन के तब्लीगी जमात में शामिल होकर प्रयागराज लौटे प्रो मोहम्मद शाहिद के मौलाना साद के अलावा ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी से नजदीकी रिश्ते हैं। चार मोबाइल फोन रखने वाले प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद की बीते दो महीने में करीब 70 बार असदुद्दीन ओवैसी से बात हुई है। राजनीति में जाने के बेहद इच्छुक प्रोफेसर शाहिद अक्सर ही प्रयागराज में जमात के साथ नेताओं की छोटी सभा आयोजित करते रहे हैं।
अक्सर आग उगलने वाले हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी बीते लोकसभा चुनाव के दौरान प्रयागराज के करेली में एक सभा की थी। तब उस सभा के आयोजक भी प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद व उनके करीबी लोग ही थे। कई विदेशी भाषाओं के जानकर प्रो मोहम्मद शाहिद के सम्पर्क में मौलाना साद के जमात में आने वाले चार दर्जन से अधिक विदेशी लोग हैं। मोहम्मद शाहिद अपनी विदेशी भाषा के ज्ञान से इनको प्रभावित करने में माहिर है।
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मो. शाहिद कई विदेशी विदेशी भाषाओं के ज्ञाता हैं। वह कई दक्षिण भारतीय भाषा भी बोल लेते हैं। दिल्ली के निजामुद्दीन के तब्लीगी जमात में शामिल होकर घर लौटे प्रोफेसर ने विदेशी जमातियों यहां पर गैर कानूनी ढंग से शरण दी थी। इसी कारण ही उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया और फिर दो दिन पहले उन्हें जेल भेजा गया। प्रोफेसर के साथ रुके 16 विदेशी जमातियों तथा कई स्थानीय लोगों को भी जेल भेजा गया है। प्रोफेसर के मामले में पुलिस की सर्विलांस टीमें और खुफिया एजेंसियां जांच कर रही हैं।
वह अक्सर इस्लाम पर लेक्चर देने विदेशों में आयोजित कांफ्रेंस में जाते रहे हैं। मुस्लिम देशों में अपना वक्त बिताते थे। वह विभाग में पढ़ाई के अलावा किसी शिक्षक से भी ज्यादा बात नहीं करते थे। इविवि सूत्रों की मानें तो मुस्लिम छात्र-छात्राओं के प्रति उनका लगाव अधिक रहता था। यदि समुदाय का कोई शोधार्थी आता तो वह उसे फौरन ले लेते थे। इसके अलावा एएमयू, जेएनयू और जम्मू विवि में इनकी पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है। वहां के शिक्षकों को अक्सर वह बुलाते भी थे। प्रो. शाहिद के बड़े भाई प्रो. एसए अंसारी वाणिज्य विभाग में और भांजा डॉ. कासिफ उर्दू विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।
प्रयागराज से लवकुश शर्मा