धर्म डेक्स। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से वैदिक ज्योतिष में राहु का महत्त्व……
भारतीय वैदिक ज्योतष में राहु को मायावी ग्रह के नाम से भी जाना जाता है तथा मुख्य रूप से राहु मायावी विद्याओं तथा मायावी शक्तियों के ही कारक माने जाते हैं। इसके अतिरिक्त राहु को बिना सोचे समझे मन में आ जाने वाले विचार, बिना सोचे समझे अचानक मुंह से निकल जाने वाली बात, क्षणों में ही भारी लाभ अथवा हानि देने वाले क्षेत्रों जैसे जुआ, लाटरी, घुड़दौड़ पर पैसा लगाना, इंटरनैट तथा इसके माध्यम से होने वाले व्यवसायों तथा ऐसे ही कई अन्य व्यवसायों तथा क्षेत्रों का कारक माना जाता है। नवग्रहों में यह अकेला ही ऐसा ग्रह है जो सबसे कम समय में किसी व्यक्ति को करोड़पति, अरबपति या फिर कंगाल भी बना सकता है तथा इसी लिए इस ग्रह को मायावी ग्रह के नाम से जाना जाता है। अगर आज के युग की बात करें तो इंटरनैट पर कुछ वर्ष पहले साधारण सी दिखने वाली कुछ वैबसाइटें चलाने वाले लोगों को पता भी नहीं था की कुछ ही समय में उन वैबसाइटों के चलते वे करोड़पति अथवा अरबपति बन जाएंगे। किसी लाटरी के माध्यम से अथवा टैलीविज़न पर होने वाले किसी गेम शो के माध्यम से रातों रात कुछ लोगों को धनवान बना देने का काम भी इसी ग्रह का है।
राहु की अन्य कारक वस्तुओं में लाटरी तथा शेयर बाजार जैसे क्षेत्र, वैज्ञानिक तथा विशेष रूप से वे वैज्ञानिक जो अचानक ही अपने किसी नए अविष्कार के माध्यम से दुनिया भर में प्रसिद्ध हो जाते हैं, इंटरनैट से जुड़े हुए व्यवसाय तथा इन्हें करने वाले लोग, साफ्टवेयर क्षेत्र तथा इससे जुड़े लोग, तम्बाकू का व्यापार तथा सेवन, राजनयिक, राजनेता, राजदूत, विमान चालक, विदेशों में जाकर बसने वाले लोग, अजनबी, चोर, कैदी, नशे का व्यापार करने वाले लोग, सफाई कर्मचारी, कंप्यूटर प्रोग्रामर, ठग, धोखेबाज व्यक्ति, पंछी तथा विशेष रूप से कौवा, ससुराल पक्ष के लोग तथा विशेष रूप से ससुर तथा साला, बिजली का काम करने वाले लोग, कूड़ा-कचरा उठाने वाले लोग, एक आंख से ही देख पाने वाले लोग तथा ऐसे ही अन्य कई प्रकार के क्षेत्र तथा लोग आते हैं।
राहु का विशेष प्रभाव जातक को परा शक्तियों का ज्ञाता भी बना सकता है तथा किसी प्रकार का चमत्कारी अथवा जादूगर भी बना सकता है। दुनिया में विभिन्न मंचों पर अपने जादू के करतब दिखा कर लोगों को हैरान कर देने वाले जादूगर आम तौर पर इसी ग्रह के विशेष प्रभाव में होते हैं तथा काला जादू करने वाले लोग भी राहु के विशेष प्रभाव में ही होते हैं। राहु के प्रबल प्रभाव वाले जातक बातचीत अथवा बहस में आम तौर पर बुध के जातकों पर भी भारी पड़ जाते हैं तथा बहस के बीच में ही कुछ ऐसी बातें अथवा नए तथ्य सामने ले आते हैं जिससे इनका पलड़ा एकदम से भारी हो जाता है, हालांकि अधिकतर मामलों में बाद में इन्हें खुद भी आश्चर्य होता है कि ऐन मौके पर इन्हें उपयुक्त बात सूझ कैसे गई। ऐसा आम तौर पर राहु महाराज की माया के कारण होता है कि जातक मौका आने पर ऐसी बातें भी कह देता है जो खुद उसकी अपनी जानकारी में नहीं होतीं तथा अचानक ही उसके मुंह से निकल जातीं हैं।
राहु एक छाया ग्रह हैं तथा मनुष्य के शरीर में राहु वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। ज्योतिष की गणनाओं के लिए ज्योतिषियों का एक वर्ग इन्हें पुरुष ग्रह मानता है जबकि ज्योतिषियों का एक अन्य वर्ग इन्हें स्त्री ग्रह मानता है। कुंडली में शुभ राहु का प्रबल प्रभाव कुंडली धारक को विदेशों की सैर करवा सकता है तथा उसे एक या एक से अधिक विदेशी भाषाओं का ज्ञान भी करवा सकता है। कुंडली में राहु के बलहीन होने से अथवा किसी बुरे ग्रह के प्रभाव में होने से जातक को अपने जीवन में कई बार अचानक आने वाली हानियों तथा समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातक बहुत सा धन कमा लेने के बावजूद भी उसे संचित करने में अथवा उस धन से संपत्ति बना लेने में आम तौर पर सक्षम नहीं हो पाते क्योंकि उनका कमाया धन साथ ही साथ खर्च होता रहता है। राहु पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव कुंडली धारक को मानसिक रोगों, अनिद्रा के रोग, बुरे सपने आने की समस्या, त्वचा के रोगों तथा ऐसे ही अन्य कई बिमारियों से पीड़ित कर सकता है।
राहू का द्वादश भाव मे फल ओर उसके उपाय
राहू का पहले भाव में फल
पहला घर मंगल और सूर्य से प्रभावित होता है, यह घर किसी सिंहासन की तरह होता है। पहले घर में बैठा ग्रह सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। जातक अपनी योग्यता से बडा पद प्राप्त करेगा। उसे सरकार से भी अच्छे परिणाम मिलेंगे। इस घर में राहू उच्च के सूर्य के समान परिणाम देगा। लेकिन सूर्य जिस भाव में बैठा है उस भाव के फल प्रभावित होंगे। यदि मंगल, शनि और केतू कमजोर हैं तो राहू बुरे परिणाम देगा अन्यथा यह पहले भाव में अच्छे परिणाम देगा। यदि राहू नीच का हो तो जातक को कभी भी ससुराल वालों से बिजली के उपकरण या नीले कपडे नहीं लेने चाहिए, अन्यथा उसके पुत्र पर बुरा प्रभाव पडता है। राहू के दुष्परिणाम 42 साल की उम्र तक मिलते हैं।
उपाय: (1) बहते पानी में 400 ग्राम सुरमा बहाएं।
(2) गले में चांदी पहनें।
(3) 1:4 के अनुपात में जौ में दूध मिलाए और बहते पानी में बहाएं।
(4) बहते पानी में नारियल बहाएं।
राहू का दूसरे भाव में फल
यदि दूसरे घर में राहू शुभ अवस्था में हो तो जातक पैसा एवं प्रतिष्ठा प्राप्त करता है और किसी राजा की तरह जीवन जीता है। जातक दीर्घायु होता है। दूसरा भाव बृहस्पति और शुक्र से प्रभावित होता है। यदि बृहस्पति शुभ हो तो जातक अपनी प्रारंभिक अवस्था में धन से युक्त व आराम भरी जिन्दगी जीता है। यदि राहू नीच का हो तो जातक गरीब होता है, उसका पारिवारिक जीवन खराब होता है। वह पेट के विकारों से परेशान होता है। जातक पैसे बचाने में असमर्थ होता है और उसकी मृत्यु किसी हथियार से होती है। उसके जीवन के दसवें, इक्कीसवें और बयालीसवें वर्ष में चोरी आदि माध्यमों से उसका धन खो जाता है।
उपाय: (1) चांदी की एक ठोस गोली अपनी जेब में रखें।
(2) बृहस्पति से सम्बंधित चीजें जैसे सोना, पीले कपड़े और केसर आदि उपयोग में लाएं।
(3) माँ के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध रखें।
(4) शादी के बाद ससुराल वालों से कोई बिजली का उपकरण न लें।
राहू का तीसरे भाव में फल
यह राहु का पक्का घर है। तीसरा घर बुध और मंगल से प्रभावित होता है। यदि यहां राहू शुभ हो तो, बहुत धन दौलत वाला और दीर्घायु होता। वह एक निडर और वफादार दोस्त होता है। वह सपनों के माध्यम से भविष्य देख सकेगा। वह कभी नि:संतान नहीं होगा। वह शत्रुओं पर विजय पाने वाला होगा। वह कभी भी कर्जदार नहीं रहेगा। वह अपने पीछे सम्पत्ति छोड जाएगा। अपने जीवन के 22वें वर्ष में वह प्रगति करेगा। लेकिन अगर राहू तीसरे घर में अशुभ है तो उसके भाई और रिश्तेदार अपने पैसे बर्बाद करेंगे। वह किसी को पैसे उधार देगा तो वापस नहीं मिलेंगे। जातक में वाणी दोष होगा और वह नास्तिक होगा। यदि सूर्य और बुध भी राहू के साथ तीसरे घर में हों तो उसकी बहन अपनी उम्र के 22वें या 32वें साल में विधवा हो सकती है।
उपाय: (1) घर में कभी भी हाथीदांत या हाथीदांत की वस्तुएं न रखें।
(2) एक एक मुट्ठी सप्तधान्य सर से 11 बार उतार कर बहते जल में प्रवाहित करें।
राहू का चौथे भाव में फल
यह घर चंद्रमा का है जो कि राहू क शत्रु है। जब इस घर में रहु शुभ हो तो जातक बुद्धिमान, अमीर और अच्छी चीजों पर पैसे खर्च करने वाला होगा। तीर्थ यात्रा पर जाना जातक के लिए फायदेमंद होगा। यदि शुक्र भी शुभ हो तो शादी के बाद जातक के ससुराल वाले भी अमीर हो जाते हैं और जातक को उनसे भी लाभ मिलता है। यदि चंद्रमा उच्च का हो तो जातक बहुत अमीर हो जाता है और बुध से संबंधित कामों से बहुत लाभ कमाता है। यदि राहू नीच का या अशुभ हो और चंद्रमा कमजोर हो तो जातक गरीब होता है और जातक की मां परेशान होती है। कोयले का एकत्रीकरण, शौचालय फेरबदल, जमीन में तंदूर बनाना और छ्त में फेरबदल करना हानिकारक होगा।
उपाय: (1) चांदी पहनें।
(2) 400 ग्राम धनिया या बादाम दान करें अथवा दोनो को पानी में बहाएं।
राहू का पांचवें भाव में फल
पांचवां घर सूर्य का होता है जो पुरुष संतान का संकेतक है। यदि राहू शुभ हो तो जातक अमीर, बुद्धिमान और स्वस्थ होता है। वह अच्छी आमदनी और अच्छी प्रगति का आनंद पाता है। जातक भक्त या दार्शनिक होता है। यहां स्थित नीच का राहू गर्भपात करवाता है। पुत्र के जन्म के बाद जातक की पत्नी बारह सालों तक बीमार रहती है। यदि बृहस्पति भी पांचवें भाव मेम स्थित हो तो जातक के पिता को कष्ट होगा।
उपाय: (1) अपने घर में चांदी से बना हाथी रखें।
(2) शराब, मांशाहार, अण्डे के सेवन और व्यभिचार से बचें।
(3) अपनी पत्नी से ही दो बार शादी करें।
राहू का छठें भाव में फल
इस घर बुध या केतु से प्रभावित होता है। राहू यहां उच्च का होता है और अच्छे परिणाम देता है। जातक सभी प्रकार की झंझटों या मुसीबतों के मुक्त होगा। जातक कपड़ों पर पैसा खर्च करेगा। जातक बुद्धिमान और विजेता होगा। जब राहु अशुभ हो तो वह अपने भाइयों या दोस्तों को नुकसान पहुंचाएगा। जब बुध या मंगल ग्रह बारहवें भाव में हों तो राहु बुरा परिणाम देता है। जातक विभिन्न बीमारियों या धनहानि से ग्रस्त होता है। किसी काम पर जाते समय छींक का होना जातक के लिए अशुभफलदायी होगा।
उपाय: (1) एक काला कुत्ता पालें।
(2) अपनी जेब में काला सुरमा रखें।
(3) भाइयों / बहनों को कभी नुकसान न पहुंचाएं।
राहू का सातवें भाव में फल
जातक अमीर होगा लेकिन पत्नी बामार होगी। वह अपने दुश्मनों पर विजयी होगा। उम्र के इक्कीस साल से पहले शादी का होना अशुभ होगा। जातक के सरकार के साथ अच्छे संबंध होंगे। लेकिन यदि जातक राहू से संबंधित व्यवसाय जैसे बिजली के उपकरणों के व्यापार से जुडेगा तो उसे नुकसान होगा। जातक सिर दर्द से पीड़ित होगा। यदि बुध शुक्र अथवा केतू ग्यारहवें भाव में हों तो राहू बहन, पत्नी या बेटे को नष्ट करेगा।
उपाय: (1) 21 साल की उम्र के पहले शादी न करें।
(2) नदी में छह नारियल और एक एक मुट्ठी सप्तधान्य सर से 11 बार उतार कर बहते जल में प्रवाहित करें।
प्रवाहित करे।
राहू का आठवें भाव में फल
आठवें घर का संबध शनि और मंगल ग्रह से होता है। इसलिए इस भाव का राहू अशुभ फल देता है। जातक अदालती मामलों में बेकार में पैसे खर्च करता है।परिवारिक जीवन भी प्रतिकूलता से प्रभावित होता है। यदि मंगल ग्रह शुभ हो तथा पहले या आठवें घर में हो अथवा शुभ शनि आठवें घर में हो तो जातक बहुत अमीर होगा।
उपाय: (1) चांदी का एक चौकोर टुकड़ा पास रखें।
(2) सोते समय तकिये के नीचे सौंफ रखें।
(3) बिजली का काम या बिजली विभाग में काम न करें।
राहू का नौवें भाव में फल
नौवां घर बृहस्पति से प्रभावित होता है। यदि जातक का अपने भाइयों और बहनों के साथ अच्छा संबंध है तो यह यह फायदेमंद होगा, अन्यथा जातक पर प्रतिकूल प्रभाव पडेगा। यदि जातक धार्मिक स्वभाव का नहीं है तो जातक की संतान जातक के लिए बेकार रहेगी। शनि से संबम्धित व्यापार फायदेमंद रहेगा। यदि बृहस्पति पांचवें या ग्यारहवें घर में हो तो यह निष्प्रभावी होगा। यदि राहू अशुभ होकर नौवें भाव में हो तो पुत्र प्राप्ति की संभावनाएं कम रहती हैं, खासकर तब और जब जातक अपने किसी सगे रिश्तेदार कि खिलाफ कोई अदालती मामला दायर करता है। यदि राहू नौवें भाव में हो और पहला भाव खाली हो तो जातक का स्वास्थ्य पीडित होता है और जातक उम्र में बडे लोगों के द्वारा अपमानित होता है और मानसिक रूप से प्रताडित होता है।
उपाय: (1) प्रतिदिन केसर का तिलक लगाएं।
(2) सोना पहनें।
(3) कुत्ता न पालें लेकिन समस्या होने पर कुत्ते को भोजन कराएं। कुत्ता रखने से संतान रक्षा होगी।
(4) ससुराल वालों से अच्छे संबंध बनाकर रखें।
राहू का दसवें भाव में फल
सिर के ऊपर कुछ न पहनना दसम भाव में स्थित दुर्बल राहु का प्रभाव देता है। राहू का अच्छा या बुरा परिणाम शनि की स्थिति पर निर्भर करेगा। यदि शनि शुभ है तो जातक बहादुर, दीर्घायु, और अमीर होता है तथा उसे सभी प्रकार से सम्मान मिलता है। यदि दसवें भाव में राहू चन्द्रमा के साथ हो तो यह राज योग बनाता है। जातक अपने पिता के लिए भाग्यशाली होता है। यदि यहां पर राहू अशुभ हो तो जातक की मां पर बुरा असर पडता है और जातक का स्वास्थ्य भी खराब होगा। यदि चंद्रमा चतुर्थ भाव में अकेला हो तो जातक की आंखों पर बुरा प्रभाव पडेगा। जातक सिर दर्द से पीड़ित होगा और उसे किसी काले व्यक्ति के द्वारा धन हानि होगी।
उपाय: (1) नीली या काली टोपी पहनें।
(2) सिर को ढक कर रखें।
(3) किसी मंदिर में 4 किलो या 400 ग्राम खांड चढाएं अथवा पानी में बहाएं।
(4) अंधे लोगों को खाना खिलाएं।
राहू का ग्यारहवें भाव में फल
ग्यारहवां घर शनि और बृहस्पति दोनो के प्रभाव में होता है। जब तक जातक के पिता जीवित हैं तब तक जातक अमीर होगा। वैकल्पिक रूप से, बृहस्पति की वस्तुएं रखना सहयोगी सिद्ध होंगी। जातक के दोस्त अच्छे नहीं होंगे। उसे मतलबी लोगों से पैसा मिलेगा। पिता की मृत्यु के बाद जातक को गले में सोना पहनना चाहिए। यदि राहू के साथ नीच का मंगल ग्यारहवें भाव में हो तो जातक के जन्म के समय घर में सारी चीजें होंगी लेकिन धीरे धीरे करके सारी चीजें बरबाद होनें लगेंगी। यदि ग्यारहवें भाव में अशुभ राहू हो तो जातक के अपने पिता सम्बंध ठीक नहीं होंगें यहां तक की जातक उन्हें मार भी सकता है। दूसरे भाव में स्थित ग्रह शत्रु की तरह कार्य करेंगे। यदि बृहस्पति या शनि तीसरे या ग्यारहवें भाव में हों तो शरीर में लोहा पहनें और चांदी की गिलास में पानी पिएं। पांचवें भाव में स्थित केतू बुरे परिणाम देगा। कान, रीढ़, मूत्र से संबंधित समस्याएं या रोग हो सकते हैं। केतु से संबंधित व्यापार में नुकसान हो सकता है।
उपाय: (1) लोहा पहनें और पीने के पानी के लिए चांदी का गिलास का प्रयोग करें।
(2) कभी भी कोई बिजली का उपकरण उपहार के रूप में न लें।
(3) नीलम, हाथीदांत या हाथी का खिलौने से दूर रहें।
राहू का बारहवें भाव में फल
बारहवां घर बृहस्पति से संबंधित होता है। यह शयन सुख का घर होता है। यहां स्थित राहु मानसिक परेशानियां और अनिद्रा देता है। यह बहनों और बेटियों पर अत्यधिक व्यय भी करवाता है। यदि राहु शत्रु ग्रहों के साथ हो तो आप कितनी भी मेहनत कर लें आपके खर्चे आपकी आमदनी से अधिक ही रहेंगे। यह झूठे आरोप भी लगवाता है। जातक आत्महत्या की चरमसीमा तक जा सकता है। जातक मानसिक चिंताओं से घिरा रहता है। झूठ बोलना, दूसरों को धोखा आदि देना राहु को और भी हानिकर बानाता है। किसी भी नए काम की शुरुआत में अशुभ परिणाम मिलते हैं। चोरी, बामारी और झूठे आरोपों के लगने का भय रहता है। यदि यहां राहू के साथ मंगल भी हो तो अच्छे परिणाम मिलते हैं।
उपाय: (1) रसोई में बैठ कर ही भोजन करें।
(2) रात में अच्छी नींद के लिए तकिये के नीचे सौंफ और खांड रखें।
राहु कब होता है खराब ?
राहू कूटनीति का सबसे बड़ा ग्रह है राहू संघर्ष के बाद सफलता दिलाता है यह कई महापुरुषों की कुंडलियो से स्पष्ट है राहू का 12 वे घर में बैठना बड़ा अशुभ होता है क्योकि यह जेल और बंधन का मालिक है 12 वे घर में बैठकर अपनी दशा, अंतरदशा में या तो पागलखाने में या अस्पताल और जेल में जरूर भेजता है। किसी भी कुंडली में राहू जिस घर में बैठता है 19 वे वर्ष में उसका फल दे कर 20 वे वर्ष में नष्ट कर देता है राहू की महादशा 18 वर्ष की होती है। राहू चन्द्र जब भी एक साथ किसी भी भाव में बैठे हुए हो तो चिंता का योग बनाते है।
राहू की अपनी कोई राशी नहीं है वह जिस ग्रह के साथ बैठता है वहा तीन कार्य करता है।
1 उस ग्रह की सारी शक्ति समाप्त कर देता है।
2 उसकी शक्ति स्वयं ले लेता है।
3 उस भाव में अत्यधिक संघर्ष के बाद सफलता देता है।
कुंडली मे राहु के अशुभ होने के कुछ योग
1 प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, सप्तम, नवम, दशम तथा एकादश भाव में राहु की स्थिति शुभ नहीं मानी जाती हैं। परन्तु कुछ विद्वान तीसरे, छठे तथा ग्यारहवें भाव राहु की स्थिति को शुभ भी मानते हैं।
2 नीच अथवा धनु राशि का राहु, अशुभ फल देता हैं।
3 यदि राहु शुभ भावी का स्वामी होकर अपने भाव से छठे अथवा आठवें स्थान पर बैठा हो तो अशुभ फल देता हैं।
4 यदि राहु श्रेष्ट भाव का स्वामी होकर सूर्य के साथ बैठा हो अथवा शुक्र व बुध के साथ बैठा हो तो अशुभ फल देता हैं।
5 सिंह राशिस्थ अथवा सूर्य से दृष्ट राहु अशुभ होता हैं।
6 जन्म कुण्डली में राहु की अशुभ स्थिति हो तो राहु कृत पीड़ा के निवारणार्थ राहु-शांति के उपाय अवश्य कराने चाहिए।
राहु के कारण व्यक्ति को निम्नांकित परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं।
1 नौकरी व व्यवसाय में बाधा।
2 मानसिक तनाव व अशांति।
3 रात को नींद न आना।
4 परीक्षा में असफलता प्राप्त होना।
5 कार्य में मन न लगना।
6 बेबुनियाद ख्यालों में उलझे रहना।
7 अचानक धन का अधिक खर्च। होना या धन रूक-रूक कर प्राप्त होना।
8 बिना सोचे समझे कार्य करना।
9 दुर्जनों व दुष्टों से मित्रता।
10 पति-पत्नी में तनाव व नीच स्त्रियों से सम्बन्ध होना।
11 पेट व आंतडि़यों के रोग होना।
12 बनते कार्यो में रूकावट होना।
13 पुलिस व कानूनी परेशानियां तथा सरकार की तरफ से दण्ड।
14 घर व भौतिक सुखों की कमी।
15 धन, चरित्र, स्वास्थ्य की तरफ से लापरवाही।
16 ब्लैक मैजिक टोना टोटका के प्रभाव में आना।
17 बनावटी बातों वाले धोखेबाज लाईफ पार्टनर देना।
18 गुप्त विद्याओं में रूची दिखाकर गल्त राह पर चलाना।
19 पीठ पीछे जड़े काटने वाले मित्र देना।
20 पति पत्नी में संदेहास्पद स्थिती बनाकर तलाक जैसे योग बनाना।
21 छोटी उम्र में वीर्य को समाप्त कर यौन रोग देना।
किन कारणों से राहु अशुभ फल देता है.?
1 यदि कोई व्यक्ति अपने गुरु या फिर अपने धर्म का अपमान करता है, तो उस व्यक्ति का राहू ग्रह अवश्य बुरा फल देता है।
2 यदि कोई व्यक्ति शराब का सेवन नियमित करता है, या फिर पराई स्त्री के साथ सम्बन्ध बनाने की इच्छा रखता है, तो उसका राहू ग्रह अवश्य बुरा फल देता है।
3 यदि कोई व्यक्ति ब्याज वाले पैसों का प्रयोग घर में करता है तो, उस व्यक्ति का राहू ग्रह अवश्य बुरा फल देता है।
4 यदि कोई व्यक्ति चतुराई से किसी को धोखा देता है, और झूठ बोलने की आदत को नहीं छोड़ता तो उस व्यक्ति का राहू ग्रह बुरा फल देता है।
5 यदि कोई व्यक्ति हमेशा तामसिक भोजन करता है तो, उस व्यक्ति का राहू ग्रह बुरा फल देता है।
6 यदि कोई व्यक्ति खाना हमेशा घर से बाहर खाता है, या बाहर का खाना हमेशा खाता है तो, उस व्यक्ति का राहू ग्रह बुरा फल देने लगता है।
खराब राहु को कैसे पहचानेगे ?
1 किसी भी व्यक्ति का अगर राहू ग्रह खराब है तो उसके ससुर, साले या साली से झगडा बढ़ने लगेगा।
2 किसी भी व्यक्ति का अगर राहू ग्रह खराब है तो उसके जीवन में शत्रु बढ़ जायेंगे, और सोचने की क्षमता कम होने लगती है।
3 किसी भी व्यक्ति का अगर राहू ग्रह खराब है तो उसके साथ दुर्घटना, पुलिस केस, या पत्नी के साथ लड़ाई झगडे में बढ़ोत्तरी हो जायेगी।
4 किसी भी व्यक्ति का अगर राहू ग्रह खराब है तो वो व्यक्ति छोटी छोटी बातों पर गुस्सा होने लगता है, और लोगों के साथ सही तालमेल नहीं बिठा पाता है।
5 किसी भी व्यक्ति का अगर राहू ग्रह खराब है तो उस व्यक्ति का एक तरह से दिमाग खराब होने लगता है, और उस व्यक्ति के सर में फालतू में छोटी छोटी चोट लगने लगती है या चक्कर आते हैं।
6 किसी भी व्यक्ति का अगर राहू ग्रह खराब है तो वह व्यक्ति अधिक मदिरापान या फिर सम्भोग/हस्तमैथुन की तरफ भागने लगता है।
7 किसी भी व्यक्ति का अगर राहू ग्रह खराब है तो व्यक्ति नीच हरकते करने लगता है, और निर्दयी हो जाता है।
राहु ग्रह खराब होने से होने वाले रोग
1 किसी भी व्यक्ति का अगर राहू ग्रह खराब है तो सबसे पहले उसको गैस से सम्बन्धित शिकायत बढ़ने लगती है।
2 किसी भी व्यक्ति का अगर राहू ग्रह खराब है तो उसके बाल झड़ने लगते हैं, तथा बवासीर से सम्बन्धित भी समस्या होने लगती है।
3 किसी भी व्यक्ति का अगर राहू ग्रह खराब है तो वो जातक पागलों की तरह व्यवहार करेगा और लगातार मानसिक तनाव में रहेगा।
4 किसी भी व्यक्ति का अगर राहू ग्रह खराब है तो उसके नाखून अपने आप ही टूटने लगते हैं और व्यक्ति के सर में पीड़ा या दर्द बनी रहती है।
5 किसी भी व्यक्ति का अगर राहू ग्रह खराब है तो उस व्यक्ति को अचानक पता चलेगा की मुझे कोई बीमारी है और उस पर पैसा भी खूब खर्चा होगा तथा व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
राहु के शुभ होने पर
राहु के शुभ होने पर व्यक्ति को कीर्ति, सम्मान, राज वैभव व बौद्धिक उपलब्धता प्राप्त होती हैं। व्यक्ति दौलतमंद होगा। कल्पना शक्ति तेज होगी। रहस्यमय या धार्मिक बातों में रुचि लेगा। राहु के अच्छा होने से व्यक्ति में श्रेष्ठ साहित्यकार, दार्शनिक, वैज्ञानिक या फिर रहस्यमय विद्याओं के गुणों का विकास होता है। इसका दूसरा पक्ष यह कि इसके अच्छा होने से राजयोग भी फलित हो सकता है। आमतौर पर पुलिस या प्रशासन में इसके लोग ज्यादा होते हैं।
मिथुन, कन्या, तुला, मकर और मीन राशियाँ राहु की मित्र राशि है तथा कर्क और सिंह शत्रु राशिया है। यह ग्रह शुक्र के साथ राजस तथा सूर्य एवं चन्द्र के साथ शत्रुता का व्यवहार करता है। बुध, शुक्र, गुरू को न तो अपना मित्र समझता है और नहीं उससे किसी प्रकार की शत्रुता ही रखता है यह अपने स्थान से पाँचवे, सातवे, नवे स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखता हैं।
राहु को शुभ बनाने के अन्य उपाय
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👉 अपनी शक्ति के अनुसार संध्या को काले-नीले फूल, गोमेद, नारियल, मूली, सरसों, नीलम, कोयले, खोटे सिक्के, नीला वस्त्र किसी कोढ़ी को दान में देना चाहिए।
👉 राहु की शांति के लिए लोहे के हथियार, नीला वस्त्र, कम्बल, लोहे की चादर, तिल, सरसों तेल, विद्युत उपकरण, नारियल एवं मूली दान करना चाहिए. सफाई कर्मियों को लाल अनाज देने से भी राहु की शांति होती है।
👉 राहु से पीड़ित व्यक्ति को शनिवार का व्रत करना चाहिए इससे राहु ग्रह का दुष्प्रभाव कम होता है।
👉 मीठी रोटी कौए को दें और ब्राह्मणों अथवा गरीबों को चावल और मांसहार करायें।
👉 राहु की दशा होने पर कुष्ट से पीड़ित व्यक्ति की सहायता करनी चाहिए।
👉 गरीब व्यक्ति की कन्या की शादी करनी चाहिए।
👉 राहु की दशा से आप पीड़ित हैं तो अपने सिरहाने जौ रखकर सोयें और सुबह उनका दान कर दें इससे राहु की दशा शांत होगी।
👉 ऐसे व्यक्ति को चांदी का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करना चाहिए।
👉 हाथी दाँत का लाकेट गले में धारण करना चाहिए।
👉 अपने पास सफेद चन्दन अवश्य रखना चाहिए। सफेद चन्दन की माला भी धारण की जा सकती है।
👉 जमादार को तम्बाकू का दान करना चाहिए।
👉 चांदी की चेन गले में पहने ।
👉 दिन के संधिकाल में अर्थात् सूर्योदय या सूर्यास्त के समय कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नही करना चाहिए।
👉 यदि किसी अन्य व्यक्ति के पास रुपया अटक गया हो, तो प्रातःकाल पक्षियों को दाना चुगाना चाहिए।
👉 झुठी कसम नही खानी चाहिए।
राहु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शनिवार का दिन, राहु के नक्षत्र (आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
क्या न करें
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मदिरा और तम्बाकू के सेवन से राहु की दशा में विपरीत परिणाम मिलता है अत: इनसे दूरी बनाये रखना चाहिए. आप राहु की दशा से परेशान हैं तो संयुक्त परिवार से अलग होकर अपना जीवन यापन करें।
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