स्वास्थ्य डेस्क। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से मेथी एक गुणकारी औषधि……
हमारे देश में सभी स्थानों पर मेथी का साग रुचि पूर्वक खाया जाता है।। मेथी के अंकुरित बीजों की स्वास्थ्यवर्धक सब्जी बनाकर भी सेवन करते हैं।। मेथी एक एंटी आक्सीडेंट,, प्राकृतिक एंटीबायोटिक एवं रक्तशोधक औषधि है।। मेथी ८० प्रकार के वातरोगों को नष्ट करने वाली प्रभावी औषधि है।। मधुमेह में भी इसकी बड़ी उपयोगिता है।। आम इत्यादि के अचार जो खट्टे होने से अम्लीयता के दोष से भरे होने के कारण वात का दर्द बढ़ाने वाले होते हैं,, उस दोष को कम करने के लिए अचार में मेथी का प्रयोग परंपरागत ढंग से करते आ रहे हैं।। मेथी में प्रोटीन,, विटामिन तथा आयरन,, पोटैशियम,, फास्फोरस,, कैल्शियम आदि खनिज लवणों का भंडार है।। दूध पिलाने वाली माताओं के लिए दुग्ध वर्धक,, स्तन््यग्रंथि विकासक है ।। हृदय रोग एवं रक्तचाप को नियंत्रित करने का गुण है।। बड़ी आंत के कैंसर के खतरे को कम करने में सहायक है।। सौंदर्यवर्धक है।। हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को नष्ट करती है।। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है।। वायु नाशक,, पौष्टिक तथा मंद जठराग्नि को तीव्र करती है । मोटापा नियंत्रित करती है।। पाचन संबंधी दोष जैसे– गैस,, अफरा,, अजीर्ण को दूर करने वाला है।। मेथी में मृदुविरेचक गुण है।। इसके बीजों को पानी में भिगोकर उसके पानी को चेचक के रोगी को शांतिदायक पेय के रूप में पिलाया जाता है।। यह कृमि नाशक तथा कफरोग निवारक है।।
उपयोग
गठिया संधिवात में (१) ५ ग्राम मेथी दाना पानी के साथ सुबह शाम निगल लें।।
(२) मेथी के पत्तों को पीसकर आटा में मिलाकर बिना तेल के पराठे बनाकर खाएं।।
(३) मेथी के लड्डू बनाकर शीतकाल में नवंबर से फरवरी माह तक नियमित सेवन करें।।
(४) मेथी के पत्तों का साग या मेथी दाना अंकुरित कर उसकी सब्जी बनाकर खाना चाहिए।।
(५) ३० ग्राम अंकुरित मेथी नित्य प्रातः सेवन करें।।
शीत स्थल से बचें।। सुबह शाम १-१ घंटा अपनी स्थिति के अनुसार यथाशक्ति टहलना चाहिए।। नित्य तेल मालिस करना,, यथाशक्ति आसन प्राणायाम करें।। अनाज की अपेक्षा फलों का रस,, फल एवं हरी सब्जियाें का अधिक सेवन करें।। इससे रक्तशोधन होगा।। जोड़ों की चिकनाई बढ़ेगी।। अस्थि क्षरण रुकेगा।। नए ऊतकों का निर्माण होगा।। गठिया संधिवात जटिल रोग हैं,, इनके लिए लंबे समय तक पथ्य परहेज करना चाहिए।। खटाई से बचें।। गरम पानी से स्नान करें।।
माता को दूध की कमी में स्तनपान कराने वाली माताओं को मेथी का लड्डू खिलाने के बाद गोदुग्ध पिलाने से तथा शतावरी चूर्ण एवं सफेद जीरा ३-३ ग्राम सेवन करने से मां का दूध बढ़ने लगता है।। मेथी में डावोस्जेनिन नामक तत्व होता है जो दूध का उत्पादन बढ़ाने वाला होता है।।
हाथ पेेैरों के दर्द में मेथी को घी में भूनकर पीस कर गुड़ की चासनी में थोड़ा घी मिलाकर घोंट कर छोटे छोटे लड्डू बनाकर सुबह-शाम १५-२० दिनों तक १-१ लड्डू सेवन करें।।
️जीर्ण अतिसार में (१) ५ ग्राम मेथी दाना चूर्ण तथा १ ग्राम सोंठ,, १० ग्राम गुड़ तथा २०० ग्राम मथी हुई दही मिलाकर पीने से लाभ होता है।।
(२) १० ग्राम मेथी दाना पीसकर १५० ग्राम दही में मिलाकर दिन में २-३ बार सेवन करने से पेचिश में लाभ होता है।।
पथ्य के रूप में उबालकर ठंडा पानी,, नींबू पानी,, अच्छी तरह पका हुआ केला,, दही,, ईसबगोल की भूसी,, विल्ब चूर्ण तथा पुराने चावल का भात दें।।
प्रदर रोग में ५ ग्राम मेथी दाना चूर्ण थोड़े गुड़ एवं घी मिलाकर सुबह-शाम कुछ दिन चबा चबाकर खाने से लाभ होता है।।
कब्ज में (१) एक चम्मच मेथी दाना प्रति दिन सुबह शाम पानी के साथ निगल लें।।
(२) ३ ग्राम मेथी दाना चूर्ण गुड़ या पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।। मेथी के पत्तों का साग बना कर खाने से लाभ होता है।।
बहुमूत्र में मेथी के पत्तों का ताजा रस एक कप,, २ ग्राम कत्था,, ४ ग्राम देशी खाँड मिलाकर नित्य पीने से लाभ होता है।।
लू लगने पर गरमी के दिनों में पर्याप्त पानी न पीने से लू जानलेवा हो जाती है।। मेथी के सूखे ५ ग्राम पत्तों को एक गिलास पानी में भिगोकर २ घंटे बाद मसलकर छान लें,, थोड़ा शहद मिलाकर शरबत बना कर पीने से लू का असर मिटता है।। सहायक उपचार में कच्चे आम का पन्ना बनाकर पीना चाहिए।।
मधुमेह में (१) २० ग्राम मेथी दाना रात को एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें।। प्रात: मसलकर व छानकर पी लें।। यह क्रम नित्य बनाए रखें।।
(२) मेथी दाना अंकुरित कर ३० ग्राम नित्य सेवन करें।।
(३) मेथी का साग,, मेथी दाना की सब्जी सप्ताह में ३-४ दिन सेवन करें।।
सावधानी मधुमेह के रोगी चावल,, आलू,, शकरकंद,, मैदा,, चीनी,, गुड़,, केला से परहेज करें।।
जोड़ों की सूजन में मेथी के ताजे पत्तों को पीसकर थोड़ा गुण करके पुल्टिस बनाकर बांधने से सूजन मिटती है।।
खूनी बवासीर में (१) मेथी के बीज पीसकर १५ ग्राम चूर्ण २५० ग्राम पानी में उबालकर जब आधा शेष बचे तब उतारकर ठंढ़ा करके पिलाने से खून गिरना बंद हो जाता है।।
(२) १५ ग्राम मेथी दाना चूर्ण को २५० ग्राम दूध में उबाल कर पीने से लाभ होता है।।
बुखार,, सरदी,, जुकाम,, खांसी में (१) मेथी का साग बना कर खाने से लाभ होता है।।
(२) १० मेथी दाना चूर्ण एक चम्मच शहद तथा दो ग्राम नींबू रस के साथ चाटने से लाभ होता है।।
हृदय रोग में मेथी दाना नियमित सेवन करने से हानि कारक कोलेस्ट्रॉल कम होने लगता है।। मेथी में मौजूद पोटैशियम तत्व रक्तचाप तथा हृदय गति को नियंत्रित,, संतुलित रखने का काम करता है।।
कील मुंहासों के दाग धब्बों में मेथी के ताजे पत्तों को पीसकर थोड़ी पिसी हल्दी मिलाकर चेहरे पर लेप करने से दाग धब्बे मिटते हैं।। त्वचा में निखार आता है।
बालों के रोग में बालों का झड़ना,, सफेद होना,, बालों का न बढ़ना,, रूसी होना आदि बालों की स्वास्थ्य समस्याओं में मेथी के पत्तों को नारियल के दूध में मिलाकर पेस्ट बना कर बालों की त्वचा में लगाने से लाभ होता है।।
मासिक धर्म की अनियमितता में मेथी दाने का नियमित सेवन करने से अनियमितता दूर होती है।। रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में अनेक समस्याएं जैसे — गुमी लगना,, डिप्रेशन,, चिड़चिड़ापन,, तनाव,, चिंता,, अनिद्रा आदि होती हैं,, इन्हें कम करने के में मेथी दाना लाभदायक होता है।।
प्रसव के बाद गर्भाशय की शुद्धि एवं संकुचन को बढ़ाने के लिए मेथी के लड्डू का सेवन करना चाहिए।।
प्रसव के बाद ज्वर आदि में प्रसव के बाद प्रसूति का ज्वर आदि रोग होने पर एक किलो मेथी को महीन पीस कर उतना ही घी मिलाकर ३ किलो दूध में धीमी आँच पर पकाएं,, जब गाढ़ा हो जाए तब ३ किलो देशी खाँड की चासनी बनाकर उसमें मिलाकर २० ग्राम प्रति दिन खाने से प्रसूति रोगों से बचाव होता है।। बल वृद्धि होती है।
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मेथी की स्वास्थ्यवर्धक रोटियां (१) मेथी के ताजे पत्तों का रस आटे में मिलाकर रोटी बनाकर खाएं।।
(२) मेथी के ताजे पत्तों को पीसकर,, पेस्ट बना कर आटे में मिलाकर पौष्टिक एवं स्वादिष्ट रोटी का सेवन करें।। स्वाद के लिए उचित मात्रा में अजवाइन,, जीरा,, धनिया,, सेंधा नमक,, काली मिर्च आटे में मिला लेना चाहिए।। मेथी की रोटी में रक्तशोधक,, वात विकार नाशक तथा कब्ज निवारक गुण होते हैं।।