धर्म डेक्स । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से भाग्य को मजबूत करने के निम्न उपाय करने चाहिए।राशिऔर बुध भाग्येश हो तो यह उपाय करे …..
- तांबे का कड़ा हाथ में पहने ।
- गणेश जी की आराधना करें।
- गाय को हरा चारा दीजिये ।
शुक्र भाग्येश भाग्येश हो तो यह उपाय करे : - स्फटिक की माला से शुक्र के मत्र का जप करें।
- चावल का दान करें।
- लक्ष्मी जी की आराधना करें।
चंद्र भाग्येश हो तो यह उपाय करे :
1.चंद्र के मत्र का जप करें । - चांदी के गिलास में जल पिना चाहिए।
- शिव जी की आराधना करें।
गुरु भाग्येश हो तो यह उपाय करे : - विष्णु जी की आराधना करें।
- गाय को रोटी खिलाएं।
- पीली वस्तुओं का दान करना चाहिए ।
शनि भाग्येश हो तो यह उपाय करे :
- काले वस्त्रों ,नीले वस्त्रों को कम या न पहनें।
- पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं।
- शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए
मंगल भाग्येश हो तो यह उपाय करे :
- मजदूरों को मंगलवार को मिठाई खिलाना चाहिए ।
- लाल मसूर का दान करना चाहिए ।
- मंगलवार को सुंदर कांड का पाठ करना चाहिए ।
सूर्य भाग्येश हो तो यह उपाय करे : - गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए ।
- सूर्य को नियमित जल देना चाहिए ।
- सूर्य मंत्र का जप करें।
कुंडली के लग्न के अनुसार भाग्योदय :
कुंडली का प्रथम भाव लग्न होता है।
मेष लग्न : भाग्योदय 16 वर्ष की आयु, 22 वर्ष की आयु, 28 वर्ष की आयु, 32 वर्ष की आयु, और 36 वर्ष की आयु।
वृष लग्न : भाग्योदय 25 वर्ष की आयु, 28 वर्ष की आयु, 36 वर्ष की आयु और 42 वर्ष की आयु ।
मिथुन लग्न : भाग्योदय करने वाली आयु है 22 वर्ष, 32 वर्ष, 35 वर्ष, 36 वर्ष, 42 वर्ष। कर्क लग्न : भाग्योदय 16 वर्ष की आयु, 22 वर्ष की आयु, 24 वर्ष की आयु, 25 वर्ष की आयु, 28 वर्ष की आयु, 32 वर्ष ।
सिंह लग्न: भाग्योदय 16 वर्ष की आयु में, 22 वर्ष की आयु में, 24 वर्ष की आयु में, 26 वर्ष की आयु में, 28 वर्ष की आयु में या 32 वर्ष की आयु में हो सकता है।
कन्या लग्न: 16 वर्ष, 22 वर्ष, 25 वर्ष, 32 वर्ष, 33 वर्ष, 35 वर्ष एवं 36 वर्ष।
तुला लग्न : भाग्य का उदय 24 वर्ष की आयु में हो सकता है। यदि 24 वर्ष की आयु में भाग्योदय न हो तो इसके बाद 25 वर्ष की आयु में, 32 वर्ष की आयु में, 33 वर्ष की आयु में, 35 वर्ष की आयु ।
वृश्चिक लग्न :भाग्योदय 22 वर्ष की आयु में, 24 वर्ष की आयु में, 28 वर्ष की आयु में या 32 वर्ष की आयु ।
धनु लग्न :भाग्योदय 16 वर्ष की आयु में, 22 वर्ष की आयु में या 32 वर्ष की आयु ।
मकर लग्न : भाग्योदय 25 वर्ष की आयु में या 33 वर्ष की आयु में या 35 वर्ष की आयु में या 36 वर्ष की आयु ।
कुंभ लग्न :भाग्योदय 25 वर्ष की आयु में, 28 वर्ष की आयु में, 36 वर्ष की आयु में या 42 वर्ष की आयु ।
मीन लग्न :भाग्योदय 16 वर्ष की आयु में, 22 वर्ष की आयु में, 28 वर्ष की आयु में या 33 वर्ष की आयु ।
नौ ग्रहों को प्रसन्न और भाग्य को मजबूत करने के लिए उपाय :
सूर्य: आदित्यहृदय का पाठ करना चाहिए। माता-पिता की सेवा। सूर्य को अर्द्ध जल में रोली तथा लाल पुष्प डाल कर । सोना-तांबा तथा चीनी, गुड़ का दान करें। सूर्योदय से पूर्व उठें। रविवार का व्रत करें। नमक का परहेज करें।बुजुर्गों का सम्मान करें।
चंद्र: भगवान शिव का ‘ऊँ नमः शिवाय’ मंत्र जप करें। भगवान शंकर को भोग लगाएं। सोमवार का व्रत करें। सफेद वस्त्र का दान करें। पहाड़ों की यात्रा करे। माता के चरण छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
मंगल: श्रीहनुमान भगवान के चमेली का तेल सिंदूर ,शुद्ध घी में चोला चढ़ावें। मंगल स्तोत्र का पाठ करें। इमरती, जलेवी, बूंदी तथा चूरमे का प्रसाद । भाईयों के साथ ठीक रहै । मंगलवार का व्रत करें। पड़ोसियों, मित्रों तथा साथ में काम करने वालों से अच्छा व्यवहार रखना चाहिए।
बुध: भगवती दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। हरे मूंग भिगोकर पक्षियों को दाना डालें। हरा चारा गायों को खिलावें। तोतों को पिजरों से स्वतंत्रता दिलावें। नौ वर्ष से छोटी कन्याओं का आशीर्वाद प्राप्त करें। बुधवार का व्रत रखें। मां भगवती दुर्गा का पूजा करें।
बृहस्पति: ब्राह्मणों का आशीर्वाद प्राप्त करें। चने की दाल का मंदिर में दान करें। केशर का तिलक मस्तकपर लगावें। ज्ञानवर्द्धक पुस्तकों का दान करें।
शुक्र: वस्त्र स्वच्छ पहनने चाहिए। पत्नी का सम्मान करना चाहिए। गोमाता की सेवा करना चाहिए। गोशाला में गुड़, हरी चारा, चने की दाल गायों को खिलाना चाहिए। ब्राह्मण को खीर खिलाकर दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त करें। संयम से रहें। व्यवनों से बचें।
शनि: पीपल का पूजन करें। इमरती, उड़द की दाल, दही बड़े बांटें। मजदूरों को तला हुआ सामान देना चाहिए। शनिवार का व्रत करें। ताऊ, चाचा से अच्छे संबंध बनाना चाहिए। श्री हनुमान चालीसा तथा सुंदर कांड के पाठ करें। शनिवार को तिल के तेल का दान करें, दक्षिणा दें।
राहु: माता सरस्वती का पाठ, पूजन करना । रसोई में भोजन करें। शाकाहारी होना चाहिए। बिजली का सामान इकट्ठा न होने दें। नानाजी से संबंध ठीक रखें। अश्लील पुस्तकें न पढ़ें।
केतु: भगवान श्रीगणेश जी का पूजार्चन । बच्चों को केला खिलाना चाहिए। कुत्तों को तेल लगाकर रोटी खिलानी चाहिए। मामाजी का आशीर्वाद प्राप्त करें। धर्म स्थान पर ध्वजा चढ़ावें।