नगर निगम में खेला जा रहा है निजी हित में मनमानी का टेंडर खेल

गलती नगर निगम की भुगतना पड़ेगा निविदादाताओं को

झांसी।झांसी में नगर निगम द्वारा निर्मित नगर निगम की सीमा अंतर्गत मौजा तालपुरा स्थित सदर तहसील परिसर के आसपास बनी कुल 62 दुकानों पिछले कई सालों से बंद पड़ी जिसका कारण है कि उस इलाके के अनुसार दुकानों के प्रीमियम राशि व किराया को बहन करना काफी महंगा होने के कारण दुकाने किसी ने नहीं ली जिस कारण दुकानें बरसों से बंद पड़ी अभी हाल ही में जनवरी माह में नगर आयुक्त कार्यालय द्वारा प्रकाशित विज्ञापन में के जरिए दुकानों को प्रीमियम और किराए के आधार पर टेंडर आमंत्रित किए गए टेंडर खरीदने की अंतिम तिथि 17 जनवरी 2020 और 18 जनवरी 2020 को नगर आयुक्त कक्ष मैं रखी टेंडर पेटी में डाले जाने थे दिनांक 17 जनवरी 2020 को शाम 5:00 बजे तक लगभग 110 लोगों ने टेंडर खरीदें जिसमें नगर निगम द्वारा टेंडर फार्म की कीमत ₹590 रखी गई थी और टेंडर के साथ ₹50000 का डिमांड ड्राफ्ट या एफडीआर के साथ टेंडर फॉर में प्रीमियम ऑफर धनराशि भरकर टेंडर पेटी में टेंडर डाले जाने थे मगर जिस दिन टेंडर डाले जाने की उसी दिन 18 जनवरी को पुन्हा नगर निगम अपार आयोग द्वारा टेंडर की तिथि बढ़ाए जाने का नोटिस प्रकाशित कराया गया अब

यह तिथि बढ़कर 24 जनवरी कर दी गई यानी कि अब लोग भाग 23 जनवरी तक टेंडर फॉर्म शाम 5:00 बजे तक खरीद सकते थे और अगले दिन 24 जनवरी को टेंडर डाले जा सकते 23 तारीख तक टेंडर की बिक्री लगभग 200 के करीब हो गई, और 24 जनवरी को लगभग 115 लोगों ने ₹50000 का डीडी अथवा एफडीआर लगाकर टेंडर डालें गए फॉर स्टैंडर्ड बेटियों को सील कर दिया गया अगले दिन 25 जनवरी को आवंटन हेतु गठित समिति और निविदा दाताओं की उपस्थिति में टेंडर खोले गए इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी की गई और लोगों ने मैं अपने मोबाइल से भी रिकॉर्डिंग की अपर नगर आयुक्त द्वारा टेंडर खोले गए जिसमें टेंडर फॉर्म में अंकित दुकान क्रमांक और दुकान के लिए ऑफर किया गया प्रीमियम और निविदादाता का नाम सार्वजनिक रूप से माइक लगा कर बोला गया जिससे लोगों को ज्ञात हो गया कि किस दुकान पर किस व्यक्ति ने टेंडर भरा और कितना प्रीमियम नगर निगम को ऑफर किया यह पूरी प्रक्रिया समाप्त होने के बाद कुछ दुकानों के टेंडर नहीं आए जिसमें कुछ दुकानें खाली ही रह गई मगर जिन दुकानों के लिए टेंडर आए उनके प्रीमियम सार्वजनिक हो गए और लगभग 1 माह तक विभाग ने किसी को कोई सूचना नही दी, और दिनांक 28 फरवरी को पुनः समाचार पत्र में उन सभी 62 दुकानों का दुकान क्रमांक 35 और 36 को छोडकर टेंडर प्रकाशित कर दिया गया जिसे पढ़कर सभी निविदादाता परेशान हो गए और नगर निगम में लोगों का जमावड़ा लगने लगा सभी जानना चाहते थे की आखिर क्या करण रहा की 1 माह मे तीसरी बार टेंडर प्रकाशित कराया गया, आखिर किसको व्यक्तिगत लाभ देने के उद्देश्य सफलता पूर्वक खोले जा चुके टेंडर को पुनः प्रकाशित कर दिया, जब सम्पत्ति विभाग से लोगो ने संपर्क किया तो बताया गया की आप अपना एफडीआर या डीडी वापस ले सकते हैं साहब का कहना है, जब नगर निगम के अधिकारियों से संपर्क किया गया तो नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि बड़े साहब और मेयर साहब के कहने पर टेंडर निरस्त किए गए हैं हो सकता है वो दुकान वह अपने किसी खास को दिलाना चाहते हो, और टेंडर पुनः आमंत्रित करने के पीछे दुकानों की लैंड कॉस्ट और रिजर्वेशन को बतौर बहाना इस्तेमाल किया गया। हालांकि टेंडरों का खेल नगर निगम में पहला नहीं है नगर निगम में लगातार टेंडर आवंटन के नाम पर कमीशन का खेल खेला जाता रहा है मगर दुकान आवंटन में निविदादाताओं का ऑफर सार्वजनिक होने से यह तो तय हो गया की व्यक्ति विशेष को लाभ देने उद्देश्य से निविदाएं पुनः आमंत्रित की गई।

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