राजनीति के दलदल में फंसे 86 मासूम नहीं मिला मध्याह्न भोजन।

बभनी/सोनभद्र (अरुण पांडेय)

मामला बभनी विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय सड़क टोला का।

बभनी।शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय सड़क टोला में मध्याह्न भोजन न बनाए जाने के कारण 86 बच्चों ने रसोई की ओर आस लगाए बैठे रहे। जहां एक ओर सरकार की योजना के अनुसार समय से भोजन फल और दुध पिलाया जाता है वहीं बच्चे भोजन किए बिना ही वापस लौट गए।जब विद्यालय में 12 बजे तक भोजन नहीं बना तब स्थानीय लोग वहां पहुंच गए जब उनके द्वारा कारण पूछा गया तो विद्यालय में उपस्थित शिक्षामित्र सुरेंद्र कुमार ने बताया कि विद्यालय में सामग्री न मिल पाने के कारण भोजन नहीं बनाया जा सका तभी तत्काल विद्यालय के एस एम सी अध्यक्ष मोहन सिंह सिंह ब्लाक संसाधन केंद्र पहुंच कर खंड शिक्षा अधिकारी को प्रार्थना पत्र लिखकर अवगत कराया जिसमें यह भी लिखा कि इसके पूर्व में भी तीन बार ऐसा हो चुका है तभी विद्यालय में कार्यरत शिक्षामित्र सुरेंद्र कुमार से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि हम इस विद्यालय में दो शिक्षामित्र हैं अशोक कुमार जो बीआरसी पर निष्ठा प्रशिक्षण में गए हैं विद्यालय में खाद्यान्न खत्म हो गया है जिसकी सूचना हम कल अपने प्रभारी ममता मैडम को दे दिए थे परंतु सामग्री नहीं आ सकी जिसके कारण भोजन नहीं बन सका। जब इस संबंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डाॅ. गोरख नाथ पटेल से बात किया गया तो उन्होंने बताया कि एमडीएम ग्राम प्रधान को बनवाया जाना था भोजन सामग्री उपलब्ध न हो पाने के कारण भोजन नहीं बन सका। जब खंड शिक्षा अधिकारी आलोक कुमार से बात किया गया तो उन्होंने भी यही बताया कि ग्राम प्रधान के द्वारा सामग्री नहीं भेजी गई जिसके कारण भोजन नहीं बनाया जा सका जब ग्राम प्रधान राज नरायन से बात किया गया तो उन्होंने बताया कि तीन दिनों से मध्याह्न भोजन हमने विद्यालय को दे दिया और भोजन सामग्री लेने मेरे यहां कोई आया ही नहीं इसलिए मुझे यह

जानकारी भी नहीं थी कि भोजन सामग्री विद्यालय में है भी या नहीं। जब इस संबंध में विद्यालय की प्रभारी ममता देवी से बात किया गया तो उन्होंने बताया कि माह फरवरी तक ग्राम प्रधान को ही भोजन बनवाना था मेरी ड्यूटी बोर्ड परीक्षा में लगाई गई है और सुबह से मुझे किसी तरह की कोई सूचना भी नहीं मिली और यहां दो शिक्षामित्र कार्यरत हैं अशोक कुमार और सुरेंद्र कुमार जिसमें अशोक कुमार ब्लाक संसाधन केंद्र में प्रशिक्षण के लिए गए थे एक शिक्षामित्र 86 बच्चों को छोड़कर एमडीएम सामग्री लेने कैसे जा सकता है यदि विद्यालय में बच्चों के साथ कोई घटना घट जाए तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। और बताते चलें कि यह विद्यालय 2018-19 से ही अंग्रेजी माध्यम में चयनित है लेकिन यहां किसी अध्यापक की स्थायी नियुक्ति नहीं की गई है केवल शिक्षामित्रों के सहारे ही चल रही है। मुख्य बात तो यह है कि सभी ने एक दूसरे की कमी बताते हुए पल्ला तो झाड़ लिया परंतु सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं को पलीता दिखाते नजर आ रहे हैं।

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