सोनभद्र के आदिवासी आज भी है उपेक्षित

सोनभद्र(शिव प्रकाश पाण्डेय) जनपद सोनभद्र मे सोना मिलने की खबर से पूरे देश विदेश मे सोनभद्र एक अपनी अलग पहचान बना बैठा है।लेकिन यहां के आदिवासी आज भी अपनी पहचान के लिए मोहताज बने हुए है। जनपद के कुछ ऐसे आदिवासी क्षेत्र हैं जिसमें उनको प्रतिदिन की दो वक्त की रोटी के लिए एक आदिवासी महिला अपने चार से पांच बच्चों को साथ लेकर पेड़ के पत्ते और कुछ दातुन लेकर रेणुकूट शहर में एक पान की दुकान पर पत्ते बेचते हुए मिली।

जो एक गड्डी पत्ता की किमत एक रुपए में बेच रही थी।वही जनपद में सोना मिलने की जानकारी तो सारे मीडिया और नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को हैं।काश किसी का ध्यान इन आदिवासी बहुल इलाकों में भी पडता। रही बात मीडिया की तो मीडिया से यह समाज आज भी अछुता है और इनके नेता विधायक जो बीते कल इसी समाज में थे जिनको इन्हीं आदिवासियों ने अपना बहुमूल्य आशीर्वाद देकर इनको उस काबिल बनाया कि अब हमारे भी अच्छे दिन आएगें लेकिन इनके उम्मीदों पर पानी फिर गया। आज वही नेता जनप्रतिनिधि, विधायक, सांसद बड़ी बड़ी गाड़ियों में घूम रहे हैं उनकी भी नजर इन आदिवासियों के नही पड रही है जिसके वजह से आज भी वहीं पुराने आदिवासी युग में जीने को विवश हैं। देश के प्रधानमंत्री द्वारा लगभग 177 योजनाएं चलाई जा रही हैं जिनका कुछ अंश इन लोगों को मिला है जो सुनकर सुखद अनुभूति हुई है। रेनुकूट शहर में पत्ता बेच रही महिला ने बताया कि मुझे उज्ज्वला योजना के तहत रसोई गैस द्वारा प्राप्त हुआ है और आवास के लिए शायद नाम दिया गया है। जब प्रधानमंत्री जन कल्याणकारी प्रचार-प्रसार अभियान के जिला अध्यक्ष उमेश कुमार ओझा ने महिला से बात कर विधायक का नाम पूछा तो महिला नहीं बता पाई क्योंकि विधायक को उसने अपने गांव में कभी देखा ही इस पर श्री ओझा ने दुख प्रगट किया उन्होंने कहा कि हमारे जनप्रतिनिधि अपने शीर्ष नेतृत्व की बातों को महत्वहीन समझते हैं अपने जनता के बीच उनकी पहुंच इतनी है की उनका नाम भी उनकी जनता नहीं जानती। यही हाल जनपद के सभी आदिवासी बहुल इलाकों का है योजनाएं तो सरकार द्वारा भेजी जाती है लेकिन योजनाओं का लाभ इन गरीब आदिवासी लोगों को नहीं मिल पाता, क्योंकि उसका सबसे बड़ा कारण बिचौलिए जो बीच रास्ते में ही योजनाओं के धन का बंदरबांट कर लेते हैं। वही श्री ओझा ने कहाँ की देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास और कहा कि भाजपा सरकार को लोग बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।उक्त महिला के साथ में आये चारो बच्चो ने अपने विद्यालय का नाम भी नहीं बता पाए ऐसे बेसिक शिक्षा विभाग का सब पढ़े सब बढ़े पूर्ण रूप फेल होता दिखाई दे रहा है। वहीं श्री ओझा ने जिले के शिक्षा विभाग के मुखिया जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए बताया कि आदिवासी बाहुल्य इलाकों में संचालित प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्य से एक लिस्ट तत्काल प्रभाव से मांगे कि कितने बच्चे ऐसे नामित हैं जो विद्यालय नहीं आ रहे हैं उनको विद्यालय तक ले जाने का पूरा प्रयास करें वह बच्चे ही देश के भविष्य हैं उनको सही और उचित शिक्षा मिल सके।

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