जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से सांप से निर्भय व भगाने का मंत्र…..

धर्म डेक्स । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से सांप से निर्भय व भगाने का मंत्र…..

कुछ ऐसे नियम हमारे ऋषीयो ने बनाये है जिस के पालन मात्र से ही आप सर्पसे निर्भय रह सकते है।
१ प्रती दिन प्रात: खाली पेट निम के पॉच पत्ते चबाकर खाते रहे तो सर्पविष से हानी नही होती है।

२ घरों मे बारह सिंगे का सिंग लटका दे तो सर्प नही आयेगा।

३ गंधक अथवा हरमल की धुनी से सर्प भाग जाता है।

४ मसुर की दाल के साथ नीम के पत्ते खाने वाले को सर्प नही काटता।

५ साप राई से बहोत डरता है यदी उसके बिल मे, राई और जल मिश्रीत नैसागर डाल दिया जाये तो वह तत्काल उस जगह को त्याग देता है।

६ सफेद प्याज के पास सर्प नही रहता।

७ कार्बोलिक एँसिड की लकीर को सर्प उल्लंघन नही करता यदी उस पर इसे डाल दिया जावे तो वह अपने प्राण त्याग देता है।

याद रहे १ से ६ तक के नुस्खे ऋषीयों ने अहींसा को नजर मे रखते हूए बनाये है।

सर्प भगाने का मंत्र…..

यदी किसी को अपने आस-पास सर्पो का भय हो, तो इस प्रयोगो मे से किसी एक अथवा सभी का उपयोग कर उत्पन्न भय से मुक्त हो सकते है।

” नर्मदायै नमो प्रात: नर्मदायै, नमो निशी।

नमोस्तू ते नर्मदे। तुभ्यं, त्राही मां विष-सर्पत:।।

सर्पाय सर्प-भद्रं ते दुरं गच्छ महा विषम्।।

जन्मेजय – यज्ञान्ते, आस्तिक्यं वंदन स्मर।।

आस्तिक्य-वचनं स्मृत्वा, य:सर्पोन निवर्ताते।।

भिद्दते सप्तधा मुर्हिन, शिंश-वृक्ष फलं यथा।।

यो जरुत्कारुज यातो, जरुत-कन्या महा यशा:।।

तस्य सर्पख भद्रं ते दुरं गच्छमहा- विषय।

दुहाई राजा जन्मेजय ! दुहाई अस्तिक मुनि की ! दुहाई जरुत्कार की !
पिली सरसो हात मे लेकर सरसो पर फुक मारते हूये ३ बार हथेली पर ताली बजावे।
ऐसे ही क्रिया करते हूए ७ बार सरसो घर मे बिखेर दे।
हरीद्वार में मनसा देवी है, उन तपस्वीनी देवी के सुपुत्र आस्तिक मुनी अस्तिक मुनी ने सर्पो को परिक्षित राजा के बेटे जन्मेजय के सर्प यज्ञ मे बचाया था।
सर्पो ने आस्तिक मुनी को वरदान दिया था कि महाराज जहॉ आपका नाम लिया जायेगा वहॉ उपद्रव नही फैलायेंगे वहॉ अपना जहर नही फैलायेंगे।
तो आज भी अगर कही साप आजाये और साप का डर होतो।

“मुनी राजम् अस्तिकम् नम:”

जप करें वहॉ साप नही आयेगा, आया भी तो ये मंत्र बोले चला जायेगा।

पंढरी की काठी हमेशा अपने साथ रखे हिंसक प्राणी या आदमी पास नही आयेंगे।

Translate »