महाशिवरात्रि के पावन पर्ब पर जानिए पण्डित वीर विक्रम नारायण पांडेय से भगवान भोलेनाथ से जुटी खास बातें ?

जीवन मन्त्र।महाशिवरात्रि के पावन पर्ब पर जानिए पण्डित वीर विक्रम नारायण पांडेय से भगवान भोलेनाथ से जुटी खास बातें ?

देवों के देव महादेव

देवों के देव महादेव आदि देव हैं। भगवान भोलेनाथ विषयक महत्वपूर्ण जानकारियां शिव पुराण में दी गई हैं। हिन्दू धर्म में शिव को मानने वालों को शैव कहते हैं।

शिव आराधना मंत्र… ऊँ नम: शिवाय।।

यह मंत्र समस्त दुख दूर करने वाला मंत्र माना गया है। ऊँ- भगवान शिव का एकाक्षर मंत्र है तो- नम: शिवाय, भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र है।

* शिव परिवार

धर्मग्रथों के अनुसार भगवान शिव के दो विवाह हुए तथा दोनों ही बार उनका विवाह देवी भगवती के अवतारों से हुआ।

पहला राजा दक्ष की पुत्री सती के साथ और दूसरा हिमालय पुत्री देवी पार्वती के साथ। भोलेनाथ के दो पुत्र हैं- कार्तिकेय और भगवान श्रीगणेश।

* शिवलिंग स्वरूप

पृथ्वी पर भोलनाथ शिवलिंग स्वरूप में विद्यमान हैं। ऐसा माना जाता है कि जाग्रत शिवलिंग में भगवान शिव का वास होता है तथा मन से पूजा करने पर ऐसी कोई कामना नहीं है जो पूरी नहीं हो!

देश-विदेश में असंख्य शिवलिंग हैं, जिनमें से बारह सर्वोच्च ज्योतिर्लिंग हैं।

* कहां रहते हैं शिव?

कैलाश पर्वत पर भोलनाथ रहते हैं, लेकिन काशी उनकी प्रिय नगरी है। जैसाकि कहा जाता है- काशी के कण-कण में शिव बसे हैं! समस्त जाग्रत शिवलिंग पवित्र मन से पूजा करने पर शिव का अहसास कराते हैं!

* ये शिव को प्रिय हैं!

भोलेनाथ को भोले भक्त सर्वाधिक प्रिय है।

* बेलपत्र- भगवान शिवशंकर सर्वसुलभ पूजन सामग्री से प्रसन्न होते हैं इसलिए हर व्यक्ति भोलेनाथ की पूजा-आराधना कर सकता है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए पूजा में जल, बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि ही पर्याप्त हैं।

* भस्म- शिव भस्म में रमते हैं, इसलिए माना जाता है कि भोलेनाथ की पूजा भस्म के बिना अधुरी रहती है।

* रुद्राक्ष- शिवसत्ता में रुद्राक्ष पवित्रतम आभूषण है। त्रिपुरासुर राक्षस के वध के बाद प्रसन्नता से भगवान शिव के नेत्रों से गिरे अश्रु बिन्दुओं से जो वृक्ष उत्पन्न हुए, रुद्राक्ष स्वरूप प्रसिद्ध हुए। यदि इसकी पवित्रता की रक्षा नहीं कर पाएं तो सांसारिक व्यक्तियों को रुद्राक्ष नहीं धारण करना चाहिए!

* महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि शिवभक्तों का सबसे बड़ा त्योहार है, जब सारा वातावरण शिवमय हो जाता है।

* पूजा विधि

भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए भक्त-गण अनेकानेक उपाय करते हैं, लेकिन मन के देवता तो शुद्ध मन की प्रार्थना से ही प्रसन्न हो जाते हैं इसलिए पूजा विधि कोई भी अपनाएं लेकिन शांत और पवित्र मन से महादेव को पुकारें, प्रार्थना अवश्य सफल होगी!
यहां शिवजी के पूजन की सरल जानकारी दी जा रही है…
* भगवान शंकर की पूजा के समय शुद्ध आसन पर बैठकर पहले आचमन करें, शरीर शुद्ध करें।
* पूजन-सामग्री को यथास्थान रखकर दीप प्रज्ज्वलित कर लें।
* स्वस्ति-पाठ करें-
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा:,
स्वस्ति ना पूषा विश्ववेदा:।
स्वस्ति न स्तारक्ष्यो अरिष्टनेमि
स्वस्ति नो बृहस्पति र्दधातु।।
* इसके बाद पूजन-संकल्प कर भगवान श्रीगणेश एवं गौरीमाता पार्वती का ध्यान कर पूजन करना चाहिए।
* भगवान श्रीगणेश और माता पार्वती के पूजन के पश्चात नन्दीश्वर, वीरभद्र, कार्तिकेय (स्त्रियां बालस्वरूप कार्तिकेय का स्वयं माता के रूप में ध्यान कर पूजन करें) एवं नागदेव का पूजन करें।
* हाथ में बिल्वपत्र, अक्षत आदि लेकर भगवान शिव का ध्यान करें।
* भगवान भोलेनाथ का ध्यान करने के बाद आसन, आचमन, स्नान, दही-स्नान, घी-स्नान, शहद-स्नान व शक्कर-स्नान कराएं।
* इसके पश्चात भगवान का एक साथ पंचामृत स्नान कराएं।
* सुगंध-स्नान कराएं और फिर शुद्ध स्नान कराएं।
* अब भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाएं, जनेऊ चढाएं।
* इसके बाद सुगंध, इत्र, अक्षत, पुष्पमाला, बिल्वपत्र चढाएं।
* फिर भोलेनाथ को धूप-दीप और विविध प्रकार के फल अर्पित करें।
* भोलेनाथ को नैवेद्य प्रस्तुत करें।
* आरती के लिए ज्योत प्रज्ज्वलित करें।
* शिवजी की आरती करें…
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अद्र्धांगी धारा।
ओम जय शिव ओंकारा।।
एकानन चतुरानन पंचानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे।
ओम जय शिव ओंकारा।।
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे।
ओम जय शिव ओंकारा।।
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी।
ओम जय शिव ओंकारा।।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे।
ओम जय शिव ओंकारा।।
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी, जगपालन कारी।
ओम जय शिव ओंकारा।।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।
ओम जय शिव ओंकारा।।
लक्ष्मी-सावित्री-पार्वती संगा।पार्वती अद्र्धांगी, शिवलहरी गंगा।
ओम जय शिव ओंकारा।।
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा।
ओम जय शिव ओंकारा।।
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला।
ओम जय शिव ओंकारा।।
काशी में विश्वनाथ विराजे, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी।
ओम जय शिव ओंकारा।।
त्रिगुणस्वामीजी की आरती जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे।
ओम जय शिव ओंकारा।।
-ओम नम: शिवाय-
* क्षमा याचना
शिवपूजा के बाद क्षमा-याचना करें…
आह्वानं ना जानामि, न जानामि तवार्चनं,
पूजां चैव न जानामि, क्षमस्व महेश्वर:!
*महाशिवरात्रि पर सज गया मेरे भोले का दरबार, शिवरात्रि पर भरेगा मदारेश्वर पर महामेला….

-आज का राशिफल –

मेष राशि: (च, चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)
मेष राशि जातक आज सावधान रहें। स्वास्थ्य खराब रहने की संभावनाएं हैं। परिवार जनों से वियोग होगा। धर्म के नाम पर अधिक खर्च हो सकता है थोड़ा संभलकर रहे। सामाजिक कार्यों में ज्यादा अधिक खर्च हो सकता है। गलत जगह पूंजी निवेश करने से बचे।

वृष राशि: (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो )
वृष राशि जातकों का दिन शुभ होगा। परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी। दोस्तों के साथ अच्छा समय बीतेगा। कारोबार में वृद्धि होगी। स्त्री वर्ग से लाभ होने की संभावनाएं हैं। पत्नी-पुत्र से अच्छा समाचार मिल सकता है। उत्तम दांपत्य सुख की अनुभूति होगी।

मिथुन राशि: (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को हा )
मिथुन राशि जातकों का दिन शुभ होगा। नौकरी-कारोबार में आपके काम की तारीफ होगी। व्यापारियों की प्रशंसा से आप अधिक प्रोत्साहित होंगे। सामाज में मान-सम्मान बढ़ेगा। सरकारी कार्यों में सफलता मिलेगी। पारिवारिक जीवन अच्छा रहेगा।

कर्क राशि: ( ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो )
कर्क राशि जातक धर्म पर अधिक ध्यान देंगे। तीर्थ यात्रा पर जा सकते हैं। शारीरिक और मानसिक रूप से खुश रहोगे। भाग्यवृद्धि के मौके मिलेंगे। परिवार के साथ अच्छा समय बीतेगा। नौकरी वालों को लाभ होगा। विदेश यात्रा का संयोग है।

सिंह राशि: (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे )
सिंह राशि जातकों का दिन प्रतिकूलताओं से भरा होगा। सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा। बाहर का खाने से बचे। बीमारी के पीछे धन खर्च हो सकता है। परिवार के सदस्यों से संभंलकर रहें। इश्वर का नाम लेने से मन की चिंता कम होगी।

कन्या राशि: (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन सामान्य रहेगा। जीवनसाथी के साथ आप करीबी के क्षण का आनंद उठा सकेंगे। पारिवारिक जीवन खुश रहेगा। विपरीत लिंग की तरफ आकर्षित होने का अनुभव हो सकता है। समाज में आपकी मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। वस्त्राभूषण तथा वाहन की प्राप्ति होने की संभावनाएं हैं।

तुला राशि: ( रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
परिवार का महौल शांति और आनंदपूर्वक रहेगा। सुख संदेश मिलेगें। कारोबार में यश और कामयाबी हासिल होगी। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। नौकरी में सफलता मिलेगी। ननिहाल पक्ष की ओर से कोई समाचार मिल सकता है। धन लाभ होने की संभावनाएं है। सहकर्मियों का सहयोग प्राप्त होगा।

वृश्चिक राशि: (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू )
वृश्चिक राशि जातकों को स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानी हो सकती है। संतान पक्ष की ओर से मन चिंतित रहेगा। मानहानि हो सकती है। शेयर या सट्टा में न पड़े. कहीं यात्रा करने या प्रवास से बचे. छात्रों को पढ़ाई में सफलता मिलेगी।

धनु राशि: (ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)
धनु राशि के जातकों के मन में स्फूर्ति का अभाव रहेगा। मन के भीतर चिंता का भार रहेगा। पारिवारिक वातावरण बिगड़ा रह सकता है। माता के साथ मनमुटाव हो सकता है। या उनकी तबियत से जुड़ी बातों से चिंता हो सकती है। पूरी नींद और समय से भोजन प्राप्त न होने से चिड़चिड़ा पन होगा।

मकर राशि: (भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)
मकर राशि जातकों के दैनिक कार्यों में राहत महसूस करेंगे। पारिवारिक जीवन की समस्याएं हल होगीं। संपति संबंधी कामकाजों का हल मिलेगा। कारोबार नें आर्थिक लाभ होगा। भाई-बहन का अच्छा सहयोग मिलेगा। छात्रों के लिए समय अच्छा है। प्रिसजन से मुलाकात हो सकती है। नए कार्य के लिए दिन अनुकूल है।

कुम्भ राशि: ( गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
कुम्भ राशि के जातक आज वाणी पर नियंत्रण रखें. वाद-विवाद में ना उलझें। ज्यादा खर्च करने पर लगाम लगाएं। कार्यों में कम सफलता प्राप्त होगी। स्वास्थ्य खराब होगा। छात्रों को विद्या प्राप्ति में बाधा आ सकती है। आर्थिक हानि हो सकती है।

मीन राशि: ( दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
मीन जातकों का दिन शुभ रहेगा। दिन आनंद और उत्साह परिपूर्ण होगा। घर में मांगलिक प्रंसग का आयोजन हो सकता है। नए काम को शुरू करने के लिए दिन शुभ है। सगे-संबंधियों और मित्रों से मुलाकात हो सकती है एंव उनके साथ कहीं बाहर भोज पर या घूमने का योग बन सकता है। यात्रा या प्रवास की संभावना है। तन-मन खुश रहेगा।

* यहां राशिफल चन्द्र के गोचर पर आधारित है, व्यक्तिगत जन्म के ग्रह और अन्य ग्रहों के गोचर के कारण शुभाशुभ परिणामों में कमी-वृद्धि संभव है, इसलिए अच्छे समय का सद्उपयोग करें और खराब समय में सतर्क रहें.

– शुक्रवार का चौघडिय़ा –

दिन का चौघडिय़ा रात्रि का चौघडिय़ा
पहला- चर पहला- रोग
दूसरा- लाभ दूसरा- काल
तीसरा- अमृत तीसरा- लाभ
चौथा- काल चौथा- उद्वेग
पांचवां- शुभ पांचवां- शुभ
छठा- रोग छठा- अमृत
सातवां- उद्वेग सातवां- चर
आठवां- चर आठवां- रोग

* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है

* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें।
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें।
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है।
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, स्थानीय पंरपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं।
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!

पंचांग
शुक्रवार, 21 फरवरी 2020
महा शिवरात्रि
शक सम्वत 1941 विकारी
विक्रम सम्वत 2076
काली सम्वत 5121
दिन काल 11:20:34
मास फाल्गुन
तिथि त्रयोदशी – 17:22:38 तक
नक्षत्र उत्तराषाढ़ा – 09:13:38 तक
करण वणिज – 17:22:38 तक, विष्टि – 30:11:09 तक
पक्ष कृष्ण
योग व्यतीपात – 07:07:15 तक
सूर्योदय 06:54:45
सूर्यास्त 18:15:20
चन्द्र राशि मकर
चन्द्रोदय 30:12:59
चन्द्रास्त 16:11:59
ऋतु वसंत
दिशा शूल: पश्चिम में
राहु काल वास: दक्षिण-पूर्व में
नक्षत्र शूल: कोई नहीं
चन्द्र वास: दक्षिण में

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