जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से क्यों की जानी चाहिए चार धाम यात्रा,..

जीवन मंत्र । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से क्यों की जानी चाहिए चार धाम यात्रा,..

  1. चार धाम यात्रा
    हिन्दू धर्म में चार धाम की यात्रा का बेहद महत्व है। यदि आप एक हिन्दू परिवार से हैं तो अक्सर अपने घरे के बड़े-बुजुर्गों से या फिर अपने रिश्तेदारों से चार धाम की यात्रा पर जाने का जिक्र करते हुए अवश्य सुना होगा।
  2. क्या है महत्व
    यह एक धार्मिक यात्रा है, जिसमें पवित्र हिन्दू धामों के दर्शन किए जाते हैं। हिन्दू धर्म में चार मुख ऐसे धाम बताए गए हैं जिनके दर्शन करना ही चार धाम यात्रा है।
  3. जानिए रोचक तथ्य
    लेकिन क्या कभी आपके मन में यह सवाल आया है कि चार धाम की यात्रा क्यों की जाती है? या ऐसी धार्मिक यात्रा क्यों की जानी चाहिए? इसका महत्व क्या है एवं इस यात्रा से भक्त क्या लाभ पाता है?
  4. चार धाम यात्रा
    हिन्दू धर्म में चार धाम की यात्रा क्यों की जानी चाहिए, इसके पीछे कई सारे कारण है। कुछ कारण लोगों की भावनाओं से जुड़े हैं तो कुछ विभिन्न मान्यताओं पर आधारित हैं।
  5. चार धाम यात्रा
    लेकिन इससे भी पहले सवाल यह उठता है कि ये चार धाम कौन से हैं? आजकल लोगों में यह मत काफी प्रसिद्ध है कि सभी चार धाम उत्तराखंड में ही हैं और वे इस प्रकार हैं – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ।
  6. चार धाम
    लेकिन यदि हिन्दू धार्मिक इतिहास की नजर से देखा जाए तो चार धाम भारत की एक ही दिशा में ना होकर, चार दिशाओं में बने हुए हैं।
  7. आद्यशंकराचार्यजी ने बताये थे चार धाम
    प्राचीन समय से ही चारधाम तीर्थ के रूप मे मान्य थे, लेकिन इनकी महिमा का प्रचार आद्यशंकराचार्यजी ने किया था। माना जाता है, उन्होंने 4 धाम व 12 ज्योर्तिलिंग को सूचीबद्ध किया था।
  8. आद्यशंकराचार्यजी ने बताये थे चार धाम
    उनके अनुसार जिन चार धामों की प्रत्येक हिन्दू को जीवन में एक बार यात्रा अवश्य करनी चाहिए, वे इस प्रकर हैं – उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण रामेश्वर, पूर्व में पुरी और पश्चिम में द्वारिका।
  9. आद्यशंकराचार्यजी ने बताये थे चार धाम
    आद्यशंकराचार्यजी ने यही चार धाम क्यों चुनें और इन्हीं दिशाओं में इनके होने का चयन क्यों किया, इसके पीछे भी एक खास कारण है।
  10. क्या है कारण
    दरअसल इन चारों धाम चार दिशा में स्थित करने के पीछे आद्यशंकराचार्यजी के कुछ सांस्कृतिक लक्ष्य थे। उनका यह मानना था कि प्रत्येक यात्री इन चार धामों के दर्शन के बहाने कम से कम पूरे भारत का दर्शन कर सके।
  11. क्या है कारण
    जो भी यात्री इन धामों की यात्रा के लिए निकले वह विविधता और अनेक रंगों से भरी भारतीय संस्कृति से परिचित हो। वो करीब से अपने देश की सभ्यता और परंपराओं को जाने।
  12. धार्मिक कारण
    लेकिन इसके अलावा चार धाम की यात्रा से क्या धार्मिक सुख मिलता है, यह जानते हैं आप? मान्यता है कि जो भी भक्त चार धाम की यात्रा करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  13. धार्मिक कारण
    वह जीवन-मरण के इस जंजाल से मुक्त हो जाता है और स्वर्ग की प्राप्ति करता है। इसके अलावा चार धाम की यात्रा उसके जीवन में अनेकों सुख लाती है। उसे तन एवं मन दोनों रूप से शांति प्रदान करती है।
  14. वैज्ञानिक कारण
    किंतु चार धाम की यात्रा करने के पीछे वैज्ञानिक कारण क्या हैं, यह भी जानने योग्य बात है। चार धाम की यात्रा हमें वैज्ञानिक रूप से कुछ खास लाभ देती है। यहां हम आपको चार धाम की यात्रा करने के कुछ वैज्ञानिक लाभ बताने जा रहे हैं, आशा है इन्हें जानने के बाद आप इस यात्रा पर जाने के लिए और भी इच्छुक होंगे।
  15. वैज्ञानिक कारण
    हिन्दू धर्म के ये चार धाम जिन-जिन जगहों पर बने हैं वहां का वातावरण स्वास्थ्य के अनुकूल होता है। उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ यदि आप जाएं तो उससे बेहतर वातावरण आपको कहीं नहीं मिल सकता।
  16. बद्रीनाथ मंंदिर का वातावरण
    इस मंदिर के आसपास फैली हरी-भरी वादियां आपको यहीं बस जाने के लिए मजबूर करती हैं। इसके अलावा अन्य जितने भी धाम हैं वहां का वातावरण किसी ना किसी रूप से भक्तों को अपनी ओर खींचता है।
  17. मानसिक शांति मिलती है
    चार धाम यात्रा से स्वास्थ्य संबंधी दूसरा फायदा जो मिलता है वह है ‘मानसिक शांति’ का। चार धाम यात्रा करने वाला भक्त प्रभु का गुनगान करते हुए अपनी चिंताओं को भूल जाता है।
  18. मानसिक तनाव कम होता है
    जीवन की सभी कठिन समस्याओं को वे कम से कम उन पलों के लिए पीछे छोड़ देते हैं जब तक वे यात्रा कर रहे होते हैं। ऐसा करने से उनका मानसिक तनाव कम होता है, वे अंदरूनी खुशी को महसूस कर सकते हैं और खुलकर जीने की चाहत उनमें आती है।
  19. चार धामों की विशेषता
    चलिए अब आपको उन चार धामों की विशेषता बताते हैं, जिनके दर्शन मात्र से एक हिन्दू मोक्ष की प्राप्ति करता है। चारों दिशाओं में फैले इन चार धामों की अपनी अलग विशेषता है, यहां दर्शन करने से एक खास प्रकार का लाभ होता है।
  20. बद्रीनाथ धाम
    बद्रीनाथ उत्तर दिशा में स्थित एक मुख्य यात्राधाम माना जाता है। मन्दिर में नर-नारायण की पूजा होती है और अखण्ड दीप जलता है, जो कि अचल ज्ञानज्योति का प्रतीक है।
  21. बद्रीनाथ धाम
    कुछ वर्षों पहले तक लोगों को बद्रीनाथ जाने में कई दिक्कतें होती थीं, लेकिन अब जब इस धाम तक जाने का रास्ता सही बन गया है और साथ ही कई सुख सुविधाएं मौजूद हैं तो बड़ी संख्या में यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
  22. बद्रीनाथ धाम
    बद्रीनाथ धाम में तप्तकुण्ड काफी प्रसिद्ध है। यहां आकर यात्री एक बार इस कुण्ड में स्नान अवश्य करते हैं। यहां वनतुलसी की माला, चने की कच्ची दाल, गिरी का गोला और मिश्री आदि का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
  23. रामेश्वर धाम
    हिन्दू धर्म में चार प्रसिद्ध धामों में से एक है रामेश्वरम, जो कि भारत के दक्षिणी कोने में स्थित है। इस धाम में भगवान शिव की पूजा लिंग रूप में की जाती है। यह शिवलिंग भगवान शिव को समर्पित बारह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है।
  24. रामेश्वर धाम
    कहा जाता है कि भारत के उत्तर मे काशी की जो मान्यता है, वही दक्षिण में रामेश्वरम् की है। रामेश्वरम चेन्नई से लगभग सवा चार सौ मील दक्षिण-पूर्व में है। यह हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से चारों ओर से घिरा हुआ एक सुंदर शंख आकार का द्वीप है।
  25. पुरी धाम
    जब-जब श्रीकृष्ण का जिक्र हो और पुरी मंदिर का नाम ना लिया जाए, ऐसा हो नहीं सकता। लेकिन यहां भगवान कृष्ण “श्री जगन्नाथ” जी के नाम से प्रसिद्ध हैं। जगन्नाथ मंदिर भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है।
  26. पुरी धाम
    इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह मंदिर जहां स्थित है उस नगरी को ही जगन्नाथपुरी या पुरी कहा जाता है। इसी बात से इस मंदिर की महिमा का आभास होता है। मंदिर में स्थित भगवान की मूर्ति से लेकर इस मंदिर का ‘भोज’ सभी की अपनी महिमा है।
  27. द्वारिका धाम
    द्वारका भी भगवान विष्णु के दूसरे मानवरूपी अवतार भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित पवित्र धाम है। यह जगह भारत के पश्चिम में समुद्र के किनारे पर बसी है।
  28. द्वारिका धाम
    यह जगह केवल एक जगह ना होकर एक प्राचीन नगरी है। आज से हजारों वर्ष पूर्व भगवान कृष्ण ने इसे बसाया था। कृष्ण मथुरा में उत्पन्न हुए, गोकुल में पले, पर राज उन्होंने द्वारका में ही किया।
  29. द्वारिका धाम
    माना गया है कि यहीं बैठकर उन्होने सारे देश की बागडोर अपने हाथ में संभाली। पांडवों को सहारा दिया। किंतु ऐसी मान्यता है कि असली द्वारका तो पानी में समा गई।
  30. द्वारिका धाम
    लेकिन कृष्ण की इस भूमि को आज भी पूज्य माना जाता है। इसलिए द्वारका धाम में श्रीकृष्ण स्वरूप का पूजन किया जाता है। आशा है कि इस जानकारी को प्राप्त करने के बाद आप चार धाम यात्रा से जुड़े भ्रमों से मुक्त हो पाएंगे।
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