सोनभद्र(सीके मिश्रा) पिपरी में चल रही श्री रामकथा के दूसरे दिन प्रसिद्ध कथावाचक राजन जी महाराज ने शिव पार्वती के विवाह का मनमोहक दृश्य श्रोताओं के सम्मुख प्रस्तुत किया।

राजन जी महाराज ने माता सती के त्याग का वर्णन करते हुए कहा” शिव संकल्प किन्ह मनमाही, ये तनसती भेंट अब नाही ” शिवजी ने माता सती का त्याग करते हुए तपस्या में लीन हो गये और 87 हजार साल लगातार तपस्या में लीन रहे ।उन्होंने कहा कि “कथा जीवन की व्यथा को समाप्त कर देती है ।” आज हजारो साल बाद माता सती भोलेनाथ के सम्मुख बैठी है।महाराज जी कहते है कि “नही चाहिये दिल दुखाना किसी का।” और भगवान शिव ने सती को क्षमा कर दिया । सती महाराज दक्ष के यज्ञ में शामिल होने तथा वहां भगवान शंकर का अपमान होने पर यज्ञ कुंड में भस्म हो जाने तथा शिवगण वीरभद्र द्वारा यज्ञ आचार्य भृगु जी तथा महाराज दक्ष के बाद की मार्मिक कथा का वर्णन किया।

राजन जी महाराज कहते हैं कि तभी कामदेव ने देवताओं तथा जगत कल्याण के लिए शिवजी पर अपने पुष्प बाण से घात किया शिवजी की नेत्र खुलते ही कामदेव भस्म हो गए तब देवताओं की प्रार्थना पर महादेव महाराज हिमांचल की कन्या पार्वती से विवाह को तैयार हो गए जब शिव की बारात हिमालय पर जाने के लिए तैयार हुई तो समस्त देवता तैयार होकर चले तथा शिव अपने गणों के साथ नंदी पर सवार होकर महाराज हिमाचल के द्वार पर पहुंचते हैं शिवगणों को देखकर महारानी मैना डर जाती हैं और पार्वती जी को पकड़कर रोने लगती हैं। तभी नारद जी प्रकट होते हैं और शिव और पार्वती के पूर्व जन्म की कथा का वर्णन करते हैं, जिससे महारानी मैना का संताप दूर होता है तथा बड़ी धूमधाम से शिव और पार्वती का विवाह संपन्न होता है। कथा में दैनिक यजमान की भूमिका विजय जायसवाल एवं पुष्पा जायसवाल ने निभाई।

इस अवसर पर रेणूकूट नगर पंचायत चेयरमैन निशा सिंह, समाजसेवी सुशील उपाध्याय, ब्राह्मण समाज अध्यक्ष उमेश ओझा, साधु सिंह, वीरेंद्र सिंह, रविंद्र सिंह, श्रीनिवास पांडेय समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
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