रेनुसागर सोनभद्र। रेनुसागर कालोनी में श्री श्याम सेवा मण्डल रेनुसागर के तत्वाधान में आयोजित श्रीमदभागवत कथा ज्ञानयज्ञ महोत्सव में श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन पीठाधीश्वर श्री महाकाल पाताल भैरव,भैरव मंदिर भैयाथान सूरजपुर जनपद सरगुजा से पधारे पंडित आचार्य राज किशोर शास्त्री महाराज ने कहा कि
प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान ने लिया था नरसिंह अवतार।कथावाचक पंडित राजकिशोर शास्त्री महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा तीसरे दिन ध्रुव चरित्र,पृथु चरित्र,प्रह्लाद चरित्र भक्त अजामिल,नरसिंह अवतार ,जड़ भरत के वंश का वर्णन,अजामिल नारदजी को दक्ष श्राप, अजामिल की उपासना, ब्रह्माजी की ओर से हिरण्यकश्यप की तपस्या के बाद वरदान, प्रहलाद जन्म, राजा बलि और वामन अवतार, वत्रासुर की उत्पत्ति, भगवान विष्णु का नरसिंह अवतार के साथ ही हिरण्यकश्यप के वध की कथा श्रद्धालुओं को सुनाई। उन्होंने बताया कि ब्रह्माजी की हिरण्यकश्यप कठोर तपस्या करता है। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी वरदान देते है कि उसे ना कोई घर में मार सके ना बाहर, ना अस्त्र से और ना शस्त्र से, ना दिन में मरे ना रात में, ना मनुष्य से मरे ना पशु से, ना आकाश में ना पृथ्वी में।
इस वरदान के बाद हिरण्यकश्यप ने प्रभु भक्तों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया,लेकिन भक्त प्रहलाद के जन्म के बाद हिरण्यकश्यप उसकी भक्ति से भयभीत हो जाता है। उसे मृत्यु लोक पहुंचाने के लिए प्रयास करता है। इसके बाद भगवान विष्णु भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए नरसिंह अवतार लेते है और हिरण्यकश्यप का वध कर देते हैं। इस अवसर पर श्री महाकाली एवं नरसिंह भगवान आकर्षक झांकी निकली गयी जिसे देखने के लिये जनसैलाब उमड़ पड़ा।
बताते चले कि यह कथा श्यामसेवा मण्डल के खचाखच भरे पंडाल में श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण के लिये श्रद्धालु शाम 6:15बजे से रात्रि 11बजे तक कथा का आनंद लेते रहे।इसके पूर्ब कथा में महाआरती श्याम सेवा मण्डल के अध्यक्ष अनिल सिंघानिया एवं सचिव विनय वाजपेयी सपत्नी शशि वाजपेयी ने किया ।कार्यक्रम के अंत मे प्रसाद का वितरण किया गया। इस अवसर पर कथा संयोजक विकाश अग्रवाल , श्याम सेवा मण्डल अध्यक्ष अनिल सिंघानिया,सचिव विनय वाजपेयी,पंडित रामयश पांडेय,संतोष चौबे ,सुधांशु दुबे,गोपाल मुखर्जी,नरेश शर्मा,दीपक सरावगी,अरुण सिंह उर्फ मुन्ना सिंह,अरुण कुमार दारा सिंह, अजय कुमार शर्मा,श्रवण भोमिया देवेन्द्र राय ,पिंकी सिंह सहित हजारो लोग मौजूद
रहे।