जीवन मंत्र । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से मंदिर में दर्शन के फायदें……
मंदिर और उसमें स्थापित भगवान की मूर्ति हमारे लिए आस्था का प्रतीक हैं। मंदिर हिन्दू धर्म का एक बहुत बड़ा हिस्सा है और हमारे भीतर आस्था जगाते हैं।
मंदिर में दर्शन के पीछे सबसे बड़ा कारण, सकारात्मक ऊर्जा को प्राप्ता करना होता है। इसके अलावा, इस सकारात्माक ऊर्जा को सिर्फ तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब शरीर की पांचों इंद्रियां सक्रिय हो।
मंदिर में प्रवेश करने के बाद, ये पांचों इंद्रियां अपने आप ही ऊर्जावान हो सकती हैं। मंदिर के लिए हमेशा ऐसा स्थान चुना जाता है जहां सकरात्मक ऊर्जा का भंडार हो। एक ऐसा स्थान जहां उत्तरी छोर से स्वतंत्र रूप से चुम्बकीय और विद्युत तरंगों का प्रवाह हो। अक्सर ऐसे ही स्थान का चयन करके विधिवत मंदिर का निर्माण करवाया जाता है, ताकि लोगों के शरीर में अधिकतम सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो।
मंदिर में भगवान की मूर्ति को गर्भगृह में या मंदिर के बिल्कुल मध्य स्थान पर स्थापित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर सबसे अधिक ऊर्जा होती है जहां सकारात्माक सोच से खड़े होने पर शरीर में अच्छी ऊर्जा पहुंचती है और नकारात्मकता दूर भाग जाती है। हमेशा मूर्ति की स्थापना के बाद ही मंदिर का ढांचा खड़ा किया जाता है।
मंदिर की पवित्रता हमें प्रभावित करती है। हमें अपने अंदर और बाहर इसी तरह की शुद्धता रखने की प्रेरणा मिलती है। मंदिर में बजने वाले शंख और घंटों की ध्वनियां वहां के वातावरण को शुद्ध करती है। ऐसा माना जाता है की उस आवाज़ की तरंगों से कीटाणु भी खत्म हो जाते हैं।