चौदहवां और राज्य वित्त आयोग के पैसे को लगा ग्रहण।

बभनी/सोनभद्र (अरुण पांडेय)

दस माह से काम किए मजदूर पैसा न मिलने से भूखमरी के कगार पर।

कई बार उच्चाधिकारियों को अवगत कराने के बाद भी पैसा न मिलने से मुसीबत में ग्राम प्रधान।

बभनी। विकास खंड के चालीसों ग्राम पंचायतों में सभी ग्राम प्रधानों को दो किस्तों में दो किस्तों में पैसा दे दिया गया है लेकिन शेष पैसा दस महीनों से न मिल पाने के कारण आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में गरीब जनता भूखमरी के कगार पर आ पहुंची है ग्राम पंचायत स्तर पर आवास शौचालय सीसी रोड सिंचाई कूप पेयजल कूप नाली बावली नाली सड़कों का निर्माण पुलिया निर्माण समेत अन्य कार्य तो करा लिए गए परंतु मजदूरी के नाम पर दस महीनों से पैसा नहीं आ रहा है गरीब मजदूरों का शोषण किया जा रहा है जिन मजदूरों के द्वारा पंचायत स्तर पर कार्य तो करा लिया गया परंतु मजदूरी के लिए बेचारे मजदूर अद्रा नक्षत्र की बूंद की तरह आस लगाए बैठे हैं इस क्षेत्र में जहां मजदूरों को दो वक्त की रोटी का व्यवस्था करना दुर्लभ हो जाता है वहीं इनके पेट पर लात मारकर विभागीय कार्रवाई पूरी की जा रही है।यदि देखा जाए तो जहां लाखों रुपए बकाया होने पर जब मजदूर ग्राम प्रधानों के ऊपर दबाव बनाने लगते हैं तो ग्राम प्रधान अपना चेहरा छुपाने को मजबूर हो जाते हैं।चौना और धनवार ग्राम पंचायतों में वित्तीय वर्ष में फूटी कौड़ी भी नसीब नहीं हुई है। अप्रैल माह के बाद चौना ग्राम पंचायत में लगभग सात लाख और वहीं धनवार ग्राम पंचायत में लगभग पांच लाख रुपए का काम हुआ लेकिन मजदूरों की न ही मजदूरी भुगतान हो सकी न ही सामग्री भुगतान हो सका ग्राम प्रधान अपने क्रेडिट पर स्थानीय दुकानदारों से सामग्री तो ले आते हैं परंतु पैसा न आने के कारण उन्हें दुकानदारों से मुंह छुपाकर घूमना पड़ता है जिसके लिए प्रधानों के द्वारा कई बार पत्र लिखकर अवगत कराया गया परंतु उन्हें कोई निष्कर्ष नहीं मिला।

Translate »