सूर्यग्रहण का प्रभाव,जाने आचार्य विमल कुमार पांडेय से

दिल्ली।

26 दिसंबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण ग्रहों की स्थिति के अनुसार पिछले कई दशकों में लगे सूर्य ग्रहण से भिन्न है। ग्रहण के समय 6 ग्रह सूर्य, चन्द्रमा, गुरु, शनि और बुध की युति धनु राशि में केतु के साथ होगी। इससे पहले 5 फरवरी 1962 के पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय मकर राशि में सभी 7 ग्रह केतु के साथ उपस्थित थे। उस ग्रहण के प्रभाव से उस वर्ष ‘क्यूबा-मिसाइल’ संकट के कारण अमेरिका और रूस के बीच युद्ध की नौबत आ गयी थी। उसी साल भारत को चीन का आक्रमण झेलना पड़ा था। करीब 58 साल बाद लगने जा रहा यह विशेष सूर्य ग्रहण क्या असर डालेगा।

👉 सूर्य ग्रहण समय (वलयाकार, आंशिक)
इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर, 2019 (5 पौष, शक संवत 1941) को लगने जा रहा है जो वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा अर्थात पूर्णग्रास नहीं बल्कि खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा. इससे पहले इस साल छह जनवरी और दो जुलाई को आंशिक सूर्यग्रहण लगा था। *ज्योतिषाचार्य पं० श्री विमल कुमार पाण्डेय जी* के अनुसार, भारत में सूर्योदय के बाद इस वलयाकार सूर्य ग्रहण को देश के दक्षिणी भाग में कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के हिस्सों में देखा जा सकेगा जबकि देश के अन्य हिस्सों में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई देगा.

भारतीय मानक समय अनुसार आंशिक सूर्यग्रहण सुबह आठ बजे आरंभ होगा जबकि वलयाकार सूर्यग्रहण की अवस्था सुबह 9.06 बजे शुरू होगी. सूर्य ग्रहण की वलयाकार अवस्था दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी जबकि ग्रहण की आंशिक अवस्था दोपहर एक बजकर 36 मिनटर पर समाप्त होगी।

👉 सूर्य ग्रहण सूतक काल, सावधानियां
इस महीने 26 तारीख को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा। भारतीय समयानुसार खण्डग्रास की अवधि 2 घंटे 40 मिनट तक रहेगी। जबकि सूर्य ग्रहण में लगने वाला सूतक काल ग्रहण से 12 घंटे पूर्व लग जाएगा। ग्रहण में लगने वाला सूतक एक अशुभ समय होता है। धार्मिक दृष्टि से यह अवधि किसी शुभ कार्य के लिए अच्छी नहीं होती है। अतः इस दौरान शुभ कार्यों को नहीं किया जाता है। यह सूर्य ग्रहण से लगने के चार पहर (एक पहर तीन घंटे के बराबर होता है) पहले से ही लग जाता है और ग्रहण के समाप्ति के साथ ही खत्म होता है। हालांकि सूतक काल वहीं प्रभावी होता है, जहां सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।

सूतक काल में भोजन पकाना और खाना नहीं चाहिए। इस दौरान किसी भी नए कार्य को शुरु नहीं किया जाता है। इसके साथ ही मूर्ति पूजा और मूर्तियों का स्पर्श न करें, न ही तुलसी के पौधे का स्पर्श करें। गर्भवती महिलाओं को चाकू एवं छुरी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसका सीधा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर होता है। इसके साथ ही उन्हें घर से बाहर न निकलें। सूर्य को नग्न आंखों से न देंखें।

👉 किस राशि और नक्षत्र में लग रहा है सूर्य ग्रहण
सूर्य ग्रहण गुरु की राशि धनु और मूल नक्षत्र में लग रहा है। मूल नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है। सूर्य ग्रह, धनु राशि और मूल नक्षत्र के बीच की सामंजस्यता को देखें तो इन तीनों के मध्य अच्छी सामंजस्यता दिखाई दे रही है।

👉 वलयाकार प्रावस्था, आंशिक ग्रहण
ज्योतिषशास्त्र में राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है जो कि ग्रहण के समय सूर्य और चन्द्रमा को ग्रसित करते हैं। यह सूर्य ग्रहण खाड़ी देशों अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, चीन और पूर्वी एशिया के बड़े हिस्से में दिखाई देगा।
ग्रहण की वलयाकार प्रावस्था का संकीर्ण गलियारा देश के दक्षिणी हिस्से में कुछ स्थानों यथा कन्नानोर, कोयंबटूर, कोझीकोड, मदुरई, मंगलोर, ऊटी, तिरुचिरापल्ली इत्यादि से होकर गुजरेगा. भारत में वलयाकार सूर्य ग्रहण के समय सूर्य का करीब 93 फीसदी हिस्सा चांद से ढका रहेगा.

वलयाकार अवस्था का संकीर्ण पथ उत्तरी भारत से होकर गुजरेगा. देश के शेष भाग में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई पड़ेगा।

सूर्य ग्रहण का राशियों पर असर (Surya Grahan Effects On Rashi)…
मेष राशि- संतान से कष्ट, मानसिक परेशानी
वृष- दुश्मनों से कष्ट
मिथुन- दांपत्य जीवन में कष्ट
कर्क- शत्रुओं पर विजय प्राप्त (सौख्य)
सिंह- बिजनेस में परेशानी
कन्या- करियर में शुभ संकेत
तुला- धन लाभ
वृश्चिक- खर्चों में बढ़ोतरी
धुन- दुर्घटना की आशंका
मकर- आर्थिक नुकसान
कुंभ- कार्यों में सफलता
मीन- रोगों से छुटकारा (सुख) ।

ग्रहण काल में क्या करना चाहिए…
सूर्यग्रहण का तीन काल होता है। प्रथम, द्वितीय और अंतिम यानि मोक्षकाल। प्रारंभ काल में स्नान और जप करना शुभ माना जाता है। मध्यकाल यानि द्वितीय समय में मन ही मन देव पूजन कर सकते हैं और मोक्ष्रकाल के दौरान दान का बेहद महत्व है। यदि कहीं सरोवर और नदी हो तो उसमें ग्रहण उपरांत स्नान से ग्रहण से होने वाले कष्टों का हरण हो जाता है। अगर ऐसा संभव नहीं है तो जरूरतमंदों को जरूरत की किसी वस्तु का दान कर देना चाहिए।

ग्रहण से मिल रहे अशुभ संकेत…
सूर्य ग्रहण को आमतौर पर ज्‍योतिष में अशुभ माना जाता है। ज्‍योतिषों के अनुसार, ग्रहण से एक दिन पहले पौष माह में मंगल राशि परिवर्तन करके वृश्चिक राशि में प्रवेश करने जा रहा है। वृश्चिक जलतत्‍व की राशि है, इसलिए बताया जा रहा है कि इस योग में कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा आ सकती है। भूकंप आ सकता है, भारी बर्फबारी हो सकती है, सुनामी का भी खतरा है।

Translate »