प्रयागराज-लवकुश शर्मा
प्रयागराज।सरकार भले ही अनुसूचित जन जाती को लेकर भले ही विकास का ढ़िढोरा पीटे लेकिन जमीनी हकीकत तो कुछ और ही है।सरकारी कर्मचारियों द्वारा सारा विकास कागजो पर चलता है।न तो इनपर अधिकारी ध्यान देते हैं नही ग्राम प्रधान।वही हण्डिया तहसील के जसवा गांव का मामला आया है जहाँ बसी कुनबों की बस्ती आज भी पालीथीन व कच्चे घरों का साज सजा हुआ है।वही बसे मुसहर परिवार आज भी सरकारी लाभों से वंचित हैं।

आज न ही उन्हें प्रधानमंत्री आवास मिला न ही कोई अन्य लाभ।बस्ती के ही फूलचन्द्र मुसहर बताते है की उनको पीने के लिए पानी के लिए भी भटकना पड़ता है। जो पांच सौ मीटर दूर से पानी लेआकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं।वही बुनको की बस्ती में इस कड़ाके दार ठंड में रहने के लिए घास फूस के झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर है।

मुसहर लोगो ने बताया कि कई बार ग्राम प्रधान के पास गये प्रधान ने अश्ववासन देकर वापस भेज देते हैं। फिर भी अभी तक सरकार से सुविधाओं की आस लगाये पूरा बुनका बस्ती बैठा हुआ हैं।वही सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता है कि आखिर क्यों इनको सरकारी लाभों से वंचित किया जाता है।क्योंकि ये पढ़े लिखे नही या अपना अधिकार नही जानते।क्यों इनतक अधिकारियों का ध्यान नही जाता है।यह बहुत बड़ा सवाल है जो सूबे की सरकार को चुनौती दे रहा है।
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