अगली सरकार आपकी ही बनेगी – अखिलेश यादव


अजय कुमार वर्मा
उन्नाव के बिहार गांव की रेप पीड़िता युवती को जिंदा जलाने की लोमहर्षक घटना ने सभी संवेदनशील लोगों को हिलाकर रख दिया था। उसकी तड़प को महसूस करते हुए और उसे न्याय दिलाने के लिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 07 दिसम्बर 2019, विधान भवन के मुख्य द्वार पर श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु शोकसभा की थी। राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी तथा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल भी साथ थे।
विगत 14 दिसम्बर 2019 को अखिलेश यादव फिर रेप पीड़िता के परिवार से मिलने चल पड़े। वे दरअसल उस परिवार की स्थिति से अवगत होना चाहते थे। पीड़िता के गांव बिहार में रवीन्द्र जायसवाल मिले जिन्होंने आग से जली पीड़िता के कहने पर यूपी डायल 100 नम्बर पर फोन कर घटना की सूचना दी थी। गिरजाशंकर सरला देवी पब्लिक इंटर कालेज के पास उसका घर है। इस घटना के एक प्रत्यक्षदर्शी रवि शंकर कल्लू गुप्ता भी थे। भाटनखेड़ा गांव जनपद उन्नाव के बिहार थाना क्षेत्र के सुमेरपुर ब्लाक के अन्तर्गत है और भगवंत नगर विधानसभा क्षेत्र में आता है। यहां पीड़िता के पिता राम किशुन विश्वकर्मा मिले। श्री विश्वकर्मा ने कहा उनको बेटी के लिए न्याय चाहिए। उसके हत्यारों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने बिजली की गड़बड़ी और फर्जी बिलों की भी शिकायत की।
यहां अखिलेश यादव के साथ पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चैधरी, विधायक मनोज पाण्डेय, एम.एल.सी. सुनील सिंह साजन, सुधीर रावत, पूर्व विधायक उदयराज यादव, जिलाध्यक्ष उन्नाव धर्मेन्द सिंह यादव, आशुतोष सिंह, कैलाशपति केसरवानी, ज्ञानेन्द्र कुशवाहा गुड्डू आदि थे। अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी पहले दिन से इस परिवार के साथ खड़ी है और आगे भी यथासंभव मदद करती रहेगी। न्याय की लड़ाई में यह परिवार अपने को अकेला नहीं समझे। समाजवादी पार्टी उनकी लड़ाई लड़ेगी।
अखिलेश यादव की लखनऊ से उन्नाव यात्रा के रास्ते में पार्टी कार्यकर्ता, समर्थक, प्रशंसक सब अपनी टोलियों के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष के अभिवादन में खड़े थे। मोहनलालगंज में विधायक अम्बरीष सिंह पुष्कर ने और गुड्डू यादव के साथ युवाओं ने स्वागत किया। लखनऊ से पहले निगोहां में अमर पाल सिंह तो बछरावां में रामलाल अकेला अपने साथियों और बेटों के साथ स्वागत में खड़े थे। बछरावां के कोन्सा मोड़ पर बबलू लोधी ने, अघौरा घाट पर तालाब से सिंघाड़ा तोड़ने वाले लक्ष्मण निषाद ने स्वागत किया। बछरावा से फतेहपुर रोड पर 55 किलोमीटर के रास्ते पर हर जगह अखिलेश यादव का समर्थन हुआ। गुरबख्शगंज (रायबरेली) में नौजवानों ने भरोसा दिलाया कि सन् 2022 में भाजपा जाएगी, उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार आयेगी। जनता उत्पीड़न से त्रस्त है। खींरो (रायबरेली) के सेमरी चैराहा से बिहार (उन्नाव) भाटनखेड़ा गांव तक सड़क गड्ढों से पटी पड़ी है। खीरों में गोकण साहू की चाय की दुकान है। अखिलेश यादव यहां रूके और चाय भी पी। दुकान मालिक गोकण और उपस्थित जनसमुदाय ने कहा कि अगली सरकार आपकी ही बनेगी। जनता से अपना सम्पर्क ऐसे ही बनाए रहिए।
अपनी यात्राओं में समाज, देश, परिवेश सब पर अखिलेश यादव का स्फुट चिंतन चलता रहता है। जनजीवन की दशा पर वे चिंतित होते हैं। समस्याएं ही नहीं समाधान भी सोचते रहते हैं। भविष्य का उत्तर प्रदेश बनाने का वे लगातार सपना देखते हैं।
नागरिकता संशोधन बिल (कैब) पर देश के विभिन्न हिस्सों में लगी आग की खब़रों पर उनकी निगाह है। कैब का बढ़ता विरोध यह साबित कर रहा है कि जनाक्रोश को अनदेखा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वह संकुचित दृष्टि व तुच्छ राजनीति से ऊपर उठकर देशहित से प्रेरित होता है। यह कैब समाज को बांटने की योजना का हिस्सा है और जनता का ध्यान मूल मुद्दों से हटाने की साजिश है। भाजपा के कैब जैसे कदम ऐतिहासिक नहीं बल्कि भविष्य में ऐतिहासिक भूल साबित होगी।
अचानक उत्तर प्रदेश में हुई ओलावृष्टि भी उनकी चिंता की परिधि में है। इस ओलावृष्टि से फसलों का भारी नुकसान हुआ है। सरसो, गेंहू, आदि फसलें इसकी चपेट में है। वे कहते हैं सरकार को किसानों को बचाने के लिए पर्याप्त मुआवजा देना चाहिए। रास्ते में उन्हें एक जगह पुलिस हमराही में पुरूष सिपाही के साथ महिला पुलिस दिख जाती है। अखिलेश इसे उचित नहीं मानते हैं। वे महिलाओं के लिए अलग महिला फोर्स बनाने के बारे में सोचने लगते हैं। उनका कहना है कि महिलाओं को सम्मानजनक सेवा का अवसर मिलना चाहिए।
नदियों का प्रदूषण भी गंभीर चिंता का विषय है। समाजवादी सरकार में गोमती सफाई का सफल अभियान चलाया गया था। लखनऊ में रिवरफ्रंट आकर्षण का केन्द्र बन गया था इन दिनों वहां काम रूका हुआ है। इन दिनों प्रधानमंत्री के नमामि गंगा प्रोजेक्ट का शोरशराबा है। अखिलेश पूछते हैं नदियों को प्रदूषिण मुक्त करने के भाजपा के कथित अभियान से हासिल क्या होने वाला है? वे कहते हैं सरकारों को जनता की आंखों में धूल नहीं झोंकनी चाहिए।
और फिर सामने जब नौजवान खड़े दिखाई देते हैं तो वे यह जानते हुए कि उनमें भी तमाम बेरोजगारी के शिकार हैं वे उनके भविष्य के बारे में चिंतित लगते हैं कि अगली सरकार बनने पर नौजवानों, विŸाविहीन शिक्षकों, शिक्षामित्रों, किसानों, के लिए अभी बहुत कुछ करना होगा। उपेक्षित समाज के प्रति उनकी संवेदना बराबर उन्हें नई कल्याणकारी योजनाओं के बारे में सोचने की प्रेरणा देती है। और तो और वे महिलाओं बच्चों की कुपोषण से मुक्ति और उनके लिए शिक्षा स्वास्थ्य की बेहतर व्यवस्थाओं की प्लानिंग भी करते नज़र आते हैं। यही सब अखिलेश यादव की संवेदना है।

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