अजय कुमार वर्मा
लखनऊ16 दिसम्बर। नागरिकता संशोधन अधिनियम ने देश में विभिन्न भाषाई व आदिवासी समूहों व धार्मिक अल्पसंख्यकों में अविष्वास का माहौल पैदा किया है, नागरिकता अधिनियम में संषोधन के बाद असम, त्रिपुरा व समूचे पूर्वोत्तर भारत सहित दिल्ली, अलीगढ़, लखनऊ, सहारनपुर सहित पूरे उ0प्र0 में अधिनियम विरोधी आन्दोलनकारियों पर लोकतांत्रिक मर्यादा लांघकर सरकार ने जिस तरह निरकुंषता के साथ दबाने का प्रयास किया वह घोर निंदनीय है।
यह बात राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेष अध्यक्ष व पूर्व षिक्षा मंत्री डाॅ0 मसूद अहमद ने कहते हुये कहा कि भाजपा की केन्द्र सरकार ने संविधान पर हमला करने के बाद सरकार व संघ प्रायोजित हिंसा का आरोप आन्दोलनकारियों पर लगाना भाजपा सरकार की बदनियती व लोकतांत्रिक अहिंसक आन्दोलन को कुचलने वाला आरोप है। वह देष में धार्मिक धुव्रीकरण का राजनीतिक लाभ लेने का आर0एस0एस0 द्वारा रचित षड़यंत्र है। डाॅ0 अहमद ने कहा कि नागरिकता संषोधन अधिनियम की आड़ में एनआरसी थोपने का सरकारी प्रयास किसी भी रूप में स्वीकार नहीं है विष्व में भारत की छवि को खराब करने की पूरी जिम्मेंदारी आर0एस0एस0 भाजपा व केन्द्र सरकार पर है। उन्होंने जामियां विष्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विष्व विद्यालय व दारूल उलूम, नदवा सहित अन्य स्थानों के आन्दोलन में गिरफ्तार छात्रों व नागरिकों पर दर्ज फर्जी मुकदमे वापस लेने व हिंसा की न्यायिक जांच की मांग की है।