भारत की पहली युद्ध विरोधी फिल्म है ‘बंकर’


—अनिल बेदाग—

मुंबई : निर्देशक जुगल राजा की फिल्म बंकर को भारत की पहली युद्ध विरोधी फिल्म के तौर पर प्रस्तुत किया जा रहा है जो कश्मीर के पुंछ में एलओसी पर तैनात लेफ्टिनेंट विक्रम सिंह को दर्शाती है जो सीज़फायर (युद्धविराम) उल्लंघन के दौरान एक गुप्त बंकर में मोर्टार शेल से गंभीर रुप से ज़ख्मी होने के बावजूद अकेला ज़िंदा रहता है। ये फिल्म देश की सुरक्षा में सीमा पर तैनात जवानों से प्रेरित है और इसे विभिन्न फिल्म फेस्टिवल में व्यापक तौर पर सराहा गया है।

वैगिंग टेल एंटरटेनमेंट द्वारा प्रस्तुत और फाल्कन पिक्चर्स प्रोडक्शन द्वारा निर्मित फिल्म बंकर की टीम द्वारा “लौट के घर जाना है” गाने को लॉन्च किया गया जिसे राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित गायिका रेखा भारद्वाज ने अपनी दिल छू लेनेवाली आवाज़ में गाया है। ये फिल्म कई महत्वपूर्ण मुद्दों को सामने लाती है जैसे सैनिकों के परिवारों की मानसिक दशा और उनके आपसी रिश्ते और किस तरह सीमा पर तनाव की सबसे बड़ी कीमत एक जवान और उसके परिवार को चुकानी पड़ती है।

भारतीय सेना और उनके परिवारों को समर्पित 2020 के सबसे ज्यादा दिल को छू लेनेवाले इस शांति गान के लॉन्च के मौके पर बात करते हुए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित गायिका रेखा भारद्वाज ने कहा, ‘लौट के घर जाना है’ गाने से बेहतर कोई गाना मैं चुन ही नहीं सकती थी क्योंकि मैंने पहली बार एक ऐसा गाना गाया है जिसमें एक राष्ट्रवाद की भावना झलकती है। लेखक-निर्देशक जुगल राजा ने कहा, “जंग कोई भी नहीं जीतता। चाहे जवान हमारी तरफ का हो या दूसरी तरफ का, हमेशा जवान का परिवार ही नुकसान सहता है। ये फिल्म और गाना सैन्य जीवन की इस वेदना पर प्रकाश डालते हैं। फिल्म का 95 फीसदी हिस्सा 12 गुुना 8 फीट के बंकर में शूट किया गया है। फिल्म में लेफ्टिनेंट विक्रम सिंह की प्रमुख भूमिका निभाने वाले अभिजीत सिंह ने कहा, “ बंकर एक ऐसी फिल्म है तो प्रत्येक सैनिक की जीवनी है जिनका नाम आपने जीवन में कभी नहीं सुना होगा। ये उन सभी लोगों की कहानी है जो एक में पराकाष्ठा तक पहुंचती है।

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