सेवाकुंज आश्रम परिसर में 33 वां खेल-कूद प्रतियोगिता का हुआ आयोजन।

बभनी/सोनभद्र (अरुण पांडेय)

बभनी। सेवा समर्पण संस्थान सम्बद्ध अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम उत्तर प्रदेश का 33वाँ बनवासी खेलकूद प्रतियोगिता का शुभारंभ हुआ प्रतियोगिता आगामी 3 दिवस तक सेवा कुंज आश्रम कारी डांड, चपकी के प्रांगण में चलेगी। आज कार्यक्रम में कुल 9 जिले के खिलाड़ी जिसमें सोनभद्र, मिर्जापुर ,चंदौली गाजीपुर ,काशी , प्रयागराज, सुल्तानपुर, आजमगढ़ ,गोरखपुर प्रतिभाग कर रहे हैं।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सेवा समर्पण संस्थान सम्बद्ध अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के क्षेत्र संगठन मंत्री( संपूर्ण उत्तर प्रदेश व सम्पूर्ण

नेपाल )मनीराम पाल जी व विशिष्ट अतिथि श्रवण कुमार राय खंड विकास अधिकारी म्योरपुर व बभनी कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री जे सी विमल कुमार सिंह प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य सेवा समर्पण संस्थान ने किया।
कार्यक्रम मुख्य अतिथि मनी रामपाल जी के द्वारा दीप प्रज्वलन कर ध्वजारोहण किया गया फिर खिलाड़ियों की सलामी ली गई व मशाल को जलाकर खेलकूद प्रतियोगिता प्रारंभ करने की अनुमति दी गई। तत्पश्चात बनवासी खिलाड़ियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम के रूप में करमा नृत्य प्रस्तुत कर खेल प्रतियोगिता प्रारंभ कर दी गई। खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्रीमान मनी राम पाल जी ने कहा कि खेल सभी के व्यस्त जीवन में एक अहम भूमिका अदा करता है ख़ास कर छात्र जीवन में। इसीलिए हमें सभी को दिन का कुछ समय खेल कूद के लिए निकालना चाहिए। खेलों से

तंदरुस्ती के इलावा हमारा अच्छा ख़ासा मनोरंजन भी हो जाता है। इनसे खिलाड़ी में आत्म निर्भर होने की भावना उत्पन्न होती है। खेल खेलते समय वह अपने शरीर के लिए ही नहीं खेलता बल्कि उसकी हार -जीत पूरी टीम की हार और जीत है।
विशिष्ट अतिथि श्री श्रवण कुमार राय ने कहा कि खेल और स्पोर्ट्स हमारे लिए बहुत ही लाभदायक हैं क्योंकि वे हमें समयबद्धता, धैर्य, अनुशासन, समूह में कार्य करना और लगन सिखाते हैं। खेलना हमें, आत्मविश्वास के स्तर का निर्माण करना और सुधार करना सिखाता है। खेल गतिविधियों में शामिल होना, हमें बहुत से रोगों से सुरक्षित करने में मदद करता है; जैसे – गठिया, मोटापा, हृदय की समस्याओं, मधुमेह, आदि। यह हमें जीवन में अधिक अनुशासित, धैर्यवान, समयबद्ध और विनम्र बनाता है। यह हमें जीवन में सभी कमजोरियों को हटाकर आगे बढ़ना सिखाता है। खुशी का अहसास देता है। यह हमें शारीरिक रुप से तंदुरुस्त और मानसिक आराम प्रदान करता है, जिससे कि हम सभी समस्याओं से आसानी से निपट सकें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्रीमान जे सी विमल कुमार सिंह ने कहा कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए मनुष्य को सब प्रकार की आवश्यकताएँ होती हैं। शारीरिक, मानसिक और आमिक विकास-ये तीनों ही मनुष्य को जीवन में सफल बनाने के लिए पूर्ण रूप से सहायक होते हैं। तीनों का योगदान ही जीवन को विकसित और पूर्ण बनाता है। अगर इनमें से किसी एक का अभाव होगा, तो जीवन पूर्णरूप से विकसित नहीं हो सकेगा। इसलिए हमें तीनों ही आवश्यकताओं को पूर्ण रूप से प्राप्त करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए ?
यों तो जीवन की सफलता के लिए शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शक्तियों । में से कोई भी एक शक्ति किसी से कम महत्त्वपूर्ण नहीं है, लेकिन शरीरिक शक्ति की आवश्यकता इनमें से सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। । दिन भर कोई-न-कोई कार्य करते रहना भी शारीरिक शक्ति के विकास के मुख्य रूप हैं। शरीर को पूर्ण रूप से स्वस्थ और निरोग रखने के लिए खेलकुद का महत्त्व बहुत अधिक है। बिना खेलकुद के जीवन अधूरा रह जाता है।
खेल से हमारा जीवन अनुशासित और आनन्दित होता है। जो विद्यार्थी दिन-रात पढ़ने में लगा रहता है, उसका शारीरिक विकास नहीं हो पाता है। ऐसे में खेल ही शरीर में पुनः काम करने की शक्ति लाने में सहायक है।

खेल मनोरंजन की सामग्री भी जुटाते हैं।खेल, खिलाड़ी को अपनी आत्मा है। ‘खेल की भावना’ उसकी आत्मा का श्रृंगार है। प्रत्येक खिलाड़ी को अपनी इस पवित्र भावना पर गर्व होता है। यही पुण्य-भावना खिलाड़ी को आपसी सहयोग, संगठन, अनुशासन एवं सहनशीलता की शिक्षा देती है। खेलने वालों में संघर्ष से लड़ने की शक्ति आ जाती है। खेल में विजय की दशा में उत्साह और हारने की अवस्था में सहनशीलता का भाव आता है। वहीं खिलाड़ियों का विश्वास होता है कि उसकीअसफलता-सफलता का सन्देश लेकर आई है कार्यक्रम का संचालन कृष्ण गोपाल जी ने किया। कार्यक्रम में अखिल भारतीय व्यवस्था प्रमुख लक्ष्मीपति शर्मा जी, प्रांत संगठन मंत्री श्रीमान पंकज सह संगठन मंत्री श्रीमान आनंद जी, विभाग संगठन मंत्री श्री शिव प्रसाद जिला प्रचारक श्रीमान ओम प्रकाश जी ,सह विभाग कार्यवाह दिपनारायण‌ सिंह जिला कार्य समिति सदस्य सदस्य आलोक कुमार चतुर्वेदी, दूधनाथ कुशवाहा जी, रामप्रकाश जी, अमर देव पांडे जी, सीताराम जी, सत्य प्रकाश जी, जवाहर जोगी जी, जदु वीर खरवार जी, दीपचंद जी, सतीश पांडे जी, के अलावा शिक्षक के रूप में राम नगीना जी, प्रवीण जी, रमेश चंद जी, श्याम चरण जी संजय जी, राजकुमार जी रहे ।

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