धर्म डेक्स । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से मन्दिर मे चरणामृत तीन बार ही क्यों देते हैं……

धार्मिक कार्यों मे तीन का महत्व है। दरअसल दुनिया मे तीन प्रकार के दुख होते हैं। पहला अधिभौतिक, दूसरा अधिदैविक और तीसरा आध्यात्मिक।
अधिभौतिक के अन्तर्गत मनुष्य के शरीर मे विभिन्न तरह के विकार या बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं।
अधिदैविक मे देवता द्वारा कष्ट दिए जाते हैं। जैसे:- ओलावृष्टि, दुर्घटना, अतिवृष्टि और अनावृष्टि, भूकम्प, बिजली गिरना। इसे दैवीय प्रकोप भी कहा जाता है।
तीसरा आध्यात्मिक यानी मन और बुद्धि काम न करे या पागलपन की स्थिति बन जाय।
ऐसी स्थिति मे चरणामृत के आचमन से तीनो तरह के दुखों का शमन हो जाता है। चरणामृत ही ऐसी दवा मानी गई है, जिससे अकाल मृत्यु टल जाती है और जन्म जन्मान्तर की परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है, क्योंकि चरणामृत सभी का मंगल करता है।
आमजन को चाहिए कि वे जब अपने इष्टदेवता की पूजा करें तब उन्हे गंगा या किसी पवित्र नदी के शुद्ध जल से तीन बार स्नान कराएँ। उस जल का तीन बार आचमन करें। ऐसा नहीं कर पाते हैं तो प्रतिदिन मंदिर मे जाकर तीन बार चरणामृत का आचयन करें। इस दौरान अपने इष्टदेवता का नाम स्मरण भी करें।
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