सोनभद्र।ऐतिहासिक शहर ओबरा जहां बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठान से लेकर जुगैल, पनारी, फफराकुण्ड, बिल्ली जैसे अति पिछड़े इलाके हैै। वहां आजादी मिलने के इतने समय बाद भी गांवों से लोगों को इलाज के लिए ओबरा शहर खटिया पर लादकर लाना पड़ता है। दुखद यह है कि लाखों की आबादी वाले इस शहर में सरकारी अस्पताल तक नहीं है। ओबरा शहर में सरकारी अस्पताल तक न होने के कारण लोगों को इलाज नहीं मिल पाता और वह बेमौत मरने के लिए अभिशप्त होते है। हालत इतनी बुरी है कि इस क्षेत्र में कार्यरत मजदूरों को ईएसआई (कर्मचारी राज्य बीमा योजना) में पंजीकृत करके सरकार ने करोड़ों रूपए जमा करा लिए पर उन मजदूरों को आजतक न्यूनतम चिकित्सा सुविधा नहीं मिली। यहां कि हवा, पानी, आकाष तक जहरीला हो चुका है। मात्र पानी के छिडकांव से यहां के वातावरण में उड़ रही धूल को रोका जा सकता है। लेकिन यह छोटा सा काम भी सरकार व प्रषासन ने नहीं कराया।
इसलिए आज ओबरा परिक्षेत्र में सरकारी अस्पताल बनवाने और यहां के पर्यावरण की रक्षा के लिए इलाहाबादी पुरानी दुकान के पास स्थित ठेका मजदूर यूनियन के कार्यालय पर सायः काल 5 बजे इस विषय पर जनजागरण के लिए बैठक होगी। जिसमें ओबरा में कार्यरत राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों और टेªड यूनियन्स के प्रतिनिधि प्रतिभाग करेंगें। यह जानकारी स्वराज अभियान के राहुल कुमार ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में दी।
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राहुल कुमार यादव,
नेता स्वराज अभियान।