बभनी/सोनभद्र (अरुण पांडेय)
कहीं फसलें कर दे रहीं नष्ट तो कहीं घर में रखा अन्न मिला बिखरा
सीमा से सटे छत्तीसगढ़ के बलरामपुर थाना क्षेत्र के खैरा गांव में एक शिक्षक के उड़ा दिए परखच्चे
बभनी थाना क्षेत्र के छत्तीसगढ़ से सटे गांवों में हाथियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है।जो पंद्रह दिनों से लगातार उत्पात मचा रही हैं। क्षेत्र के गरीब आदिवासियों के बने कच्चे के मकान को उजाड़ती हुई फिरती हैं । हाथियों का झुंड शीशटोला बरवाटोला डूमरहर रंपाकूरर बिछियारी समेत कई गांवों में गरीब जनता के मक्का ज्वार धान जैसी फसलों को रौंदकर नष्ट करती हुई फिरती हैं जिसके भय से ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना रहता है।
आपको बताते चलें कि बभनी विकास खंड के छत्तीसगढ़ सीमा से सटे कुछ आदिवासी बाहुल्य इलाका है जहां लोग किसी तरह से थोड़ा- बहुत खेती कर किसी तरह से अपना जीविकोपार्जन करते हैं वहीं ग्रामीणों ने बताया कि दिन भर डर सहम कर अपने घरों में रहा करते हैं और शाम को अपने ग्राम प्रधानों के घर रातभर टायर जलाकर रात बिताते हैं। शनिवार की रात में अतवरिया पत्नि हीरालाल जिसका घर भी ध्वस्त कर दीं और घर में रखा 10 किलो चावल 10 किलो आंटा और 5 किलो दाल बिखेर कर नष्ट कर दीं। वहीं मनधारी पुत्र मानशाय का गौशाले की मड़ई गिरा दीं और रनशाय पुत्र सर्व. सुद्दीदयाल का घर ध्वस्त कर घर में रखे अनाज को नष्ट कर दिया और घर के पास लगे हैंडपंप को ध्वस्त कर दिया। जब इस संबंध में वन क्षेत्राधिकारी ए.एन. मिश्र से बात किया गया तो उन्होंने बताया कि हम जिलाधिकारी को पत्र लिखकर देंगे जिससे राजस्व विभाग के द्वारा जो नुकसान हुआ है
उसकी छतीपूर्ती कराई जाएगी।इस बात को लेकर ग्रामीणों ने बताया कि हम गरीब जनता किसी तरह से दो वक्त के भोजन का व्यवस्था करते हैं जिसे भी हाथियों के झुंड के द्वारा नष्ट कर दिया गया हमें किसी तरह से कोई आर्थिक मदद दिलाई जाय। वहीं स्थानीय लोगों के द्वारा बताया गया कि छत्तीसगढ़ सीमा के पार खैरा गांव के ही स्थानीय निवासी एक शिक्षक विश्वनाथ प्रसाद दुबे पुत्र ददनू दूबे उम्र 45 वर्ष जो वर्ग दो के अध्यापक हैं शनिवार की शाम को चार-पांच लोगों के साथ हांथी भगाने गए तभी हाथियों का चिंघाड़ सुनाई दिया सभी साथी भाग निकले हाथियों के अचानक आक्रमण के कारण वे भागने में असमर्थ रहे हाथियों के झुंड ने उनके परखच्चे उड़ा दिए कहीं हांथ का टुकड़ा मिला तो कहीं पैर का कहीं सीने का तो कहीं गर्दन का इस घटना के पश्चात छत्तीसगढ़ वन विभाग की टीम ने कठिन मुसीबतों का सामना करते हुए जंगल का रास्ता पकड़ा दिया और पुनः हाथियों का झुंड बभनी वन रेंज में आ पहुंचा स्थानीय लोगों ने बताया कि हाथियों ने तीन बच्चों को जन्म दिया है जिसके कारण वन छोड़कर कहीं नहीं जा रही हैं।