धर्म डेस्क। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय से एक ऐसे गांव की कहानी जो केवल शनि देव के भरोसे चलता है?
क्या आप आस्था में विश्वास करते हैं? यदि हां तो आप शायद महाराष्ट्र के इस गांव के लोगों की भावनाओं को समझ सकें। एक ऐसा गांव जो केवल भगवान भरोसे चलता है। एक ऐसा गांव जो सुख एवं दुख का मालिक भगवान को ही मानता है। इस गांव के वासियों के लिए भगवान की महिमा से बढ़कर और कुछ नहीं है।
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित है शिंगणापुर गांव, जिसे शनि शिंगणापुर के नाम से जाना जाता है। यह गांव हिन्दू धर्म के विख्यात शनि देव की वजह से प्रसिद्ध है, क्योंकि इस गांव में शनि देव का चमत्कारी मंदिर स्थित है। जी हां, चमत्कारी…. यह शब्द हम इस गांव में हो रहे चमत्कारों को देखते हुए ही इस्तेमाल कर रहे हैं।
यदि कभी मौका मिले तो आप महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य के इस छोटे से गांव में जाकर तो देखिए। यह गांव शिरडी से अधिक दूर नहीं है। मैं स्वयं इस गांव में गई हूं… गांव की ओर जाता हुआ रास्ता काफी अच्छा और साफ है। रास्ते में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर गन्ने का रस मिलता है। कुल मिलाकर गांव तक पहुंचने का सफर काफी अच्छा होता है।
लेकिन गांव में पहुंचते ही जो नज़ारा आप देखेंगे वह आपके आंखों को अच्छे-से खोलकर रख देगा। आपको शायद यकीन ना हो लेकिन इस गांव के किसी भी घर या दुकान में दरवाज़ा नहीं है। जी हां… बीते कुछ समय में यह गांव अपनी इसी खासियत से देश-दुनिया में काफी मशहूर हुआ था।
यहां दरवाज़ा नहीं है
लेकिन यहां दरवाज़ा क्यों नहीं प्रयोग किया जाता? इसके पीछे भी गांव के मंदिर से जुड़ी आस्था है। लोगों का मानना है कि इस गांव पर भगवान शनि का इतना असर है कि कोई चोर गलती से भी यहां चोरी नहीं कर सकता। और यदि कभी चोरी कर भी ली तो चोरी हुई वस्तु को गांव से बाहर नहीं लेकर जा सकता।
शनि देव उसे ऐसे जाल में फंसा देते हैं कि वह चोरी की गई वस्तु को गांव से बाहर ले जाने में असमर्थ हो जाता है। गांव वालों के मुताबिक यह महज कहानी नहीं है बल्कि सत्य है, क्योंकि कुछ चोरों ने इस बात को कुबूल किया है कि वे चोरी करने के बाद गांव के बाहर नहीं जा सके, बस रास्ता भटकते रहे।
यही कारण है कि खुद को सुरक्षित महसूस करने वाले गांव के वासी ना तो अपने घरों में कोई दरवाज़ा लगाते हैं और ना ही अपनी महंगी वस्तुओं को ताला लगाकर बंद करते हैं। क्योंकि उन्हें भगवान शनि पर विश्वास है कि उनकी कोई भी वस्तु चोरी नहीं होगी।
चलिए अब आपको वह कहानी सुनाते हैं जिसके चलते शिंगणापुर गांव में शनि देव की इतनी महिमा बढ़ गई। कहते हैं एक बार इस गांव में काफी बाढ़ आ गई, पानी इतना बढ़ गया कि सब डूबने लगा। लोगों का कहना है कि उस भयंकर बाढ़ के दौरान कोई दैवीय ताकत पानी में बह रही थी। जब पानी का स्तर कुछ कम हुआ तो एक व्यक्ति ने पेड़ की झाड़ पर एक बड़ा सा पत्थर देखा।
ऐसा अजीबोगरीब पत्थर उसने आज तक नहीं देखा था, तो लालचवश उसने उस पत्थर को बीचे उतारा और उसे तोड़ने के लिए जैसे ही उसमें कोई नुकीली वस्तु मारी उस पत्थर में से खून बहने लगा। यह देखकर वह वहां से भाग खड़ा हुआ और गांव वापस लौटकर उसने सब लोगों को यह बात बताई।
सभी दोबारा उस स्थान पर पहुंचे जहां वह पत्थर रखा था, सभी उसे देख भौचक्के रह गए। लेकिन उनकी समझ में यह नहीं आ रहा था कि आखिरकार इस चमत्कारी पत्थर का क्या करें। इसलिए अंतत: उन्होंने गांव वापस लौटकर अगले दिन फिर आने का फैसला किया।
शनि देव प्रकट हुए उसी रात गांव के एक शख्स के सपने में भगवान शनि आए और बोले ‘मैं शनि देव हूं, जो पत्थर तुम्हें आज मिला उसे अपने गांव में लाओ और मुझे स्थापित करो’। अगली सुबह होते ही उस शख्स ने गांव वालों को सारी बात बताई, जिसके बाद सभी उस पत्थर को उठाने के लिए वापस उसी जगह लौटे।
कहा मुझे स्थापित करो बहुत से लोगों ने प्रयास किया, किंतु वह पत्थर अपनी जगह से एक इंच भी ना हिला। काफी देर तक कोशिश करने के बाद गांव वालों ने यह विचार बनाया कि वापस लौट चलते हैं और कल पत्थर को उठाने के एक नए तरीके के साथ आएंगे।
शनि देव शख्स के स्वप्न में आए उस रात फिर से शनि देव उस शख्स के स्वप्न में आए और उसे यह बता गए कि वह पत्थर कैसे उठाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि ‘मैं उस स्थान से तभी हिलूंगा जब मुझे उठाने वाले लोग सगे मामा-भांजा के रिश्ते के होंगे’। तभी से यह मान्यता है कि इस मंदिर में यदि मामा-भांजा दर्शन करने जाएं तो अधिक फायदा होता है।
कैसे उठाएं पत्थर इसके बाद पत्थर को उठाकर एक बड़े से मैदान में सूर्य की रोशनी के तले स्थापित किया गया। आज शिंगाणपुर गांव के शनि शिंगाणपुर मंदिर में यदि आप जाएं तो प्रवेश करने के बाद कुछ आगे चलकर ही आपको खुला मैदान दिखाई देगा। उस जगह के बीचो-बीच स्थापित हैं शनि देव जी।
मंदिर की महिमा यहां जाने वाले आस्थावान लोग केसरी रंग के वस्त्र पहनकर ही जाते हैं। कहते हैं मंदिर में कथित तौर पर कोई पुजारी नहीं है, भक्त प्रवेश करके शनि देव जी के दर्शन करके सीधा मंदिर से बाहर निकल जाते हैं।
लोगों का विश्वास रोज़ाना शनि देव जी की स्थापित मूरत पर सरसों के तेल से अभिषेक किया जाता है। मंदिर में आने वाले भक्त अपनी इच्छानुसार यहां तेल का चढ़ावा भी देते हैं।
प्रचलित मान्यता ऐसी मान्यता भी है कि जो भी भक्त मंदिर के भीतर जाए वह केवल सामने ही देखता हुआ जाए। उसे पीछे से कोई भी आवाज़ लगाए तो मुड़कर देखना नहीं है। शनि देव को माथा टेक कर सीधा-सीधा बाहर आ जाना है, यदि पीछे मुड़कर देखा तो बुरा प्रभाव होता है।
अवश्य जाएं तो आप शनि शिंगणापुर जाने का प्लान कब बना रहे है? मेरा दावा है कि यहां जाकर आप निराश नहीं होंगे। यह मंदिर वाकई चमत्कारों से भरा है और शिंगणापुर गांव का दृश्य भी जीवन में एक बार देखने लायक तो जरूर है।