धर्म डेस्क।जानिए आचार्य वीर विक्रम नारयण पांडेय से होरा मुहूर्त शास्त्र?
भारत वर्ष में शुभ कार्य करने से पहले मुहूर्त साधने की परंपरा आदि काल से ही चली आ रही है आज भी उत्तर भारत में चौघड़िया, मिथिला एवं बंगाल में यामार्ध तथा दक्षिण भारत में राहुकाल को देखकर ही शुभ कार्य करने की प्रथा है।
भारतीय ज्योतिष में होरा चक्र का बहुत महत्व है। ज्योतिष ग्रंथों में वर्णन निम्न श्लोक द्वारा लिखित भी है।
“अर्थार्जने सहाय:पुरुषाणामापदर्णवे पोत:,
यात्रा समये मन्त्री जातकमहापाय नास्त्यपर:” ॥
………………सारावली
अर्थात:- मनुष्यों को धन अर्जित करने मे यह (होरा शास्त्र) सहायता करता है, (शुभ दशा में लाभ,और अशुभ दशा मे हानि),विपत्ति रूपी समुद्र में नौका या जहाज का कार्य करता है,एवं यात्रा के समय में मंत्री अर्थात उत्तम सलाहकार होरा शास्त्र को छोड कर अन्य कोई नहीं हो सकता है.
“यस्य ग्रहस्य वारे यत्किंचित्कर्म प्रकीर्तित:।
तत्तस्य काल होरायां सर्वमेव विधीयते।।”
महर्षियों ने कहा है कि जो काम जिस वार में करना विहित है, उसे उसके काल होरा में करें। कार्य
जिस नक्षत्र में विहित है, वह उस नक्षत्र के स्वामी के मुहूर्त में करें।
अहोरात्र शब्द से ’अ’ और ’त्र’ हटाने के बाद होरा शब्द बनता है. सारावली
कर्मफललाभहेतुं चतुरा: संवर्णयन्त्यन्ये,
होरेति शास्त्रसंज्ञा लगनस्य तथार्धराशेश्च ॥सारावली
विद्वान लोग होरा शास्त्र को शुभ और अशुभ कर्म फल की प्राप्ति के लिये उपयोग करते हैं। लग्न और राशि के आधे भाग (15 अंश) की होरा संज्ञा होती है
सारांश:- सूर्य की होरा राजसेवा के लिये उत्तम है। चन्द्रमा की होरा सर्व कार्य सिद्ध करने के लिये शुभ है। मंगल की होरा युद्ध, कलह, विवाद, लडाई झगडे के लिये, बुध की होरा ज्ञानार्जन के लिये शुभ है। गुरु की होरा विवाह के लिये, शुक्र की होरा विदेशवास के लिये, शनि की होरा धन और द्रव्य इकट्ठा करने के लिये शुभ है।
होरा मुहूर्त एवं राहुकाल विचार
होरा मुहूर्त एवं राहुकाल विचार होरा मुहूर्त अचूक माने गए हैं। इन मुहूर्तों में किया जाने वाला हर कार्य सिद्ध होता है।
सात ग्रहों के सात होरा- हैं, जो दिन रात के 24 घंटों में घूमकर मनुष्य को कार्य सिद्धि के लिए अशुभ समय में भी शुभ अवसर प्रदान करते हैं।
सात ग्रहों के सात होरा
राज सेवा के लिए सूर्य का होरा
यात्रा के लिए। शुक्र का होरा
ज्ञानार्जन के लिए। बुध का होरा
सभी कार्यों की
सिद्धि के लिए। चंद्र का होरा
द्रव्य संग्रह के लिए। शनि का होरा
विवाह के लिए। गुरु का होरा
युद्ध, कलह और
विवाद में विजय
के लिए। मंगल का होरा
प्रत्येक होरा एक घंटे का होता है। जिस दिन जो वार होता है, उस वार के सूर्योदय के समय 1 घंटे तक उसी वार का होरा रहता है।
उसके बाद एक घंटे का दूसरा होरा उस वार से छठे वार का होता है। इसी प्रकार दूसरे होरे के वार से छठे वार का होरा तीसरे घंटे तक रहता है। इस क्रम से 24 घंटे में 24 होरा बीतने पर अगले वार के सूर्योदय के समय उसी (अगले) वार का होरा आ जाता है।।
यहां चित्र प्रत्येक वार के 24 घंटों का होरा चक्र दिया गया है।
उदाहरण के लिए मान लें आज गुरुवार है और आज ही आपको कहीं जाना है। ऊपर बताया गया है कि शुक्र का होरा यात्रा के लिए श्रेष्ठ होता है। अतः मालूम करना है कि आज गुरुवार को शुक्र का होरा किस-किस समय रहेगा। चक्र में गुरुवार के सामने वाले खाने में देखें तो पाएंगे कि चैथे और ग्यारहवें घंटे में शुक्र का होरा है।
बिना सारणी के होरा ज्ञात कैसे करे?
किसी भी वार का प्रथम होरा उसी वार से प्रारंभ होता है। उस वार से विपरीत क्रम से वारों को एक-एक के अंतर से गिनें। जैसे बुधवार को प्रथम होरा बुध का, तत्पश्चात विपरीत क्रम से मंगल को छोड़कर चंद्र का होरा एवं रवि को छोड़कर शनि का होरा होगा। इसी क्रम से आगे शेष 21 होरा उस दिन व्यतीत होंगे।
होरा शास्त्र कार्य सिद्धि का अचूक शास्त्रीय माध्यम है। किसी भी व्यक्ति को विशेष कार्य की शुरुआत करनी हो तो वो उसे विशेष मुहूर्त मे ही काम करना चाहता है.ज्योतिष शास्त्र मे होरा चक्र का निर्माण किया गया है जिसे आप स्वयं देख कर किसी भी कार्य की शुरुआत कर सकते है जिससे आप का कार्य सफल हो जायेकभी कभी बहुत ज़रूरी होने पर हम पंडितजी के पास नही जा पाते या कोई अन्य काम पड़ जाता हैं जिससे हम समय पर काम करने का सही व उचित समय नही जान पाते, इन सभी परेशानियो को ध्यान में रखकर ज्योतिषशास्त्र में होरा चक्र का निर्माण किया गया,जिससे आप किसी भी दिन स्वयं होरा देखकर कोई भी काम कर सकते हैं।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार एक होरा (दिन-रात)में 24 होराएँ होती हैं जिन्हें हम 24 घंटो के रूप में जानते हैं जिसके आधार पर हर एक घंटे की एक होरा होती हैं जो किसी ना किसी ग्रह की मानी जाती हैं।
प्रत्येक वार की प्रथम होरा उस ग्रह की होती हैं जिसका वो वार होता हैं जैसे यदि रविवार हैं तो पहली होरा सूर्य की ही होगी।
होराओ का क्रम👉 प्रत्येक ग्रह की पृथ्वी से जो दुरी हैं उस हिसाब से ही होरा चक्र बनाया गया हैं आईये देखते हैं की होरा कैसे देखी जातीं हैं। मान लेते हैं की हमें रविवार के दिन किसी भी ग्रह की होरा देखनी हो तो हम उसे इस प्रकार से देखेंगे।
पहली होरा -सूर्य ग्रह की होगी
दूसरी होरा -शुक्र ग्रह की होगी
तीसरी होरा -बुध ग्रह की होगी
चौथी होरा-चंद्र ग्रह की होगी
पांचवी होरा -शनि ग्रह की होगी
छठी होरा -गुरु ग्रह की होगी
सातवी होरा -मंगल ग्रह की होगी
आठवी होरा फ़िर से सूर्य की ही होगी तथा यह क्रमश: ऐसे ही चलता रहेगा. इस प्रकार जो भी वार हो उसी वार की होरा से आगे की होरा निकाली जा सकती हैं तथा अपने महत्वपूर्ण कार्य किए जा सकते हैं. विभिन्न ग्रहों की होरा में कुछ निश्चित कार्य किए जाए तो सफलता निश्चित ही प्राप्त होती हैं ।
सूर्य की होरा – ल👉 सरकारी नौकरी ज्वाइन करना,चार्ज लेना और देना,अधिकारी से मिलना, टेंडर भरना व मानिक रत्न धारण करना।
चंद्र की होरा 👉 यह होरा सभी कार्यो हेतु शुभ मानी जाती हैं।
मंगल की होरा👉 पुलिस व न्यायालयों से सम्बंधित कार्य व नौकरी ज्वाइन करना, जुआ सट्टा लगाना,क़र्ज़ देना, सभा समितियो में भाग लेना,मूंगा एवं लहसुनिया रत्न धारण करना।
बुध की होरा👉 नया व्यापार शुरू करना,लेखन व प्रकाशन कार्य करना,प्रार्थना पत्र देना,विद्या शुरू करना,कोष संग्रह करना,पन्ना रत्न धारण करना।
गुरु की होरा👉 बड़े अधिकारियो से मिलना,शिक्षा विभाग में जाना व शिक्षक से मिलना,विवाह सम्बन्धी कार्य करना,पुखराज रत्न धारण करना।
शुक्र की होरा👉 नए वस्त्र पहनना,आभूषण खरीदना व धारण करना,फिल्मो से सम्बंधित कार्य करना ,मॉडलिंग करना,यात्रा करना,हीरा व ओपल रत्न पहनना।
शनि की होरा👉 मकान की नींव खोदना व खुदवाना,कारखाना शुरू करना,वाहन व भूमि खरीदना,नीलम व गोमेद रत्न धारण करना।
इस प्रकार ग्रह की होरा में कार्य सफलता हेतु किए जा सकते हैं इस प्रकार विभिन्न ग्रह की होरा में विभिन्न कार्य सफलता हेतु किए जा सकते हैं।
[24/10, 09:19] Sanjay Kumar Dwivedi (sncurjanchal.in):