सोनभद्र:उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में आंवला वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु का निवास स्थान मानकर पूजा की जाती है. पूजा करने के बाद परिजनों सहित ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है. सनातन धर्म के धर्मावलंबी सभी लोग कार्तिक मास में आंवला वृक्ष के नीचे एकत्र होकर एक साथ पूजन करते हैं।सोनभद्र: सनातन धर्म में वृक्षों का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है, इसलिए आंवला, पीपल, बट, नीम जैसे वृक्षों की पूजा की जाती है. कार्तिक मास में भगवान सूर्य जब तुला राशि पर जाते है, इस काल को बड़ा ही पवित्र, पावन माना जाता है. आंवला वॄक्ष में भगवान विष्णु का निवास मानकर इस वृक्ष की पूजा की जाती है।आंवला वृक्ष को भोग लगा कर करते है पूजा अर्चना।इसे भी पढ़ें-सोनभद्र: दो बाइक की टक्कर में 2 लोग घायल, एक की मौतआंवला वृक्ष के नीचे चढ़ाया भोजन प्रसाद कार्तिक मास के तुला नक्षत्र में आंवला के पेड़ के नीचे खाने से सात्विकता उत्पन्न होती है. हिंदू सनातन धर्म में वृक्षों के प्रति लोगों की आस्था उत्पन्न होती है. जिसको लेकर आज आंवला के वृक्ष के नीचे सैकड़ों की संख्या में अधिवक्ता और योगी बंधु उपस्थित होते है. मिट्टी के घड़े में चावल, दाल ,खीर और बाटी -चोखा बनाकर एक सामूहिक रूप से भोजन करते है. सबसे पहले भोजन बनने के पश्चात आंवला के वृक्ष के नीचे जाकर भोजन प्रसाद चढ़ाया गया, उसका पूजा अर्चन किया गया, इसके बाद उपस्थित सभी ब्राह्मणों को भोजन कराया गया.वही सुरेंद्र नाथ त्रिपाठी, वेदपाठी ब्राह्मण ने बताया कि सनातन धर्म मे आमलक शब्द आमला के लिए संस्कृत में प्रयुक्त है. इसको परम् पवित्र वॄक्ष माना जाता है. कार्तिक मास में भगवान सूर्य जब तुला राशि पर जाते है (तुला राशि चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण में तुला राशि प्राप्ति होती है).इस काल को बड़ा ही पवित्र,पावन माना जाता है. आंवला वॄक्ष में भगवान विष्णु का निवास मानकर इस वृक्ष की पूजा की जाती है. पूजा करने के पश्चात अपने परिजनों सहित ब्राह्मणों को यहां भोजन कराने का बहुत बड़ा फल महात्म्य है. पूजन करने के पश्चात अपने परिजनों सहित ब्राह्मण का पूजन करके भोजन कराते है. इससे सात्विकता उत्पन्न होती है. बुद्धि सात्विक होती है और हमारा परिवार सुखमय रहता है. समाज भी सुखमय रहता है।