ताजनगरी की सड़कों पर आवारा पशुओं का आतंक

*नगर निगम का इस ओर नही कोई ध्यान

*चलते राहगीरों पर कर देते है हमला*

*शहर में कई वार हो चुके राहगीर व वाइक सवार घायल*

*कइयो की जा चुकी है जान*

*जिम्मेदार कौन?

राजेश तोमर की रिपोर्ट

आगरा सावधान! अगर आप शहर की सड़कों पर पैदल का वाइक से जा रहे है तो संभल कर चलें।
नहीं चले तो हादसे के शिकार हो सकते हैं।
इसकी वजह प्रमुुख सड़कों पर आवारा पशुओं की भरमार है। इसको लेकर नगर निगम
प्रशासन गंभीर नहीं है। इसके चलते अक्सर आवारा पशु हादसे का सबब बन रहे हैं।

शहर की सड़कों पर घूमते आवारा मवेशी वाहन चालकों व राहगीरों के लिए खतरा साबित हो रहे हैं। यह समस्या शहर के हर रोड़ व मुख्य चौराहों की है। पिछले कुछ महीनों से सड़क पर मवेशियों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है।
आए दिन वाहन चालक व पैदल राहगीर दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। पशुओं के स्वच्छंद विचरण से आवागमन बाधित होने के साथ राहगीरों को आने-जाने में आवारा पशुओ का भय बना रहता है। सुबह से लेकर रात तक आवारा पशु सड़कों पर डटे रहते हैं। इन्हें सड़क से भगाने की कोशिश में ही दुर्घटनाएं घट जाती हैं। सबसे ज्यादा परेशानी शहर के व्यस्ततम बाजारो में होती है जब ये आवारा पशुबाजार में घुसकर अव्यवस्था उत्पन्न करते हैं और इन्हें भगाने की कोशिश में कई लोग घायल हो जाते हैं। शहर के चौक-चौराहों व गलियों में आवारा पशुओं का डेरा कभी न खत्म होने वाली समस्या बन गई है।

*नगर निगम के कर्मचारी खानापूर्ति कर अभियान को भूल चुके है*
निगम की आवारा मवेशियों,व जानवरो को पकड़ने की मुहिम दम तोड़ चुकी है शहर में हर चौक-चौराहों पर आवारा मवेशियों का झुंड देखा जा सकता है।जगह-जगह सड़क के बीचों-बीच मवेशी एकत्र रहते हैं। व जब आपस मे लड़ते है तो ऐसे में ये कई बार सड़क पर जाम की स्थिति बन जाती है ब दुर्घटनाओं का कारण बन रही हैं। मवेशियों के अचानक सामने आ जाने के कारण वाहन चालक अपना नियंत्रण खो बैठते हैं और फिर दुर्घटना होते देर नहीं लगती।
*स्वछ भारत अभियान में भी रोड़ा*
जगह-जगह गंदगी फैलाने के साथ ही आवारा पशु के गोबर से सड़को पर गंदगी का आलम बना हुआ है जिसके कारण लोगों के लिए परेशानी का कारण बन रहे हैं। कई लोगों को चोटिल भी कर चुके हैं। नगर निगम आवारा पशुओं पर लगाम कसने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। नगर में आवारा पशुओं की बढ़ती संख्या लोगों के लिए परेशानी बनी हुई है। लेकिन नगरनिगम की ओर से इस संबंध में कोई सख्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। आए दिन लोगों को चोटिल करने वाले इन आवारा पशुओं की रोकथाम के लिए फिलहाल नगर निगम के पास कोई ठोस योजना नहीं है। शहर में वर्तमान में सेकड़ो की संख्या में आवारा पशु हैं। शहर में पैदल राहगीर भी इन आवारा पशुओं से तंग आ चुके हैं। इसके अलावा अधिकांश दिन नगर में लगने वाले जाम का कारण जानवर ही होते हैं। यातायात पुलिस भी इनसे पूरी तरह तंग आ चुकी है।

*शहर के बीचों बीच हाइवे पर भी दुर्घटना का कारण बने है आवारा पशु*
हाइवे पर अचानक वाहन के आगे आवारा पशु आ जाते हैं। इस कारण चालक को अचानक ब्रेक लगाना पड़ता है। इससे दुर्घटना की संभावना बन जाती है।
*आसपास के देहात से भी आते है आवारा पशु*
कहीं न कहीं ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी नगर में बढ़ती आवारा पशुओं की संख्या के लिए जिम्मेदार हैं। ग्रामीण क्षेत्र के लोग कई बार पशु का उपयोग न होने की वजह से उसे नगर में छोड़ जाते हैं। नगर पालिका को ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। ताकि नगर के लोगों को आवारा पशुओं से मुक्ति मिल सके।
*उपद्रवी पशुओ से बाजार में मचती है अफरा तफरी*
शहर के मुख्य बाजारों से लेकर प्रमुख चौराहों पर आवारा मवेशियों की धमाचौकड़ी ने लोगों के आफत कर रखी है। आवारा जानवरों का उपद्रव शहरियों के लिए आम हो चला है।

*शहर के बीचों बीच पशुपालक भी बने है इसका कारण*
शहर के बीचों बीच पशुपालको के कारण भी शहर की स्थिति खराब है एक एक पशुपालक के पास सेकड़ो की संख्या में पशुओं के कारण बिना किसी अनुमति के रोड़ पर छोड़ देते है जिस कारण रोड़ पर जाम की स्थिति बन जाती है।
*बिरोध करने पर कर देते है मारपीट*
पशुपालको की दबंगई का आलम ये है कि जब रोड़ पर पशुओ की वजह से कोई घायल होता है तो उल्टा पशु मालिक लड़ने को उतारू हो जाता है

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