थाना मोरवा में हुई मढोली विस्थापितों के साथ एनसीएल प्रबंधक की बैठक

घंटों मंत्रणा के बाद भी नहीं निकला कोई हल, विस्थापित अपनी मांगों पर अड़े

सिगरौली।एनसीएल द्वारा किए जा रहे जयंत खदान के विस्तार के लिए भूमि अधिग्रहण में मुआवजा वितरण, पुनर्वास एवं नौकरी के संबंध में प्रबंधन द्वारा देरी करने के कारण कल शाम मढौली में चक्काजाम के बाद आज विस्थापितों का प्रतिनिधि मंडल ने मोरवा थाने में अनुविभागीय अधिकारी डॉक्टर कृपाशंकर द्विवेदी एवं मोरवा नगर निरीक्षक नरेंद्र प्रताप सिंह के समक्ष एनसीएल प्रबंधन से मौजूदगी में बैठक की गई। बैठक का मुख्य उद्देश्य विस्थापितों को अति शीघ्र मुआवजा प्रदान करना एवं उनके पुनर्वास एवं भूमि के बदले दी जाने वाली नौकरी की कार्यवाही तुरंत करना था। घंटों चली इस मंत्रणा में विस्थापित नेता कुंदन पांडे द्वारा कहा गया की मुआवजा वितरण की कार्रवाई मकान नंबर के अनुसार सीरियल वाइज की जाए। साथ ही जिन लोगों को भूमि के बदले नौकरी देने का प्रावधान है उसकी कार्रवाई तुरंत किया जाए अन्यथा सभी लोग अनशन करने को बाध्य हो जाएंगे। इस बैठक में राजेश्वरी वैश्य द्वारा बताया कि पिछले कई वर्षों से एनसीएल द्वारा अधिग्रहित की गई भूमिका मुआवजा आज तक नहीं बांटा गया है जिससे कई विस्थापित परेशान हो रहे हैं ।
उक्त बैठक में एनसीएल द्वारा उपस्थित *जयंत परियोजना के जीएम संजय मिश्रा* द्वारा आश्वस्त किया गया कि मकानों का मुआवजा जल्दी वितरण शुरू कर दिया जाएगा, साथ ही उन्होंने कहा कि मुआवजा का वितरण जयंत माइंस से लगी भूमि पर बने मकानों का पहले किया जाएगा। उसके बाद धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए समस्त अधिग्रहित की गई भूमियों पर बने मकानो का मुआवजा वितरण किया जाएगा। एनसीएल प्रबंधन की तरफ से *महाप्रबंधक कार्मिक चार्ल्स जस्टर* द्वारा विस्थापितों को एक कमेटी बनाने का सुझाव दिया, जिससे समय-समय पर कमेटी के साथ बैठक कर किए जा रहे मुआवजा वितरण की कार्रवाई से विस्थापितों को अवगत कराया जा सके। साथ ही उन्होंने वहां मौजूद लोगों को आश्वस्त कराया की एनसीएल द्वारा सभी विस्थापितों को उसका हक दिया जाएगा।
उक्त बैठक लगभग 2 घंटे तक चली जिसमें विभिन्न बिंदुओं पर चर्चाएं होने के बाद भी विस्थापितों और एनसीएल के बीच एक मत नहीं बन पाया, अपनी मांग पर अड़े विस्थापितों और ग्रामीणों का कहना था कि मुआवजे का वितरण एक नंबर से किया जाए। वही प्रबंधन की ओर से आए प्रतिनिधि मंडल ने इसमें व्यावहारिक कठिनाई बताते हुए मुद्दों पर उच्च अधिकारियों से चर्चा के लिए समय मांगा है। जिसके बाद एक मीटिंग दोबारा कल रखी गई है। बैठक में सैकड़ों की तादाद में विस्थापित एवं ग्रामीण उपस्थित रहे।

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